- बिहार चुनाव के दूसरे चरण में 20 जिलों की 122 सीटों पर 11 नवंबर को मतदान होगा, जिसमें 14 सीटें खास हैं.
- बिहार चुनाव मतदान से पहले यह 14 सीटें राजनीतिक दलों के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई हैं.
- सीमांचल से मगध तक फैली ये सीटें सामाजिक समीकरण, दलबदल और स्थानीय नेतृत्व की ताकत को प्रदर्शित करती हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव में दूसरे चरण के मतदान से पहले चुनाव प्रचार का शोर थम चुका है और अब प्रत्याशी घर-घर जाकर वोट की अपील कर रहे हैं. 11 नवंबर को बिहार के 20 जिलों की 122 सीटों पर मतदान होना है. इस चरण में 14 सीटें ऐसी हैं, जिन पर हर किसी की नजर है. ऐसे कई कारण हैं, जिनके कारण यह सीटें राजनीतिक दलों के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई है. सीमांचल, मगध और शाहाबाद जैसे इलाकों में फैली ये सीटें सामाजिक समीकरण, दलबदल और स्थानीय नेतृत्व की ताकत को प्रदर्शित करती हैं.
- गोविंदगंज (पूर्वी चंपारण): 2020 में बीजेपी ने यहां बड़ी जीत दर्ज की थी. 2025 में कांग्रेस अपनी पुरानी पकड़ को एक बार देखना चाहेगी तो बीजेपी के लिए यह सीट आत्मविश्वास का प्रतीक है.
- जोकीहाट (अररिया): राजद और AIMIM के बीच पारंपरिक मुस्लिम वोटों की जंग यहां फिर गर्माएगी. सरफराज आलम और AIMIM की उपस्थिति इस सीट को सीमांचल की सबसे चर्चित सीट बनाती है.
- रूपौली (पूर्णिया): 2025 में यह सीट दलबदल और व्यक्तिगत वफादारी के कारण चर्चा में है. पूर्व विधायक बीमा भारती के 2024 में जेडीयू छोड़कर आरजेडी में शामिल होने के बाद, यह सीट जेडीयू के लिए अपनी प्रतिष्ठा और ग्रामीण पकड़ बचाने का सवाल बन गई है. यह सीट यह तय करेगी कि क्या मतदाता दल बदलने वाले नेताओं के प्रति निष्ठा रखते हैं या पार्टी गठबंधन के प्रति.
- धमदाहा (पूर्णिया): धमदाहा जेडीयू और मंत्री लेसी सिंह का गढ़ है, जो इसे एनडीए के लिए एक सुरक्षित सीट बनाता है. 2025 में महागठबंधन द्वारा इस सीट को जीतने का प्रयास जेडीयू के सीमांचल में पकड़ को चुनौती देने के लिए महत्वपूर्ण होगा. यह सीट जेडीयू के महिला नेतृत्व के प्रभाव को भी प्रदर्शित करती है.
- कड़वा (कटिहार): कांग्रेस के लिए यह सीट उसके सबसे मजबूत मुस्लिम चेहरों में से एक को सुनिश्चित करती है. महागठबंधन के लिए यह सीट सीमांचल में मुस्लिम-यादव एकजुटता का प्रतीक है. 2025 में यह सीट तय करेगी कि सीमांचल में कांग्रेस का आधार बना रहता है या AIMIM और अन्य मुस्लिम-केंद्रित दलों के कारण यह कमजोर होता है.
- कहलगांव (भागलपुर): राजद और कांग्रेस के बीच पुराना संघर्ष यहां जारी रहेगा. यह सीट पूर्वी बिहार में महागठबंधन की एकता की परीक्षा है.
- सुल्तानगंज (भागलपुर): जेडीयू की अर्ध-शहरी पकड़ इस सीट को एनडीए के लिए अहम बनाती है. 2025 में आरजेडी यहां शहरी मतदाताओं में सेंध लगाने की कोशिश करेगी.
- रामगढ़ (कैमूर): राजद के सुधाकर सिंह की सीट, जो पार्टी के ग्रामीण यादव आधार को मजबूत करती है. उनके बयानों के कारण यह सीट व्यक्तिगत प्रदर्शन की कसौटी भी है.
- दिनारा (रोहतास): इस सीट पर 2020 में करीबी मुकाबला रहा था. 2025 में सत्ता विरोधी लहर की स्थिति में यह सीट किसी भी पक्ष में जा सकती है, इसलिए दोनों गठबंधन इसे गंभीरता से ले रहे हैं.
- नवीनगर (औरंगाबाद): राजद की मजबूत स्थिति और जेडीयू के घटते प्रभाव का संकेत है. एनडीए को मगध में संतुलन बनाए रखने के लिए इसे हर हाल में जीतना होगा.
- इमामगंज (गया – सुरक्षित): 2020 में हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के जीतन राम मांझी (पूर्व मुख्यमंत्री) ने राजद के उदय नारायण चौधरी को 16,000 से अधिक मतों से हराया था. 2025 में यह सीट बिहार की राजनीति में महादलित नेतृत्व के केंद्र में है. जीतन राम मांझी की उपस्थिति इसे एनडीए के लिए एक हाई-प्रोफाइल और प्रतिष्ठापूर्ण सीट बनाती है. इस सीट का परिणाम एनडीए गठबंधन के भीतर महादलित वोटों के विभाजन और मांझी के प्रभाव को प्रदर्शित करेगा.
- बाराचट्टी (गया – सुरक्षित): हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) की ज्योति देवी ने 2020 में जीत दर्ज की थी. 2025 में मांझी की पार्टी की पकड़ और महादलित वोट बैंक की निष्ठा का परीक्षण होगा.
- नवादा (नवादा): राजद की विभा देवी की सीट है. यह आरजेडी के ग्रामीण प्रभाव का प्रतीक है और बीजेपी के लिए मगध में पैठ बनाने का अवसर.
- चकाई (जमुई): 2020 में निर्दलीय सुमित सिंह ने बेहद करीबी जीत दर्ज की थी. अब जेडीयू गठबंधन के साथ उन्हें अपनी व्यक्तिगत लोकप्रियता को दोहराने की चुनौती होगी.
अगली सरकार की दशा-दिशा तय करेंगी ये सीटें
दूसरे चरण की ये 14 सीटें बिहार चुनाव में बेहद अहम मानी जा रही हैं. यहां के परिणाम न केवल भाजपा-जेडीयू और राजद-कांग्रेस गठबंधन की ताकत को दिखाएंगे, बल्कि यह भी तय करेंगे कि सीमांचल और मगध में कौन-सा सामाजिक समीकरण 2025 में निर्णायक बनता है. इन सीटों की जीत-हार ही बिहार की अगली सरकार की दिशा और आकार तय करेगा.
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