- बिहार के कटिहार जिले की बरारी सीट पर जेडीयू के विजय सिंह ने 10,984 मतों से जीत दर्ज की है.
- उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार तौकीर आलम को हराया. तीसरे स्थान पर एआईएमआईएम के उम्मीदवार रहे.
- विजय सिंह को 1,07,842 मत मिले, जबकि तौकीर आलम को 96,858 मतों से संतोष करना पड़ा.
बिहार के कटिहार जिले की बरारी सीट पर जेडीयू ने बाजी मारी है. इस सीट पर पार्टी के विजय सिंह निषाद ने 10,984 मतों से जीत दर्ज की है. उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार तौकीर आलम को हराया. तीसरे स्थान पर एआईएमआईएम के उम्मीदवार एमडी मतिहुर रहमान रहे. जेडीयू के विजय सिंह को 1,07,842 मत मिले जबकि तौकीर आलम को 96,858 मतों से संतोष करना पड़ा. एआईएमआईएम उम्मीवार को 5846 मत मिले. बिहार चुनाव के दूसरे चरण में बरारी सीट पर वोटिंग हुई है. इस दौरान सीट पर 81.61 फीसदी का बंपर मतदान हुआ है.
बरारी विधानसभा सीट की स्थापना 1957 में हुई थी. शुरुआती दौर में इस सीट पर कांग्रेस का वर्चस्व रहा और उसने सात में से पांच चुनाव जीते, जिसमें अंतिम जीत 1980 में करुणेश्वर सिंह के नेतृत्व में हुई. इसके बाद से यहां मतदाताओं ने विभिन्न दलों को मौका दिया है. भाजपा और राजद ने दो-दो बार, जबकि सीपीआई, जनता पार्टी, लोकदल, जनता दल, एनसीपी, जदयू और एक निर्दलीय प्रत्याशी ने एक-एक बार जीत दर्ज की है. यहां दल-बदलुओं की भूमिका हमेशा चर्चित रही है.
बरारी में बदलते सियासी समीकरण
मोहम्मद साकूर ने 1969 में सीपीआई से जीत दर्ज कर कांग्रेस के वर्चस्व को तोड़ा, फिर 1972 में कांग्रेस और 2005 में एनसीपी से चुनाव जीतकर यह साबित किया कि व्यक्तिगत छवि और स्थानीय पकड़ चुनावी समीकरणों में अहम होती है. मंसूर आलम ने 1985 में लोकदल, 1995 में जनता दल और 2000 में राजद के टिकट पर जीत दर्ज की, जो इस क्षेत्र में बार-बार बदलते राजनीतिक समीकरणों को दर्शाते हैं.
विधायक की प्रतिज्ञा रही चर्चा का विषय
2020 के विधानसभा चुनाव में जनता दल यूनाइटेड के विजय सिंह ने राजद के नीरज कुमार को 10,438 वोटों से हराकर जीत हासिल की थी. विजय सिंह ने राजनीति में सामाजिक सरोकारों के कारण विशेष पहचान बनाई है. उन्होंने बाढ़ और कटाव के कारण विस्थापित हुए लोगों के पुनर्वास की मांग को लेकर यह संकल्प लिया कि जब तक पुनर्वास नहीं होगा, वह दाढ़ी नहीं बनाएंगे. उनका यह फैसला जनता के बीच चर्चा का विषय बना रहा. विजय सिंह 10वीं पास हैं और उनके पास 2020 के हलफनामे के अनुसार तीन करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति है. उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं है, जिससे उनकी छवि साफ-सुथरी मानी जाती है. जदयू ने उन्हें 2021 में अति पिछड़ा प्रकोष्ठ का प्रदेशाध्यक्ष भी नियुक्त किया था.
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