बिहार विधानसभा में बृहस्पतिवार को उस समय तनाव की स्थिति पैदा हो गई, जब विपक्ष के एक विधायक ने मुख्यमंत्री के लिए आरक्षित सीट पर बैठने की धमकी दी. यह समस्या उस वक्त शुरू हुई जब प्रश्नकाल के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सदन से बाहर चले गए.
मेहता ने कहा, ‘‘बैठने की उचित व्यवस्था होनी चाहिए. अगर लोग अपनी मर्जी से (जहां-तहां) सीट पर बैठेंगे, तो इससे अव्यवस्था पैदा होगी.''
इस बीच राजद, कांग्रेस और तीन वाम दलों के अन्य विपक्षी विधायक भी नारेबाजी करते हुए सदन के बीचों-बीच आ गए. सदन के अध्यक्ष नंद किशोर यादव ने विपक्षी सदस्यों से कहा कि जब तक वे अपनी सीट पर वापस नहीं चले जाते, तब तक उनकी कही हुई कोई भी बात रिकॉर्ड में दर्ज नहीं होगी.
अध्यक्ष ने मार्शल बुलाकर राजद विधायक को बाहर निकालने की भी चेतावनी दी और उन्होंने मार्शलों को बुलाया भी, लेकिन विपक्षी सदस्यों को सदन से बाहर निकालने का आदेश देने के बजाय कार्यवाही अपराह्न दो बजे तक के लिए स्थगित करना उचित समझा.
उल्लेखनीय है कि बजट सत्र में कम से कम सात विधायक राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल हो गए थे. इनमें से पांच राजद और दो कांग्रेस विधायक थे.
राजद विधायक भाई वीरेंद्र से जब पत्रकारों ने इस संबंध में सवाल पूछे तो उन्होंने कहा, ‘‘मैं सिर्फ़ एक बात साबित करना चाहता था. मेरा इरादा चेतावनी देना था, न कि उस सीट पर बैठना था. अध्यक्ष को या तो बागियों को अयोग्य घोषित करना चाहिए या उन्हें दूसरी तरफ़ बैठने का निर्देश देना चाहिए.''
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