बिहार में सत्तारूढ़ एनडीए के घटक दल बीजेपी और जनता दल यूनाइटेड के बीच जारी खींचतान स्पष्ट है. हर दूसरे दिन दोनों दलों के नेता एक दूसरे पर किसी ना किसी मुद्दे पर हमला बोलते दिखते हैं. इसी क्रम में अब नीतीश मंत्रिमंडल में वरिष्ठ सदस्य और जनता दल यूनाइटेड के नेता विजेंद्र प्रसाद यादव ने बीजेपी पर निशाना साधा है. सीएम नीतीश कुमार के करीबी माने जाने वाले नेता ने साफ साफ कहा है कि अपनी ही सरकार की आलोचना करना कहीं से ठीक नहीं है. उन्होंने बिहार बीजेपी के अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल के नाम लिए बिना कहा कि लोगों को बोलने की बीमारी हो गई है. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि अब केंद्र और राज्य एनडीए में कोई कोऑर्डिनेशन कमिटी है.
'लोगों को बोलने की बिमारी हो गई'
एक कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बात करते हुए बिहार के ऊर्जा मंत्री ने कहा, " अरोप प्रत्यारोप विपक्ष का काम है. सहयोगी ऐसा करें तो ये अच्छी परंपरा की शुरुआत नहीं है. सहयोगियों को अगर किसी मुद्दे पर परेशानी है तो मुख्यमंत्री के साथ बैठकर बातचीत से इसका समाधान निकालना चाहिए. लेकिन लोगों को बोलने की बिमारी हो गई है. पहले मर्यदा और नियंत्रण थी, लेकिन इसमें अब थोड़ी कमी दिख रही है. वाजपेयी जी के समय क्वार्डिनेशन कमेटी भी बनती थी, अब तो ना ये दिल्ली में है ना यहां. समन्वय होना जरूरी है."
“पहले एक मर्यादा थी , एक नियंत्रण था “ @NitishKumar मंत्रिमंडल के वरिष्ठ मंत्री विजेंद्र यादव सहयोगी भाजपा ख़ासकर भाजपा के अध्यक्ष@sanjayjaiswalMP के बारे में कह रहे हैं और उनकी हर मुद्दे पर अपने सरकार की आलोचना को भी अच्छी परंपरा नहीं मानते@ndtvindia pic.twitter.com/CW892K1n0B
— manish (@manishndtv) July 22, 2022
पार्टियों में समन्वय होना चाहिए
विजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा, " आप बाहर किसे सुना रहे हैं. तीन पार्टी मिलकर सरकार चला रही है. ऐसे में आपको खुद ही सुधार करना है. सरकार आपकी है, आपस में बैठकर समाधान करिए. कैबिनेट में बैठकर निर्णय होता है. ऐसे में इस मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए और पार्टियों में समन्वय होना चाहिए. ये जरूरी है." बीजेपी मंत्रियों के आरोप पर उन्होंने कहा कि संविधान में नियम है कि मुख्यमंत्री को सलाह देने के लिए मंत्रिमंडल होता है. ऐसे में ये सवाल कहां से आता है कि उनकी चलती नहीं है.
गौरतलब है कि बीते दिनों नीतीश कुमार ने भूमि सुधार विभाग के तहत 300 से अधिक कर्मचारियों के तबादले के आदेश पर रोक लगा दी थी. उक्त विभाग बीजेपी कोटा से मंत्री बने विधायक रामसूरत राय के अधीन है. ऐसे में दोनों पार्टियों के बीच इस बात को लेकर तल्खी बढ़ गई. मंत्री ने तो यहां तक कह दिया था कि अगर ऐसा ही हुआ तो वे जनता दरबार में शामिल ही नहीं होंगे.
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