उत्तर बिहार के सबसे बड़े अस्पताल श्री कृष्णा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (SKMCH) में रक्तदान शिविर की आड़ में खून की कालाबाजारी का गंभीर मामला सामने आया है, जिसने स्वास्थ्य विभाग पर एक बड़ा सवालिया निशान खड़ा कर दिया है. हालांकि, मामले की अभी जांच चल रही है.
यह चौंकाने वाला खुलासा तब हुआ जब एजुकेशनल सोसाइटी NGO ने 18 नवंबर को थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों के लिए एक रक्तदान शिविर का आयोजन किया, जिसमें सिटी एसपी कोटा कुमार किरण समेत कुल 15 लोगों ने रक्तदान किया था. NGO के दावे के विपरीत, SKMCH के ब्लड बैंक द्वारा जारी की गई सूची में केवल 8 रक्तदाताओं के नाम सार्वजनिक किए गए, जिससे यह बड़ा सवाल खड़ा हो गया कि शेष 7 यूनिट रक्त कहां गया और क्या वह जरूरतमंदों तक पहुंच पाया.

कई लोगों के नाम के आगे गलत मोबाइल नंबर अंकित किए
इस गंभीर विसंगति को देखते हुए NGO ने तुरंत जिला प्रशासन और मुजफ्फरपुर पुलिस को पूरे मामले से अवगत कराया, जिसके बाद प्रशासन और पुलिस जांच में जुट गई है. पूरे मामले पर एसकेएमसीएच की सुपरीटेंडेंट विभा कुमारी ने बताया कि शुरुआती जांच में सामने आया है कि आठ लोगों ने डोनेशन (दान) के लिए और सात लोगों ने 'ब्लड रिप्लेसमेंट' (बदले में रक्त लेना) के लिए रक्तदान किया था. हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि रक्तदान रजिस्टर में कई लोगों के नाम के आगे गलत मोबाइल नंबर अंकित किए गए हैं. सुपरीटेंडेंट के इस बयान और गलत एंट्रीज से यह अंदेशा और गहरा हो गया है कि ब्लड डोनेशन के नाम पर अस्पताल परिसर में खून की कालाबाजारी का अवैध खेल चल रहा है.

पुलिसकर्मियों और आम लोगों समेत कुल 15 लोगों ने रक्तदान किया
शिविर के संचालनकर्ता दिव्यांश मल्होत्रा ने बताया कि 18 नवंबर को उनके द्वारा एजुकेशनल सोसाइटी NGO के बैनर तले श्री कृष्णा मेडिकल कॉलेज (SKMCH) में थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों की जरूरतों के लिए रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया था. उन्होंने बताया कि इस शिविर में मुजफ्फरपुर के सिटी एसपी कोटा किरण सहित कई पुलिसकर्मियों और आम लोगों समेत कुल 15 लोगों ने रक्तदान किया था. हालाँकि, श्री कृष्णा मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक द्वारा जारी की गई लिस्ट में केवल आठ लोगों के रक्तदान करने का उल्लेख किया गया है. इस विसंगति को लेकर अब मुजफ्फरपुर पुलिस और जिला प्रशासन को पूरे मामले से अवगत करा दिया गया है.
मामला संज्ञान में आने के बाद एस.डी.ओ. पूर्वी तुषार कुमार ने स्पष्ट किया है कि मामले की गहन जांच की जा रही है और जांच में जो भी लोग दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. यह घटना स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती है, विशेष रूप से इसलिए क्योंकि इससे पहले भी खून की कालाबाजारी के मामले सामने आ चुके हैं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई थी. अब देखना यह होगा कि इस बार की जांच के बाद प्रशासन द्वारा क्या कदम उठाए जाते हैं और क्या कालाबाजारी के इस खेल पर अंकुश लग पाता है.
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