सिवान जिले की बड़हरिया विधानसभा सीट से इस बार बड़ा राजनीतिक उलटफेर सामने आया है. मतगणना पूरी होने के बाद जेडीयू प्रत्याशी इंद्रदेव सिंह ने निर्णायक जीत हासिल की है. उन्हें कुल 93,600 वोट मिले, जबकि आरजेडी उम्मीदवार अरुण कुमार गुप्ता को 12,136 वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा. यह जीत 2020 में मिली हार का बदला मानी जा रही है, जिसने जेडीयू के लिए इस सीट पर नई ऊर्जा पैदा की है.
बड़हरिया सीट उन इलाकों में शामिल है जहां राजनीतिक मुकाबला हमेशा कांटे का होता है. सिवान लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली यह सीट जातीय समीकरण, स्थानीय मुद्दों और उम्मीदवार की व्यक्तिगत विश्वसनीयता—तीनों के आधार पर चलती है. 1952 में पहली बार जब चुनाव हुए थे, तब कांग्रेस के सघिरुल एच. यहां से विजयी हुए थे, लेकिन समय के साथ राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदल चुके हैं.
सुबह 11 बजे तक के रुझानों में ही यह स्पष्ट हो गया था कि मुकाबला बेहद दिलचस्प होगा. जेडीयू के इंद्रदेव सिंह ने शुरुआती बढ़त बनाए रखी, जबकि आरजेडी के अरुण कुमार गुप्ता धीरे-धीरे पीछे होते गए.
2020 में इस सीट पर आरजेडी ने बेहद करीबी जीत हासिल की थी. बच्चा पांडे ने जेडीयू के श्याम बहादुर सिंह को मात्र 3,559 वोटों के अंतर से हराया था. बच्चा पांडे को तब 71,793 वोट, जबकि श्याम बहादुर सिंह को 68,234 वोट मिले थे. यह जीत सिवान जिले में आरजेडी की वापसी का बड़ा संकेत मानी गई थी.
बड़हरिया की राजनीति की नींव पूरी तरह जातीय और सामाजिक संरचना पर टिकी है. यादव-मुस्लिम समीकरण यहां आरजेडी को मजबूती देता है, जबकि जेडीयू एनडीए के सामाजिक संतुलन, विकास कार्यों और अपने स्थानीय नेटवर्क के जरिए मुकाबला करती रही है. यही वजह है कि यह सीट किसी भी दल के लिए “सेफ सीट” नहीं मानी जाती.
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