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Bihar Chunav: ओबीसी, सवर्ण... बिहार में बीजेपी ने चला विनिंग फॉर्मूला, समझिए तीन नामों के पीछे की इनसाइड स्टोरी

Dharmendra Pradhan News: बिहार में बीजेपी ने जीत के लिए रणनीति बनानी शुरू कर दी है. पार्टी नीतीश कुमार के नेतृत्व में जीत के लिए तमाम जतन कर रही है. बीजेपी ने इसके लिए अपने विश्वस्त नेताओं पर दांव लगाया है. धर्मेंद्र प्रधान, केशव प्रसाद मौर्य और सीआर पाटिल को पार्टी ने बिहार का प्रभारी बनाया है.

  • बीजेपी ने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए केंद्रीय शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान को चुनाव प्रभारी नियुक्त किया है
  • धर्मेंद्र प्रधान पहले भी बिहार के प्रभारी रह चुके हैं और पार्टी के प्रमुख चुनाव रणनीतिकार माने जाते हैं
  • गुजरात बीजेपी अध्यक्ष सीआर पाटिल और उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को सह प्रभारी बनाया गया है
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बिहार विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने अपने चुनाव प्रभारियों का ऐलान कर दिया है. केंद्रीय शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान बिहार के चुनाव प्रभारी बनाए गए हैं जबकि केंद्रीय जल शक्ति मंत्री और गुजरात बीजेपी के अध्यक्ष सीआर पाटिल और उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य सह प्रभारी बनाए गए हैं. बीजेपी ने अपने चुनाव प्रभारियों की नियुक्ति से एक बड़ा राजनीतिक संदेश दिया है. एक ऐसे राज्य में जहां एनडीए करीब दो दशकों (बीच में कुछ समय नीतीश कुमार आरजेडी के साथ भी रहे) से सत्ता में है और अब सत्ता विरोधी माहौल बनाने की कोशिश हो रही है, बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी ने एक बड़ा दांव चल दिया है.

धर्मेंद्र का चलेगा जलवा 

धर्मेंद्र प्रधान के लिए बिहार नया नहीं है. वे इससे पहले भी बिहार के प्रभारी रह चुके हैं. वे 2010 में राज्य संगठन के सह प्रभारी थे. उस समय उनकी उम्र केवल 40 वर्ष थी. तब उन्हें अरुण जेटली और अनंत कुमार जैसे नेताओं का मार्गदर्शन मिला था. उस समय एनडीए ने राज्य में 206 सीटों के साथ ऐतिहासिक विजय प्राप्त की थी. राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ उनकी व्यक्तिगत नजदीकी है. 2014 में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने के बाद नीतीश कुमार ने बीजेपी से रिश्ता तोड़ा था. 2015 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अलग चुनाव लड़ा था. तब केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार के साथ उन्हें बिहार का सह प्रभारी बनाया गया था. दिलचस्प बात यह है कि तब धर्मेंद्र प्रधान के साथ सीआर पाटिल भी बीजपी के बिहार के लिए चुनाव सह प्रभारी थे हालांकि तब आरजेडी जेडीयू ने मिलकर बीजेपी को हरा दिया था. बाद में नीतीश कुमार बीजेपी के साथ आए लेकिन 2020 के बाद वापस आरजेडी के साथ चले गए थे और 2024 के चुनाव से पहले फिर बीजेपी के साथ आए. ऐसा माना जाता है कि उनकी वापसी में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और धर्मेंद्र प्रधान की बड़ी भूमिका थी. प्रधान बीजेपी के प्रमुख चुनावी रणनीतिकारों में से एक हैं. इससे पहले वे उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक जैसे राज्यों के प्रभारी भी रह चुके हैं. पिछले साल बेहद कठिन माने जाने वाले हरियाणा की कमान उन्हें सौंपी गई थी जहां बीजेपी ने राजनीतिक पर्यवेक्षकों को हैरान करते हुए लगातार तीसरी बार जीत हासिल की. उत्तर प्रदेश में 2017 के विधानसभा चुनाव और 2019 लोक सभा चुनाव में भी बीजेपी ने उन्हें जिम्मेदारी दी थी. इन दोनों ही चुनावों में बीजेपी ने ऐतिहासिक जीत हासिल की थी. संगठन पर उनकी मजबूत पकड़ और चुनावी मुद्दों की उनकी समझ उन्हें बीजेपी लिए बेहद खास बनाती है.

सी आर पाटिल

गुजरात बीजेपी के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री सीआर पाटिल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बेहद विश्वस्त हैं. गुजरात में पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अब तक का अपना सबसे बेहतर प्रदर्शन किया था. पार्टी ने 2022 में राज्य की 182 में से 156 सीटें जीती थीं और उसे 52 प्रतिशत से भी अधिक वोट मिले थे. इस प्रदर्शन के पीछे सीआर पाटिल की कुशल चुनावी रणनीति को श्रेय दिया गया था. पाटिल इससे पहले 2015 में भी बिहार के चुनाव सह प्रभारी रह चुके हैं. 2014 के बाद से उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय चुनाव क्षेत्र वाराणसी को भी संभाला. वे मध्य प्रदेश और कर्नाटक के विधानसभा चुनावों में भी प्रमुख भूमिका निभा चुके हैं. वैसे पाटिल महाराष्ट्र के रहने वाले हैं लेकिन उनकी कर्मभूमि गुजरात ही रही है.

केशव प्रसाद मौर्य

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री मौर्य को बिहार का सह प्रभारी बना कर बीजेपी ने एक बार फिर उन पर विश्वास जताया है. उत्तर प्रदेश में चार बड़ी जीतों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके केशव प्रसाद मौर्य गृह मंत्री अमित शाह के बेहद करीबी माने जाते हैं. 2017 में वे उत्तर प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष थे. तब बीजेपी ने राज्य में पहली बार प्रचंड बहुमत हासिल किया था, हालांकि बाद में 2022 में वे सिराथू में विधानसभा उपचुनाव हार गए थे लेकिन इसके बावजूद पार्टी नेतृत्व ने उन्हें उपमुख्यमंत्री बना कर अपना विश्वास जताया.

जातीय समीकरण को भी साधा

बीजेपी ने बिहार के अपने प्रभारियों के जरिए जातीय समीकरणों को भी साधने का प्रयास किया है. धर्मेंद्र प्रधान और केशव प्रसाद मौर्य ओबीसी हैं जबकि सी आर पाटिल फ़ॉरवर्ड कास्ट से हैं. बीजेपी की नजरें बिहार में गैर यादव ओबीसी पर हैं. पार्टी को उम्मीद है कि प्रधान और मौर्य को जिम्मेदारी देने से इस वर्ग को संदेश दिया जा सकेगा. राज्य में अति पिछड़ों की गोलबंदी नीतीश कुमार पहले ही कर चुके हैं. वहीं सीआर पाटिल मराठा हैं और उनकी नियुक्ति से बीजेपी फ़ॉरवर्ड कास्ट को संदेश देना चाहती है.

अमित शाह की कमान

बिहार प्रभारियों की नियुक्ति से यह संदेश भी जा रहा है कि राज्य चुनाव की कमान अमित शाह ने पूरी तरह से अपने हाथों में ले ली है. दरअसल, इस चुनावों में जेडीयू के साथ बीजेपी का भी काफी कुछ दांव पर लगा है. बिहार राजनीतिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है जहां एक बार फिर विपक्ष एकजुट होकर बीजेपी-जेडीयू गठबंधन को चुनौती दे रहा है. इसी बीच प्रशांत किशोर तीसरी शक्ति के रूप में उभरने का प्रयास कर रहे हैं. वे बीजेपी और जेडीयू के राज्य के शीर्ष नेताओं पर लगातार आरोप लगा कर सत्तारूढ़ गठबंधन को बचाव की मुद्रा में ला रहे हैं.  ऐसे में अमित शाह आक्रामक ढंग से चुनाव लड़ने के पक्ष में हैं. उनका जोर एनडीए की एकता पर है और प्रभारियों की नियुक्ति इसी बात का संकेत दे रही है कि बीजेपी सहयोगियों के साथ मधुर संबंध रखने वालों नेताओं को प्रमुखता दे रही है.

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