 
                                            लालू प्रसाद यादव का फाइल फोटो...
                                                                                                                        - आरजेडी ने नोटबंदी को खोदा पहाड़ निकली चुहिया की संज्ञा दी
- 20 से 26 दिसंबर तक जनता के बीच जन-जागरण करेगी पार्टी
- नसबंदी की तरह ही नोटबंदी का हश्र होगा-लालू यादव
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                                                                                पटना: 
                                        राष्ट्रीय जनता दल नोटबंदी के मुद्दे पर जनता के बीच जाएगी. शनिवार को पटना में पार्टी के विधायकों, सांसदों, पूर्व सांसदों और पदाधिकारियों की बैठक के बाद ये घोषणा हुई. पार्टी ने केंद्र सरकार के नोटबंदी के कार्यक्रम को 'खोदा पहाड़, निकली चुहिया' की संज्ञा दी.
पटना में तीन घंटे चली बैठक के बाद राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने घोषणा की कि पार्टी सबसे पहले 20 से 26 तारीख तक जनता के बीच जन-जागरण करेगी. उसके बाद 28 दिसंबर को हर ज़िला मुख्यालय पर धरना कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, लालू जो अपने सहयोगी जनता दल यूनाइटेड के नेता नीतीश कुमार की तरह नोटबंदी और काला धन के खिलाफ अभियान का समर्थन कर रहे थे, लेकिन उनका आरोप हैं कि अब इतने दिनों के बाद समझ में आ गया है कि नोटबंदी के बहाने मोदी सरकार पूंजीपतियों को बचा रही है. लालू ने कहा कि नोटबंदी के बाद बड़े-बड़े उद्योगपतियों के काला धन को सफ़ेद किया गया, जबकि गरीब का पैसा जमा कराकर कंगाल हो रहे बैंकों को सरकार बचाने की कोशिश कर रही है.
लालू ने इस बैठक में नोटबंदी के मुद्दे पर पार्टी के नेतओं को संबोधित करने के लिए दिल्ली से अर्थशास्त्री मोहन गुरुस्वामी को भी आमंत्रित किया, जिन्होंने इस मुद्दे पर हिंदी में चार पेज का एक विस्तृत अपना लेख पढ़ा. लालू ने जनता के बीच जाने से पहले पार्टी कार्यकर्ता को नए नारे जैसे पूंजीपतियों को बचाना हैं और नोटबंदी क्या लाया हैं, हाहाकार मचाया हैं.
हालांकि बैठक के दौरान और बैठक के बाद लालू यादव ने दावा किया कि नीतीश कुमार इस मुहिम में उनके साथ हैं, लेकिन उनकी पार्टी के कई नेताओं ने नीतीश कुमार पर निशाना साधा. खासकर विधायक भाई वीरेंदर ने, जिन्होंने एक बार फिर पार्टी के नेता और कार्यकर्ताओं की नजरअंदाजी का मुद्दा उठाया. भाई वीरेंदर का आरोप था की एक ही जाति के अधिकारी अधिकांश ज़िले में पदस्थापित हैं.
हालांकि लालू यादव ने बाद में कहा कि नोटबंदी के मुद्दे पर आंदोलन की घोषणा करना उनकी मजबूरी है, क्योंकि जनता को वो छोड़ नहीं सकते, लेकिन जानकर मानते हैं कि लालू की कोशिश होगी कि नीतीश अपने वर्तमान रुख में थोड़ी नरमी लेते हुए इस मुद्दे पर और आक्रामक हों. नीतीश ने साफ़ कर दिया है कि वो फ़िलहाल 30 दिसंबर तक इस मुद्दे पर इंतजार करेंगे, लेकिन उनका भी मानना है कि केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर जितनी तैयारी करनी चाहिए थी, उसका अभाव है.
हालांकि शनिवार की बैठक में लालू यादव ने शुरूआत में अपने संबोधन में कहा था कि नोटबंदी के बाद बीजेपी का वही हश्र होगा, जो नसबंदी के बाद 1977 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी का हुआ था. जो निश्चित रूप से कांग्रेस के नेताओं को अच्छा नहीं लगा होगा. नोटबंदी पर नीतीश कुमार के मोदी सरकार को समर्थन के बाद कांग्रेस और लालू यादव के संबंधों में आई खटास काम हुई थी, लेकिन फ़िलहाल तय नहीं है कि कांग्रेस पार्टी लालू यादव के इस मुद्दे पर एक रैली के आह्वान पर क्या रुख दिखाती हैं.
                                                                        
                                    
                                पटना में तीन घंटे चली बैठक के बाद राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने घोषणा की कि पार्टी सबसे पहले 20 से 26 तारीख तक जनता के बीच जन-जागरण करेगी. उसके बाद 28 दिसंबर को हर ज़िला मुख्यालय पर धरना कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, लालू जो अपने सहयोगी जनता दल यूनाइटेड के नेता नीतीश कुमार की तरह नोटबंदी और काला धन के खिलाफ अभियान का समर्थन कर रहे थे, लेकिन उनका आरोप हैं कि अब इतने दिनों के बाद समझ में आ गया है कि नोटबंदी के बहाने मोदी सरकार पूंजीपतियों को बचा रही है. लालू ने कहा कि नोटबंदी के बाद बड़े-बड़े उद्योगपतियों के काला धन को सफ़ेद किया गया, जबकि गरीब का पैसा जमा कराकर कंगाल हो रहे बैंकों को सरकार बचाने की कोशिश कर रही है.
लालू ने इस बैठक में नोटबंदी के मुद्दे पर पार्टी के नेतओं को संबोधित करने के लिए दिल्ली से अर्थशास्त्री मोहन गुरुस्वामी को भी आमंत्रित किया, जिन्होंने इस मुद्दे पर हिंदी में चार पेज का एक विस्तृत अपना लेख पढ़ा. लालू ने जनता के बीच जाने से पहले पार्टी कार्यकर्ता को नए नारे जैसे पूंजीपतियों को बचाना हैं और नोटबंदी क्या लाया हैं, हाहाकार मचाया हैं.
हालांकि बैठक के दौरान और बैठक के बाद लालू यादव ने दावा किया कि नीतीश कुमार इस मुहिम में उनके साथ हैं, लेकिन उनकी पार्टी के कई नेताओं ने नीतीश कुमार पर निशाना साधा. खासकर विधायक भाई वीरेंदर ने, जिन्होंने एक बार फिर पार्टी के नेता और कार्यकर्ताओं की नजरअंदाजी का मुद्दा उठाया. भाई वीरेंदर का आरोप था की एक ही जाति के अधिकारी अधिकांश ज़िले में पदस्थापित हैं.
हालांकि लालू यादव ने बाद में कहा कि नोटबंदी के मुद्दे पर आंदोलन की घोषणा करना उनकी मजबूरी है, क्योंकि जनता को वो छोड़ नहीं सकते, लेकिन जानकर मानते हैं कि लालू की कोशिश होगी कि नीतीश अपने वर्तमान रुख में थोड़ी नरमी लेते हुए इस मुद्दे पर और आक्रामक हों. नीतीश ने साफ़ कर दिया है कि वो फ़िलहाल 30 दिसंबर तक इस मुद्दे पर इंतजार करेंगे, लेकिन उनका भी मानना है कि केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर जितनी तैयारी करनी चाहिए थी, उसका अभाव है.
हालांकि शनिवार की बैठक में लालू यादव ने शुरूआत में अपने संबोधन में कहा था कि नोटबंदी के बाद बीजेपी का वही हश्र होगा, जो नसबंदी के बाद 1977 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी का हुआ था. जो निश्चित रूप से कांग्रेस के नेताओं को अच्छा नहीं लगा होगा. नोटबंदी पर नीतीश कुमार के मोदी सरकार को समर्थन के बाद कांग्रेस और लालू यादव के संबंधों में आई खटास काम हुई थी, लेकिन फ़िलहाल तय नहीं है कि कांग्रेस पार्टी लालू यादव के इस मुद्दे पर एक रैली के आह्वान पर क्या रुख दिखाती हैं.
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                                        राष्ट्रीय जनता दल (राजद), नोटबंदी, लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार, बिहार, RJD, Note Ban, RJD Chief Lalu Prasad Yadav, Nitish Kumar, Bihar
                            
                        