
सिवान जिले की दरौंदा विधानसभा सीट बिहार की राजनीति में लगातार सुर्खियों में रहने वाली सीटों में से एक है. यह सीट सिवान लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है और जातीय समीकरण, स्थानीय नेतृत्व और एनडीए बनाम वाम गठबंधन की टक्कर के लिए जानी जाती है.
1950 के दशक में कांग्रेस के प्रभाव वाले इस इलाके में अब बीजेपी का जनाधार मजबूत हो चुका है. 2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार कर्णजीत सिंह उर्फ व्यास सिंह ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी. उन्होंने सीपीआई (एमएल) लिबरेशन के अमरनाथ यादव को 11,320 वोटों के अंतर से हराया. व्यास सिंह को 71,934 वोट मिले जबकि अमरनाथ यादव को 60,614 वोट हासिल हुए.
दरौंदा सीट पर यह मुकाबला सिर्फ दो उम्मीदवारों के बीच नहीं, बल्कि दो विचारधाराओं के बीच भी था — एक ओर बीजेपी का “सुशासन और विकास” एजेंडा, तो दूसरी ओर वामपंथी राजनीति का “संघर्ष और बदलाव” का नारा. इस बार भी मतदाताओं ने स्थिरता और विकास के पक्ष में वोट देकर बीजेपी को दोबारा मौका दिया.
दरौंदा का राजनीतिक समीकरण यादव, भूमिहार, राजपूत और दलित मतदाताओं के इर्द-गिर्द घूमता है. बीजेपी की मजबूत संगठन क्षमता और एनडीए के साझा प्रचार ने 2020 में व्यास सिंह की जीत को आसान बना दिया. वहीं, सीपीआई(एमएल) ने किसानों और श्रमिकों से जुड़े मुद्दों पर चुनाव लड़ा और दूसरा स्थान हासिल किया.
2025 के विधानसभा चुनाव से पहले इस सीट पर फिर दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है. एनडीए अपनी पकड़ बनाए रखने की कोशिश करेगा, जबकि महागठबंधन इस सीट को ‘रिक्लेम' करने की रणनीति पर काम कर रहा है.
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