
- बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण पूरा हो चुका है
- मतदाता सूची में सुधार के लिए सभी जिलों में राजनीतिक दलों को डिजिटल कॉपी भी उपलब्ध करा दी गई
- मतदाता दावे और आपत्तियों की प्रक्रिया 1 अगस्त से शुरू होकर 1 सितंबर तक चलेगी
बिहार ड्राफ्ट वोटर लिस्ट की कॉपी चुनाव आयोग द्वारा राजनीतिक दलों को दे दी गई है. इसमें राज्य की सभी 243 विधानसभा के 90817 पोलिंग स्टेशन का डेटा शामिल है. 38 जिलों के माध्यम से सभी राजनीतिक पार्टियों को ये सूची दी गई है. ड्रॉफ्ट वोटर लिस्ट को चुनाव आयोग ने अपनी वेबसाइट पर जारी कर दिया है. विधानसभा चुनाव से पहले भारत निर्वाचन आयोग ने बिहार मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान चलाया. वोटर लिस्ट रिवीजन का शुरुआती चरण पूरा हो गया है. वोटर चुनाव आयोग की ऑफिशियल वेबसाइट पर भी जाकर चेक किया जा सकता है.

क्या है दावे और आपत्तियों की प्रक्रिया
राज्य के सभी 38 जिला निर्वाचन अधिकारियों (डीईओ) द्वारा बिहार के सभी 38 जिलों में सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को इसकी फिजिकल और डिजिटल कॉपियां भी दे दी गई. बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) और 243 निर्वाचक निबंधन अधिकारी (ईआरओ) उस विधानसभा क्षेत्र के किसी भी मतदाता या बिहार के किसी भी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल किसी भी छूटे हुए पात्र मतदाता के नाम जोड़ने, किसी भी अपात्र मतदाता के नाम हटाने या मसौदा मतदाता सूची में किसी भी सुधार के लिए दावे और आपत्तियां देने के लिए आमंत्रित करेंगे.
आप वोटर लिस्ट में अपना नाम देखने के लिए आप वेब ब्राउज़र में यह कॉपी पेस्ट करें-
- सबसे पहले बेवसाइट पर https://www.eci.gov.in/
- इसके बाद पेज पर नीचे दिए गए दो ऑप्शन दिखेंगे
- ग्रीन वाले ऑप्शन में जाकर अपना नाम देख सकते हैं.

- पेज पर Enumeration Form (Bihar) दिखेगा
- इसके नीचे दो ऑप्शन मिलेंगे
- जिसके पहले ऑप्शन में अपना एपिक नंबर डालकर चेक कर सकते हैं
- वहीं दूसरे ऑप्शन में Enumeration फॉर्म में स्टेट्स चेक कर सकते हैं
- अगर लिस्ट में आपका नाम नहीं तो रेड निशान वाल ऑप्शन पर क्लिक करें.
- जहां डिटेल्स भर नाम शामिल करने/हटाने पर आपत्ति जता सकते हैं.
1 सितंबर तक दर्ज करा सकते हैं आपत्ति
बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अहम टिप्पणी की थी. चुनाव आयोग द्वारा तैयार की जा रही मतदाता सूची से 65 लाख मतदाताओं के बाहर हो जाने की आशंका पर कोर्ट ने कहा था कि अगर 'सामूहिक रूप से बाहर करने' की कोई स्थिति आती है तो सुप्रीम कोर्ट हस्तक्षेप करेगा. दावे और आपत्तियां दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू होगी, जो 1 सितंबर तक चलेगी. इस दौरान, जिन मतदाताओं के नाम गलत ढंग से हटाए गए हैं, वे संबंधित अधिकारियों से समाधान की मांग कर सकते हैं.
- चुनाव आयोग आज विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (SSR) के तहत मतदाता सूची प्रकाशित करेगा
- रोजाना (सोमवार से रविवार) राज्य के सभी मतदान केंद्रों पर विशेष कैंप लगाए जाएंगे.
- हर बूथ पर कम से कम दो कर्मियों (एक कंप्यूटर ऑपरेटर सहित) मौजूद रहेंगे.
- बीडीओ को निर्देश है कि विशेष कैंप में कम से कम दो कर्मियों की तैनाती सुनिश्चित करें.
- विशेष कैंप का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाएगा.
- जिला स्तर पर प्रेस नोट जारी होगा और राजनीतिक दलों को जानकारी दी जाएगी.
- इस बार SSR-6 कार्यक्रम के तहत व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाएगा.
बिहार वोटर लिस्ट रिवीजन का विरोध
चुनाव आयोग का दावा है कि राज्य में 7.93 करोड़ पंजीकृत मतदाता थे, जब पिछले महीने के अंत में SIR का आदेश दिया गया, जिससे विपक्ष और कुछ अन्य संगठनों में नाराज़गी और विरोध शुरू हो गया. हाल ही में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने चेतावनी दी कि अगर चिंताओं को गंभीरता से नहीं लिया गया तो वे आगामी चुनावों का "बहिष्कार" कर सकते हैं. SIR के पहले चरण में, मतदाताओं को "गणना फॉर्म" दिए गए, जिन्हें बूथ स्तर के अधिकारी (BLO) या राजनीतिक दलों द्वारा नामित बूथ स्तर के एजेंट (BLA) ने वितरित किया. मतदाताओं को इन फॉर्मों पर साइन कर पहचान के प्रमाण के रूप में स्वीकार्य दस्तावेज़ संलग्न कर वापस करना था.
बिहार वोटर लिस्ट रिवीजन पर क्या हुआ
लोगों को ये फॉर्म ऑनलाइन डाउनलोड और जमा करने का विकल्प भी दिया गया था. यह प्रक्रिया 25 जुलाई तक पूरी हो गई थी और चुनाव आयोग के अनुसार, "7.23 करोड़ मतदाताओं" ने अपने फॉर्म जमा किए, 35 लाख लोग "स्थायी रूप से पलायन कर गए या उनका कोई पता नहीं चला." 22 लाख लोगों के मृत होने की सूचना मिली, जबकि 7 लाख लोग एक से अधिक मतदाता सूची में पंजीकृत पाए गए. चुनाव आयोग ने यह भी दावा किया कि 1.2 लाख मतदाताओं ने गणना फॉर्म जमा नहीं किए. यह काम BLOs द्वारा 77,895 मतदान केंद्रों पर किया गया, जिसमें 1.60 लाख BLAs और अन्य स्वयंसेवकों ने सहयोग किया, और 243 EROs (मतदाता पंजीकरण अधिकारी) तथा 2,976 सहायक EROs की निगरानी में पूरा हुआ.
इस बीच, मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने "बिहार के मतदाताओं" को संदेश भी दिया, जिसमें उन्होंने कई तरह की आशंकाओं को दूर करने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि 1 अगस्त से 1 सितंबर के बीच, "बिहार के किसी भी विधानसभा क्षेत्र का कोई भी मतदाता या कोई भी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल" "दावे और आपत्तियां दर्ज कर सकता है. किसी भी पात्र मतदाता का नाम जोड़ने, किसी भी अपात्र मतदाता का नाम हटाने या मसौदा मतदाता सूची में किसी प्रविष्टि को सुधारने के लिए."
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