पटना नगर निगम के कमिश्नर ने ही पटना हाईकोर्ट के जज के जल जमाव की शिकायत तो सुनी लेकिन कार्रवाई कुछ नहीं की. ये बात खुद उच्च न्यायालय के जज शिवाजी पांडे ने जल जमाव जल निकासी और सफ़ाई पर हो रही सुनवाई के दौरान खुले कोर्ट में नगर निगम के वक़ील से कहा. उन्होंने कहा कि आपके निगम आयुक्त को जब फोन करके ओवरफ्लो और जाम की शिकायत की तो उन्होंने कुछ नहीं किया वो तो किसी की सुनते ही नहीं हैं. निश्चित रूप से राज्य सरकार और पटना नगर निगम के क्रिया कलाप की पोल खोलने वाला इससे अच्छा उदाहरण नहीं मिल सकता. जल जमाव के चपेट में कई न्यायमूर्ति का घर आया और कई लोग तो अपने घर से निकल गए. कई के घर का पानी बहुत मशक्कत के बाद कई दिन के बाद निकला.
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फिलहाल पटना उच्च न्यायालय में इस संबंध में आधा दर्जन से अधिक जनहित याचिका की सुनवाई चल रही है. कोर्ट ने 3 सप्ताह के भीतर राज्य सरकार को एक हलफ़नामा दायर कर तीन बातों पर जवाब मांगा है कि आख़िर जल जमाव हुआ तो उसका दोषी कौन है, कौन-कौन ठीकेदार थे जिनके ऊपर ये ज़िम्मा था. बारिश के दौरान कितने सम्प हाउस काम कर रहे थे और नगर निगम ने सीवरेज की सफ़ाई पर कितनी राशि ख़र्च की?
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कोर्ट ने भविष्य में ऐसी स्थिति न आए इसके लिए क्या-क्या क़दम उठाए जा रहे हैं, उसके बारे में भी रिपोर्ट मांगी हैं. साथ ही शहर में डेंगू जैसी बीमारियों के प्रकोप से निपटने के लिए क्या-क्या क़दम उठाए जा रहे हैं. इस पर भी जवाब मांगा है.
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