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गंभीरता की कमी... बिहार SIR पर चर्चा के लिए नहीं पहुंचे 8 राजनीतिक दल, चुनाव आयोग नाराज

बिहार के नेताओं का आरोप है कि मतदाता सत्यापन के लिए मांगे गए 11 दस्तावेज ज्यादातर लोगों के पास नहीं हैं. इससे करोड़ों लोग वोटर लिस्ट से बाहर हो जाएंगे.

राजनीतिक दलों पर फूटा चुनाव आयोग का गुस्सा.

  • बिहार विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति तेज हो गई है.
  • कांग्रेस और इंडिया ब्लॉक के दलों ने वोटर लिस्ट पुनरीक्षण पर गंभीर चिंता जताई है.
  • 11 दलों के नेताओं ने चुनाव आयोग पर वोटर बेदखली का आरोप लगाया, इसे वोटबंदी करार दिया.
  • चुनाव आयोग ने 10 राजनीतिक दलों को चर्चा के लिए बुलाया, केवल दो दलों के प्रमुख ही पहुंचे.
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नई दिल्ली:

बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहे हैं, आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति भी शुरू हो गई है. चुनाव आयोग से लेकर राजनीतिक दल तक, हर कोई अपने काम में लगा हुआ है. वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (Bihar Voter List Revision) के फैसले पर कांग्रेस समेत इंडिया ब्लॉक के दल रहे हैं. 11 दलों के नेताओं ने बुधवार को चुनाव आयोग से मुलाकात के बाद आरोप लगाया कि बिहार के करोड़ों लोगों को वोट डालने से बेदखल करने की तैयारी चल रही है. ये नेता इसे वोटबंदी कह रहे हैं. इस आरोपों के बीच चुनाव आयोग ने 10 राजनीतिक दलों को 2 जुलाई की शाम 5 बजे मामले पर चर्चा के लिए बुलाया था, जिनमें सिर्फ दो पार्टियां ही चुनाव आयोग के दफ्तर पहुंचीं.

ये भी पढ़ें-वोटबंदी? बिहार में करोड़ों लोगों को वोट डालने से रोकने की साजिश... आयोग से 11 दलों के नेताओं की शिकायत

चुनाव आयोग ने 10 राजनीतिक दलों को बुलाया था

बता दें कि चुनाव आयोग ने मामले की गंभीरता को देखते हुए 30 जून को सभी 10 राजनीतिक दलों के प्रमुखों को निमंत्रण भेजा था और बिहार में चल रहे एसआईआर पर चर्चा के लिए  2 जुलाई को अपने दफ्तर बुलाया था. जिसके बाद सिर्फ दो दलों के प्रमुख ही वहां पहुंचे. इस पर चुनाव आयोग का कहना है कि दलों में गंभीरता की कमी है.

EC ने इन 10 दलों को चर्चा के लिए बुलाया

  1. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
  2. अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस
  3. राष्ट्रीय जनता दल
  4. समाजवादी पार्टी
  5. द्रविड़ मुनेत्र कड़गम
  6. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी - शरदचंद्र पवार
  7. झारखंड मुक्ति मोर्चा
  8. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी)
  9. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) मुक्ति
  10. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी

 चुनाव आयोग की नाराजगी

अब चुनाव आयोग ने नाराजगी जताते हुए कहा है कि गरुवार शाम आयोग के साथ बैठक के लिए सिर्फ 2 दलों सीपीआई और सीएलआई (एमएल) एल के प्रमुख ही पहुंचे. बैठक में कुल 14 लोग शामिल हुए थे. जिनमें अन्य 5 लोगों को आरजेडी, सीपीआईएम और सीपीआई(एमएल)  ने भेजा था. बाकी जो 7 लोग बैठक में पहुंचे थे, वह राजनीतिक दलों के प्रमुखों द्वारा अधिकृत भी नहीं थे. 

बिहार के लोगों का वोट डालने का अधिकार खतरे में

बता दें नेताओं का आरोप है कि मतदाता सत्यापन के लिए मांगे गए 11 दस्तावेज ज्यादातर लोगों के पास नहीं हैं. इससे करोड़ों लोग वोटर लिस्ट से बाहर हो जाएंगे. उनका कहना है कि इस तरह बिहार के गरीबों और दूसरे राज्यों में काम करने वालों का वोट डालने का अधिकार खतरे में पड़ गया है.

EC से नहीं मिला संतोषजनक जवाब

सीपीआई (माले) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने चुनाव आयोग से मुलाकात के बाद कहा कि उनकी चिंताएं और बढ़ गई हैं, क्यों कि किसी भी सवाल का संतोषजनक जवाब नहीं मिला है.
 

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