बिहार के सरकारी अस्पतालों में बेहतर व्यवस्था को लेकर सरकार के तरफ से भले ही बड़े बड़े दावे किए जाते रहे हैं. लेकिन समस्तीपुर से आईं तस्वीरें कुछ और बयां कर रही है. यहां के सदर अस्पताल स्थित पोस्टमार्टम हाउस के अंदर पड़े शवों से कीड़े निकलकर बाहर आर रहे हैं. शव से निकल रही दुर्गंध इतनी तेज है कि अब डॉक्टर भी पोस्टार्टम के लिए जाने से इंकार कर रहे हैं.
सदर अस्पताल के कर्मी ने क्या कहा?
समस्तीपुर के सदर अस्पताल स्थित पोस्टमार्टम हाउस के आसपास लोगों को बदबू से बचने के लिए नाक और मुंह पर कपड़ा बांधना पड़ रहा है. सदर अस्पताल के कर्मी की मानें तो पोस्टमार्टम रूम में हर रोज अमूमन तीन से पांच शवों का पोस्टमार्टम किया जाता है, जिनमें कई लावारिस शव होते है. लावारिश शवों को पहचान के लिए 72 घंटे तक सुरक्षित रखने का प्रावधान है. डीप फ्रीजर ना होने के कारण शव सड़ने लगते है और शव में कीड़े लगने लगते हैं. पोस्टमार्टम हाउस पर शव लेने पहुंचे लोग प्रशासन और सरकार को कोसते दिख रहे है.
विधायक और डॉक्टर ने 'सिस्टम' पर खड़े किए सवाल
सदर अस्पताल के डॉक्टर ने भी उपाधीक्षक को पत्र लिखकर पोस्टमार्टम करने से मना कर दिया है. उपाधीक्षक डॉ. संजय कुमार ने बताया कि बदबू के कारण वह पोस्टमार्टम करने में असक्षम है. पोस्टमार्टम हाउस की स्थित को लेकर विभूतिपुर से सीपीआईएम विधायक अजय कुमार ने सरकार को आड़े हाथ लिया है. उन्होंने कहा कि समस्तीपुर सदर अस्पताल खुद ही बीमार है. संवेदना बिल्कुल मर चुकी है. पोस्टमार्टम हाउस में वातानुकूलित मर्चर रूम की व्यवस्था हो. ताकि पोस्टमार्टम के बाद लावारिस शव को वहां सुरक्षित रखा जा सके. विधायक अजय कुमार ने इस समस्या को सदन में उठाने की बात कही है.
"गर्मी के कारण शव खराब हो रहे हैं शव"
इस मुद्दे पर सिविल सर्जन डॉ एस के चौधरी का कहना है कि पिछले दो-तीन दिनों के अंदर आधा दर्जन लावारिस शव आ गए. प्रोटोकॉल के हिसाब से पोस्टमार्टम के बाद 72 घंटों तक शवों को सुरक्षित रखना है. फिलहाल पोस्टमार्टम रूम में सिर्फ एक शव को रखने के लिए फ्रिजर है. इस कारण अन्य शव को बाहर ही रखा गया है. गर्मी के कारण शव खराब हो रहे है. हालांकि, वहां साफ-सफाई करायी जा रही है. हमलोगों ने कोल्ड चेंबर की मांग की है.
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