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This Article is From Jun 08, 2023

बिहार: भागलपुर में पुल गिरने पर सियासी बवाल, CBI जांच को लेकर तेजस्वी और सुशील मोदी आमने-सामने

सुशील कुमार मोदी ने कहा, "महासेतु के डिजाइन में गलती थी या नहीं, इसकी जांच तो तकनीकी विशेषज्ञ ही करेंगे, लेकिन ऐसे कई सवाल हैं, जिनकी जांच वे नहीं कर सकते. निर्माण कार्य में इतनी देर क्यों हुई.

बिहार: भागलपुर में पुल गिरने पर सियासी बवाल, CBI जांच को लेकर तेजस्वी और सुशील मोदी आमने-सामने
बिहार में पुल गिरने पर सियासत

पटना: भागलपुर में निर्माणाधीन पुल गिरने को लेकर बिहार की सियासत गर्म है. बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जब बालासोर रेल दुर्घटना की जांच रेलवे सुरक्षा आयुक्त के अलावा सीबीआई से भी कराई जा सकती है, तो बिहार में निर्माणाधीन महासेतु के बार-बार ढहने की जांच भी तकनीकी कमेटी की जांच के साथ-साथ सीबीआई से भी कराई जा सकती है. अब सुशील मोदी के इस बयान पर प्रदेश के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने पलटवार किया है.

सुशील कुमार मोदी ने कहा, "महासेतु के डिजाइन में गलती थी या नहीं, इसकी जांच तो तकनीकी विशेषज्ञ ही करेंगे, लेकिन ऐसे कई सवाल हैं, जिनकी जांच वे नहीं कर सकते. निर्माण कार्य में इतनी देर क्यों हुई, जिससे इसका बजट 600 बढाकर 1710 करोड़ रुपये करना पड़ा? किनको लाभ पहुंचाने के लिए निर्माण में लापरवाही बरती गई?

बिहार के पूर्व डिप्टी CM सुशील मोदी ने कहा कि महासेतु निर्माण में अनियमितता, प्रशासनिक लापरवाही, भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी को राजनीतिक संरक्षण देने जैसे मामले की जांच सीबीआई ही कर सकती है. जब पुल का शिलान्यास मुख्यमंत्री ने किया और वे ही इसके निर्माण की मानीटरिंग कर रहे थे, तब कहां गलती हुई, इसकी जांच तकनीकी कमेटी कैसे कर सकती है?

"...तो उस समय क्यों नहीं हुई CBI जांच?"
सुशील मोदी की CBI जांच की मांग पर बिहार के डिप्टी CM तेजस्वी यादव ने कहा कि ये सब बेकार की बात है. इससे पहले जब बिहार में पुल गिरा था तो बीजेपी सरकार में थी. तो उस समय CBI जांच क्यों नहीं हुई.

"...नया महासेतु कैसे बनवाया जा सकता है?"
सुशील कुमार मोदी ने कहा, "जिस एजेंसी की गलती से महासेतु के पाये बार-बार ढहते रहे थे, उसी एजेंसी से नया पुल बनाने की बात सरकार कैसे कह सकती है? उन्होंने कहा कि क्या निर्माण एजेंसी से इस बात का करार हुआ है कि पुल गिरने या निर्माण में गड़बड़ी पाये जाने पर नया पुल भी उसे ही बनाना पड़ेगा? यदि ऐसा कोई समझौता नहीं हुआ, तो पहले वाली एजेंसी से नया महासेतु कैसे बनवाया जा सकता है?

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