नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने एक बार फिर लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के साथ मिलकर बिहार में सरकार बनाई है. एनडीए (NDA) का साथ छोड़ने के बाद नीतीश कुमार ने बुधवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. वहीं, राजद नेता तेजस्वी यादव को डिप्टी सीएम बनाया गया है. तेजस्वी यादव ने गुरुवार को एनडीटीवी से खास बात करते हुए बताया कि कैसे लालू यादव की गैरमौजूदगी में नीतीश कुमार के साथ जाने का मन बनाया. लालू यादव अभी दिल्ली में अपनी बेटी के पास रहकर अपनी बीमारी का इलाज करा रहे हैं. जब बिहार में यह सियासी फेरबदल हो रहा था तो लालू यादव पटना में नहीं थे.
तेजस्वी यादव ने एनडीटीवी को बताया, 'हम लोगों की राजनीतिक परिस्थितियों पर पहले से ही नजर थी. लगातार खबरों के माध्यम से और जब हम सदन में सामने होते थे तो साफ दिखाई देता था कि नीतीश कुमार असहज महसूस कर रहे हैं.'
उन्होंने बताया, 'उप राष्ट्रपति चुनाव हुए, इसके बाद हम लोग सड़कों पर महंगाई और बेरोजगारी के खिलाफ मार्च कर रहे थे. उसके अगले दिन हमने बैठक बुलाई. क्योंकि खबरों से लगातार यह माहौल दिखाई दे रहा था कि शायद नीतीश कुमार जी नाराज हैं और कहीं ना कहीं कुछ बड़ा फैसला लेने जा रहे हैं.'
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साल 2017 में महागठबंधन का साथ छोड़कर एक बार फिर एनडीए में जाने के बाद नीतीश कुमार पर राजद ने जमकर निशाना साधा था. नीतीश कुमार को 'पलटूराम' तक करार दे दिया था. इसके अलावा लालू यादव ने उन्हें 'केंचुली छोड़ने वाला सांप' भी बताया था.
नीतीश कमार के साथ जाने का मन कैसे बनाया? इस सवाल के जवाब में तेजस्वी यादव ने बताया, 'देश का जो माहौल है, हर तरफ सांप्रदायिक तनाव है और गंगा जमुनी तहजीब पर खतरा है. लोकतंत्र और संविधान पर खतरा है. देश में अराजकता का माहौल बना हुआ है. संवैधानिक संस्थाओं को तबाह किया जा रहा है. यह हम लोगों की ड्यूटी है कि किसी भी कीमत पर हम लोग समाजवादी लोगों का सहयोग करें. जब बिहार में यह सब घटनाक्रम हुआ तो नीतीश कुमार जी राज्यपाल को इस्तीफा सौंपकर आए. और उन्होंने अपनी बात रखी. इसके बाद महागठबंधन में सब लोगों का उनके साथ जाने का मन बना.'
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साथ ही तेजस्वी यादव ने कहा, 'भाजपा की मानसिकता है कि विपक्ष को खत्म किया जाए. क्षेत्रिय पार्टियों को खत्म किया जाए. यानि जब विपक्ष नहीं रहेगा तो लोकतंत्र नहीं रहेगा. लोकतंत्र नहीं रहेगा तो देश का क्या माहौल रहेगा.'
बता दें, नीतीश कुमार ने साल 2015 में NDA छोड़ा था, जिसके बाद महागठबंधन के साथ विधानसभा चुनाव लड़ा था. नीतीश कुमार महागठबंधन के नेता के रूप में मुख्यमंत्री बने. हालांकि, दो साल बाद ही 2017 में वे NDA में लौट आए. 2020 के विधानसभा चुनाव में कुमार ने केंद्र में भारी बहुमत से काबिज भाजपा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा. हालांकि, जदयू को 243 सदस्यीय विधानसभा में 45 सीट पर ही संतोष करना पड़ा.
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