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जमीन सर्वे ग्राउंड रिपोर्ट : बिहार में हजारों परेशान- बाबा ने जुबानी बांटी थी जमीन, अब कैसे बने खतियान?

Bihar Land Survey: बिहार में लैंड सर्वे यानी भूमि सर्वेक्षण को लेकर लोगों के दिलों की धड़कनें बढ़ी हुईं हैं. आखिर खानदानी जमीन के कागजात जमा करने हैं. कइयों के पास कागज भी नहीं हैं. जानिए, क्या है माहौल...

Bihar Land Survey: नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में भी लैंड सर्वे का काम धीमा चल रहा है.

पटना:

बिहार के करीब 45 हजार राजस्व गांवों में जमीन सर्वे की प्रक्रिया चल रही है. इसको लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. लोग जानना चाहते हैं कि वैसी जमीन जिसका बंटवारा पूर्वजों के द्वारा मौखिक तौर पर हुआ है या जो बदलेन है उन जमीनों का खतियान किसके नाम बनेगा?  बेगूसराय रामगिरी गांव निवासी किसान कमलदेव सिंह बताते हैं कि उनकी जमीन पुश्तैनी जमीन है, जिसका बंटवारा उनके परदादा के जमाने में मौखिक रूप से किया गया था. इसका कोई लिखित कागजात नहीं है और उसके बाद उन जमीन के हिस्सेदारों में से बहुत से लोगों ने अपनी जमीन बेच भी दी है और अब जब सरकार जमीन का सर्वे का कार्य कर रही है तो उनके मौखिक बंटवारा किए गए जमीन का क्या होगा और खतियान किसके नाम होगी? साथ ही वे बताते हैं कि बीते 10 वर्षों से कर्मचारी और अंचल अधिकारी के ऑफिस का चक्कर लगाते-लगाते थक गए, लेकिन उनकी पुश्तैनी जमीन का न तो मुटेशन उनके नाम हो सका और न ही आपसी बंटवारा. अब उन्हें डर सता रहा है कि सर्वे के बाद उनकी जमीन किसकी होगी?

आवासीय भूमि में ज्यादा दिक्कत

वहीं दूसरी ओर अंचल में कार्य करने वाले अंचल अमीन शंभू प्रसाद सिंह बताते हैं कि आवासीय भूखंड और कृषि योग जमीन को मापने में उतनी कठिनाइयां नहीं हैं जितनी की आवासीय भूमि में. खतियान पुरानी है. हालांकि, हिस्सेदारों ने या तो अपनी जमीन बेच दी या उसमें कई मकान बन गए हैं. अब जब सर्वे का कार्ड चल रहा है तो सभी खतियान के आधार पर अपनी हिस्सेदारी मांग रहे हैं, क्योंकि पहले के जमाने में जमीन का बंटवारा मौखिक आधार पर होता था. बहुत कम ही ऐसे व्यक्ति थे, जो बंटवारा के कागज बनाते थे या केवला होता था.

खतियान कैसे बनेगा?

इस बाबत बेगूसराय जिले के बंदोबस्त पदाधिकारी विजय कुमार सिंह बताते हैं कि बिहार में चल रहे भूमि सर्वेक्षण के दौरान जमीन की पारिवारिक बंटवारे का रजिस्टर्ड दस्तावेज जरूरी है. अगर बंटवारा मौखिक रूप से हुआ है तो संयुक्त खतियान बनेगा. सर्वे अधिकारियों के मुताबिक स्वघोषणा के समय अपनी जमीन का रकबा, चौहद्दी, खेसरा की जानकारी, जमाबंदी यानी भू-राजस्व रसीद की फोटोकॉपी, खतियान की कॉपी आदि दस्तावेज देने होंगे.

अदला-बदली वाली जमीन

 इसी तरह अदला-बदली (बदलेन) के लिए मौखिक समझौता मान्य नहीं होगा. समझौते का रजिस्टर्ड दस्तावेज जरूरी है. आपके पास जमीन की अदला-बदली का रजिस्टर्ड दस्तावेज होने पर ही खतियान आपके नाम पर बनेगा. समझौता रजिस्टर्ड नहीं होने की स्थिति में मूल मालिक के नाम पर खतियान बनेगा. 

ये भी कर रहे दावा

भूमि संबंधित जानकारी रखने वाले अधिवक्ता प्रमोद कुमार सिंह बताते हैं कि 100 वर्षों के बाद जमीन के सर्वे का कार्य चल रहा है और इसको लेकर कानूनी रूप से कई तरह की परेशानियां सामने आ रही हैं. सबसे बड़ी परेशानी पूर्वजों के द्वारा जमीन का मौखिक बंटवारा और बदलेन है. इनके कागज नहीं हैं और बाद में हिस्सेदारों ने जमीन भी बेच दी, लेकिन जब से सर्वे का कार्य शुरू हुआ है तो खतियान के आधार पर अपनी जमीन बेचने वाले भी अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं. ऐसी स्थिति में भविष्य में जमीन को लेकर भूमि विवाद और बढ़ने की संभावना है.

नालंदा में भूमि सर्वेक्षण का हाल

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिला नालंदा में सर्वे का कार्य काफी धीमी गति से चल रहा है. जिले के कई ऐसे इलाके हैं, जहां सर्वे अधिकारी अब तक नहीं पहुंचे. इसके चलते लोगों को अब तक नहीं पता कि सर्वे कैसे होगा? किसान विक्रम ने बताया कि उनकी बदलेन जमीन है. उनका नाम रजिस्टर पर चढ़ा हुआ नहीं है. इसके चलते दूसरे से लड़ाई हो जाती है. हम सरकार से जानना चाहते है कैसे समाधान होगा? बसारबीघा निवासी रवि शंकर ने बताया कि जब सर्वे के लिए ऑफिस जाते है तो वहां बोला जाता है कि आपके नाम से जमीन नहीं है. रजिस्टर पर चढ़ा हुआ नहीं है, इसलिये अब नहीं होगा. मेरे पिताजी का निधन हो गया है. मेरी खानदानी जमीन है. अब मैं क्या करूं? एक अन्य किसाने बताया कि उनकी 15 बीघा जमीन है. इसमें कई प्लॉट ऐसे हैं, जिसमे मेरा जमीन ज्यादा है पर अमीन के द्वारा नापी की जाती है तो उससे काफी कम जमीन मौजूद है. पहले आरी होता था. समय-समय पर आरी कटता रहता है. इसके कारण जमीन अपने वास्तविक स्थिति में नही है. अब हमें पूरी जमीन कैसे मिलेगी?

रोहतास में पुलिस कर रही सुरक्षा

जब से बिहार में जमीन का सर्वे का काम शुरू हुआ है उसके बाद से ही गांव-गांव में किसानों में अपने जमीन के कागजात को लेकर सरगर्मी बढ़ गई है. सासाराम के समाहरणालय में नकल नवीसी शाखा में अपने खतियान तथा जमीन के कागजात निकालने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ी हुई है. प्रतिदिन 1000 से अधिक लोग अपने कागजात निकालने के लिए समनालय पहुंच रहे हैं. लोग अपने-अपने जमीन की नकल निकालने के लिए घंटों कतार में खड़े हो रहे हैं. ज्यादातर लोग अपने खतियान की कॉपी लेने पहुंच रहे हैं. बता दें की एक जमाने के बाद बिहार में जमीन के सर्वे का काम शुरू हुआ है. लोगों का कहना है कि सिर्फ एक काउंटर होने के कारण काफी समय लग रहा है. ऐसे में खतियान निकालने में परेशानी हो रही है. काउंटर संख्या बढ़ाने की आवश्यकता है. लोगों को सुव्यवस्थित रखने के लिए काउंटर पर पुलिस बल की भी तैनाती की गई है.

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