- जीतन राम मांझी ने राज्यसभा सीट न मिलने पर भी गठबंधन और साथियों से दूरी नहीं बनाने का स्पष्ट संकेत दिया.
- उन्होंने दलित, पिछड़े और वंचित वर्गों की आवाज को मजबूत करना अपना प्राथमिक उद्देश्य बताया है
- जीतन राम मांझी ने पार्टी और गठबंधन के निर्णय को स्वीकार करने और जरूरत पड़ने पर आत्ममंथन करने की बात कही.
केंद्रीय मंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख जीतन राम मांझी ने राज्यसभा सीट को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट की है. उन्होंने कहा कि अगर उन्हें राज्यसभा में जगह नहीं भी मिलती है, तो वे नाराज होकर न तो गठबंधन छोड़ेंगे और न ही अपने साथियों से मुंह मोड़ेंगे. मांझी ने यह भी कहा कि राजनीति में पद से ज्यादा सिद्धांत और भरोसे का महत्व होता है. उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि राज्यसभा जाना उनका व्यक्तिगत लक्ष्य नहीं है, बल्कि वे दलित, पिछड़े और वंचित वर्गों की आवाज को मजबूत करना चाहते हैं.
गठबंधन में एकजुटता का संदेश
जीतन राम मांझी ने कहा अगर पार्टी और गठबंधन कोई और निर्णय लेता है, तो वे उसे स्वीकार करेंगे. हालांकि उन्होंने यह भी संकेत दिया कि यदि जरूरत पड़ी तो वे प्रदेश स्तर पर अपने पद को लेकर आत्ममंथन कर सकते हैं. मांझी के इस बयान को गठबंधन में एकजुटता का संदेश माना जा रहा है. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इससे यह साफ होता है कि वे दबाव की राजनीति नहीं करना चाहते, बल्कि स्थिरता और विश्वास बनाए रखना उनकी प्राथमिकता है.
बता दें कि केंद्रीय मंत्री और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के संस्थापक जीतन राम मांझी ने रविवार को सार्वजनिक रूप से अपनी पार्टी के लिए एक राज्यसभा सीट की मांग की है. साथ ही उन्होंने ये भी स्पष्ट कहा है कि अगर राज्यसभा में जगह नहीं भी मिलती है, तो वे नाराज नहीं होगे.
बिहार में हाल ही हुए विधानसभा चुनाव में राजग ने 243 सीट में से 202 पर जीत हासिल की, जिनमें भाजपा के 89, जदयू के 85, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के 19, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के पांच और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमा) के चार विधायक शामिल हैं.
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