Bihar Flood: बिहार इस समय बाढ़ से जूझ रहा है. कई इलाकों में पानी घरों में घुस चुका है. छाती तक पानी में लोगों को आना-जाना पड़ रहा है. कई स्थानों पर नदियों के तटबंध टूट गए हैं और वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में बाढ़ का पानी घुस गया है. इसका असर भारत-नेपाल सीमा से लगते जिलों पर सबसे अधिक पड़ा है.सीतामढ़ी जिले के मधकौल गांव में बागमती नदी के तटबंध में रविवार को जहां दरार की खबर आई, वहीं पश्चिमी चंपारण में गंडक नदी पर पानी के अत्यधिक दबाव के कारण बगहा-1 प्रखंड में नदी के बाएं किनारे पर स्थित तटबंध शाम 4.50 बजे क्षतिग्रस्त हो गया. इससे बाढ़ का पानी पश्चिमी चंपारण जिले के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) में भी प्रवेश कर गया. इससे वहां के वन्यजीवों को खतरा उत्पन्न हो गया है.
बिहार में बाढ़ से त्राहिमाम
— NDTV India (@ndtvindia) September 29, 2024
बेलसंड :मधकौल में तटबंध टूटने से भारी तबाही, सैकड़ों कच्चे मकान बाढ़ की चपेट में#Belsand | #Bihar | #BiharFlood pic.twitter.com/wrJUbDNKDq
राज्य जल संसाधन विभाग (डब्ल्यूआरडी) के अनुसार बागमती नदी के जलस्तर में अप्रत्याशित वृद्धि और पानी के बढ़ते दबाव से सीतामढ़ी जिले के बेलसंड, परसौनी, बरगैनिया और रसलपुर प्रखंडों तथा शिवहर जिले के पिपराही, पुरनहिया और शिवहर प्रखंडों में बागमती नदी के बाएं और दाएं तटबंध पर कई जगह रिसाव की सूचना मिली और उन्हें तत्काल दुरूस्त किया गया.बयान में कहा गया है कि डब्ल्यूआरडी ने रविवार को तटबंध क्षतिग्रस्त होने, कार्य में लापरवाही बरतने एवं जिला प्रशासन से उचित समन्वय न रखने के आरोप में बगहा के कार्यपालक अभियंता (बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल) निशिकांत कुमार को निलंबित कर दिया.
खतरनाक हुईं नदियां
बयान के अनुसार बिहार की अन्य नदियों में भी इस साल का अधिकतम जलस्तर दर्ज किया गया. कमला बलान नदी के झंझारपुर मापक स्थल पर जलस्तर 52.10 मीटर दर्ज किया गया है, जो खतरे के निशान से 2.10 मीटर अधिक है. ललबेकिया नदी के गोवाबाड़ी मापक स्थल पर जलस्तर 72.70 मीटर दर्ज किया गया है, जो खतरे के निशान से 1.55 मीटर अधिक है. महानंदा नदी के तैयबपुर एवं ढ़ेगराघाट मापक स्थलों पर क्रमशः 66.81 मीटर एवं 37.22 मीटर जलस्तर दर्ज किया गया है, जो खतरे के निशान से क्रमश: 0.81 मीटर एवं 1.57 मीटर अधिक है. कमला बलान, ललबेकिया एवं महानंदा नदी के तटबंध एवं संरचनाएं सुरक्षित हैं.
राज्य जल संसाधन विभाग के ताजा बुलेटिन के अनुसार, पिछली बार इस बैराज से सबसे ज्यादा पानी 1968 में 7.88 लाख क्यूसेक छोड़ा गया था.इसी तरह गंडक नदी पर बने वाल्मीकिनगर बैराज से शनिवार रात 10 बजे तक 5.62 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया. यह 2003 में छोड़े गए 6.39 लाख क्यूसेक के बाद सबसे ज्यादा पानी है.एहतियात के तौर पर कोसी बैराज के पास यातायात रोक दिया गया है. वीरपुर और वाल्मीकिनगर बैराज से भारी मात्रा में पानी छोड़े जाने के बाद राज्य सरकार ने प्रदेश के उत्तरी, दक्षिणी और मध्य भागों में बाढ़ को लेकर चेतावनी जारी की है.
इन जिलों पर खतरा
अधिकारियों ने बताया कि बाढ़ का पानी पश्चिमी और पूर्वी चंपारण, गोपालगंज, अररिया, सुपौल, कटिहार, पूर्णिया और कई अन्य जिलों के निचले इलाकों में घुस गया है.भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने पश्चिमी और पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, शिवहर, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, सीवान, सारण, वैशाली, पटना, जहानाबाद, मधुबनी और भोजपुर जिलों में भारी बारिश होने की संभावना जताई है.इन जिलों में हल्की से मध्यम बाढ़ का खतरा है.राज्य आपदा प्रबंधन विभाग ने जिलों के प्रशासन को अलर्ट रहने और पूर्वानुमान के मद्देनजर एहतियाती कदम उठाने को कहा है.
13 जिले पहले से प्रभावित
अधिकारियों ने बताया कि बक्सर, भोजपुर, सारण, पटना, समस्तीपुर, बेगूसराय, मुंगेर और भागलपुर समेत गंगा के किनारे बसे करीब 13 जिलों में पहले से ही बाढ़ जैसी स्थिति है और मूसलाधार बारिश के बाद नदियों का जलस्तर बढ़ने से निचले इलाकों में रहने वाले करीब 13.5 लाख लोग प्रभावित हुए हैं.प्रभावित जिलों से बड़ी संख्या में लोगों को निकालकर राहत शिविरों में पहुंचाया गया है.बढ़ते जल स्तर के कारण गोपालगंज जिले के निचले हिस्से में मौजूद करीब 32 गावों में पानी तेजी से प्रवेश कर रहा है. गोपालगंज प्रखंड के मंझरिया,रजवाही, सेमराही,जागिरी टोला,खाप मकसूदपुर और मांझा प्रखंड के निमुईयां और मुंगराहां पंचायत में पानी भर जाने के कारण लगभग 1000 घरों की आबादी प्रभावित हुई है.
नेपाल पर भड़के गिरिराज
केंद्रीय मंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता गिरिराज सिंह ने बिहार में बाढ़ की स्थिति पर चिंता जाहिर की है. रविवार को उन्होंने कहा कि नेपाल की ओर से बिहार में इतना पानी छोड़ा गया है कि कृत्रिम बाढ़ की स्थिति पैदा हो चुकी है जो बिहार को बर्बाद और तबाह कर देगी. इस भयावह स्थिति में लोग सावधान और सतर्क रहे, बिहार सरकार इस पर नजर बनाए हुई है. ह बिहार की खुद की बाढ़ नहीं है. यह एक कृत्रिम बाढ़ है, जो नेपाल की ओर से आई है. मुझे इस बार बिहार में बर्बादी दिखाई दे रही है.गिरिराज सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "नेपाल द्वारा कोसी बैराज से पानी छोड़े जाने की वजह से बिहार कृत्रिम बाढ़ की विभीषिका से जूझ रहा है. सरकारी तंत्र पूरी तन्मयता से इस चुनौती से निपटने हेतु तैयार है, किन्तु ऐसी प्रतिकूल परिस्थिति में महादेव से प्रार्थना है कि वे स्वयं बिहार की रक्षा करें."
शत्रुघ्न सिन्हा चिंतित
बॉलीवुड अभिनेता व आसनसोल से सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने बिहार की बाढ़ग्रस्त स्थिति पर चिंता जताई है.उन्होंने कहा, “हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि किसी भी तरह बिहार में स्थिति सामान्य हो जाए. सरकार अपनी तरफ से स्थिति को सामान्य बनाने की दिशा में भरसक प्रयास कर रही है. वाल्मिकीनगर बैराज से पानी छोड़े जाने से गंडक नदी के जल स्तर में लगातार वृद्धि जारी है.
मंत्री ने क्या कहा?
बिहार के जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने रविवार को बताया कि जल संसाधन विभाग की टीमें तटबंधों की चौबीसों घंटे निगरानी कर रही हैं.इसका मकसद है कि कटाव या खतरे का पता चलते ही तुरंत कार्रवाई की जा सके. विभाग के तीन अधीक्षण अभियंता, 17 कार्यपालक अभियंता, 25 सहायक अभियंता और 45 कनिष्ठ अभियंता चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं और उन्हें हमेशा सतर्क रहने को कहा गया है. घबराने की कोई बात नहीं है.पिछले दो-तीन दिनों से लगातार हो रही बारिश के बाद राज्य भर में गंडक, कोसी, बागमती, बूढ़ी गंडक, कमला बलान, महानंदा, बागमती और गंगा नदियों का जलस्तर बढ़ रहा है. नेपाल के जलग्रहण क्षेत्रों में लगातार बारिश के कारण सीमावर्ती जिलों में कई स्थानों पर नदियां खतरे के निशान को छू रही हैं या उससे ऊपर बह रही हैं.
केंद्र सरकार भी एक्टिव
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बिहार में आई बाढ़ के मद्देनजर बैठक की. बैठक में बाढ़ प्रभावित लोगों तक कैसे राहत सामाग्री पहुंचाई जाए, इस दिशा में प्लान तैयार किया. उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में एनडीआरएफ टीम की अहम भूमिका होती है. अभी तक 8 टीमें रिजर्व हैं और 11टीमों को बाढ़ प्रभावित इलाकों में भेज दिया गया है. पूर्वी बिहार के कई इलाकों में एनडीआरएफ की टीम मुस्तैदी से तैनात है. कोसी और गंडक प्रभावित इलाकों में एनडीआरएफ मुस्तैद है. जब तक हालात सामान्य नहीं हो जाते हैं, तब तक हम आप लोगों के साथ हाथ से हाथ मिलाकर रहेंगे. बाढ़ प्रबंधन के लिए केंद्र सरकार की तरफ से 11,500 करोड़ रुपये देने का ऐलान भी किया गया है.
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