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This Article is From Jul 06, 2017

लालू ने साधा सुशील मोदी पर निशाना, 'कौआ मंदिर पर भी क्यों न बैठ जाए, वह कौआ ही कहलाएगा'

आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी पर अब तक का सबसे कड़ा प्रहार किया.

लालू ने साधा सुशील मोदी पर निशाना, 'कौआ मंदिर पर भी क्यों न बैठ जाए, वह कौआ ही कहलाएगा'
आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने सुशील मोदी पर करारा प्रहार किया...
  • सुशील कुमार मोदी पर अब तक का सबसे कड़ा प्रहार
  • सुशील मोदी के निशाने पर लालू यादव का परिवार
  • 'बेनामी संपत्ति' को लेकर तेज प्रताप यादव घिरे हुए हैं
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पटना: आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी पर अब तक का सबसे कड़ा प्रहार करते हुए  कहा कि कोई झूठ उगलने के लिए PC दिल्ली करें या लंदन, वह यह जान ले कि कौआ अगर मंदिर पर भी क्यों ना बैठ जाए,वह कौआ ही कहलाएगा. बता दें कि सुशील मोदी लालू यादव के परिवार को लगातार निशाने पर लिए हुए हैं. आज उन्होंने फिर से बड़े बेटे और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव पर आरोप लगाया कि करीब चार साल की उम्र में सेवा के बदले भाजपा सांसद रमा देवी द्वारा दानस्वरूप करोड़ो रुपये की जमीन उपहारस्वरूप दी गई. लालू ने सुशील मोदी के इस आरोप को तथ्यहीन बताते हुए कहा कि कहा कि सुशील ने देश और जनता को गुमराह कर रहे हैं.
 

उन्होंने एक ट्वीट में लिखा, दरअसल भाजपाई जानते हैं कि वे जो भी झूठ उगलेंगे, समर्थित मीडिया उसे बिन जाँचे परखे सच ही बतायेगा. भक्ति का दस्तूर ही कुछ ऐसा बन गया है. 
 
लालू ने कहा कि 23 मार्च 1992 को रमा देवी ने बिना हम लोगों की सहमति के बिना तेज प्रताप यादव (नाबलिग) के नाम से उक्त जमीन दान पत्र बनवा लिया जबकि दान पत्र के मामले में रजिस्ट्री नियमावली के अनुसार प्रपत्र 4 पर दोनों पक्षों की रजामंदी जरूरी होती है. इस दान पत्र में प्रपत्र 4 में दोनों पक्षों की सहमति (हस्ताक्षर) नहीं है.

उन्होंने कहा कि रजिस्ट्री के कुछ दिनों के बाद रमा देवी के पति बृजबिहारी प्रसाद (दिवंगत) उक्त डीड को लेकर उनके पास आए और बोले कि 13 एकड़ 12 डिसमिल जमीन तेज प्रताप यादव को दान किया हैं. लालू ने कहा "मैं उक्त दान पत्र को देखकर काफी नाराज हुआ और उन्हें निर्देश दिया कि अविलम्ब उक्त दस्तावेज का रद्दनामा करवाकर पत्र मुझे दिखाएं." उन्होंने उक्त दान पत्र और रद्द होने से संबंधित दस्तावेज मीडिया को जारी करते हुए बताया कि 30 जून 1993 को उक्त रद्दनामा दस्तावेज बिहार मुजफ्फरपुर स्थित रजिस्ट्री आफिस में रजिस्ट्रर्ड हुआ.


 

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