- नीतीश कुमार ने 20 नवंबर को दसवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है.
- नीतीश के मंत्रिमंडल गठन में जातीय समीकरण का खास ध्यान रखा गया है लेकिन क्षेत्रीय संतुलन नजर नहीं आया.
- भाजपा ने पिछड़ा और दलित समाज में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए कुशवाहा और अन्य वर्गों को महत्व दिया है.
नीतीश कुमार एक बार फिर से बिहार के मुख्यमंत्री बन गए हैं. 20 नवंबर को उन्होंने 10वीं बार सीएम पद की शपथ ली. प्रचंड बहुमत के बाद किसी भी दल के मुखिया पर किसी भी तरह का दबाव नहीं होता है कि वह किसे मंत्री बनाए और किसे नहीं बनाए. लेकिन बिहार में कई क्षेत्र भाषा और सभ्यता के आधार पर बंटे हुए हैं. इस हालात में किसी भी गठबंधन के लिए मुश्किल हो जाती है कि वह क्षेत्रीय संतुलन के साथ-साथ जातीय तौर पर संवेदनशील बिहार में एक रूप दे .
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नीतीश कैबिनेट के मंत्रियों की लिस्ट देखें
बीजेपी
- सम्राट चौधरी - कुशवाहा- मुंगेर
- विजय सिन्हा - भूमिहार-लखीसराय
- दिलीप जायसवाल - वैश्य - किशनगंज
- मंगल पांडे - ब्राह्मण - सिवान
- नितिन नवीन - कायस्थ - पटना
- सुरेंद्र मेहता - कुशवाहा - बेगूसराय
- संजय टाइगर - राजपूत - आरा
- लखेंद्र पासवान- पासवान - वैशाली
- श्रेयसी सिंह - राजपूत - जमुई
- अरुण शंकर प्रसाद- सुढी- मधुबनी
- राम कृपाल यादव - यादव - पटना
- रमा निषाद - मल्लाह- मुजफ्फरपुर
- नारायण शाह - बनिया- चंपारण
- प्रमोद कुमार चंद्रवंशी - अति पिछड़ा - औरंगाबाद
जेडीयू
- नीतीश कुमार - कुर्मी - नालंदा
- अशोक चौधरी- दलित - पटना
- लेसी सिंह- राजपूत - पूर्णिया
- सुनील कुमार- दलित - गोपालगंज
- विजेंद्र यादव- यादव- सुपौल
- श्रवण कुमार- कुर्मी - नालंदा
- विजय चौधरी- भूमिहार- समस्तीपुर
- मदन साहनी- मल्लाह - दरभंगा
- जमा खान- मुस्लिम- कैमूर
एलजेपी (आर)
- संजय पासवान - पासवान- बेगूसराय
- संजय सिंह - राजपूत - वैशाली
हम
- संतोष कुमार सुमन - दलित - गया
आरएलएम
- दीपक प्रकाश - कुशवाहा - नॉन इलेक्टेड
सवर्ण से पिछड़ा तक, सबका रखा ध्यान
बीजेपी अपना प्रसार अति पिछड़ा और दलित समाज में मजबूती से करना चाहती है. साथ ही साथ वह मजबूत पिछड़ा वर्ग को भी साथ रखना चाहती है. कुशवाहा समाज से सम्राट को बड़ी मजबूती से आगे रखा, तो सवर्ण समाज से विजय सिन्हा भी हैं . विश्व विख्यात शूटिंग चैंपियन सुश्री श्रेयसी सिंह को मंत्री पद युवा वर्ग को लुभायेगा तो अति पिछड़ा समाज से रामा निषाद सन ऑफ़ मल्लाह मुकेश सहनी के प्रभाव को न्यूट्रल करेंगी.
नीतीश ने पुराने लोगों को फिर बनाया मंत्री
नीतीश कुमार ने लगभग वही पुराने लोगों को फिर से मंत्री बनाया है. अपने खासमखास विजेंद्र यादव , विजय चौधरी , अशोक चौधरी , जमा ख़ान वही पुराने चेहरे हैं. नीतीश बहुत कुछ नया प्रयोग के चक्कर में नहीं दिखे .

PTI फोटो.
मांझी और कुशवाहा के बेटे बने मंत्री
वहीं मांझी और उपेंद्र कुशवाहा, दोनों ही अपने अपने बेटों को मंत्रिमंडल में प्रवेश करवा लेने में सफल रहे. बहुसंख्यक यादव समाज से दोनों प्रमुख दलों ने एक-एक यादव को जगह दी. कुर्मी समाज से स्वयं नीतीश कुमार है, तो नालंदा के दूसरे ताकतवर श्रवण कुमार भी मंत्रिमंडल में शामिल किए गए हैं .
राजपूत समाज से कई मंत्री बने हैं. इस बार सबसे ज्यादा 32 राजपूत विधायक बने हैं . लोजपा ( आर) से महुआ विधायक काफ़ी बड़े व्यवसायी हैं. लेसी सिंह ने पुनः वापस की हैं. आरा के संजय टाइगर काफ़ी पुराने बीजेपी कार्यकर्ता रहे हैं . हीं सुश्री श्रेयसी सिंह युवाओं में काफ़ी लोकप्रिय हैं.
नीतीश कैबिनेट कैसे हुई तय?
कुल मिलाकर नीतीश मंत्रिमंडल में जातीय समीकरण का खास ध्यान रखा गया है. लेकिन क्षेत्रीय आधार पर संतुलन की जरूरत थी, जो नज़र नहीं आया. प्रशांत किशोर ने जिन-जिन नेताओं पर आरोप लगाया था, उन सभी को मंत्रिमंडल में जगह मिली है. बता दें कि सीएम नीतीश कुमार के साथ उनके साथ 26 और कैबिनेट और राज्यमंत्रियों ने शपथ ली है. इन मंत्रियों में तीन महिलाएं शामिल और एक मुस्लिम विधायक शामिल हैं.
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