- बिहार के मधेपुरा जिले की आलमनगर विधानसभा सीट राजनीतिक, सामाजिक और भौगोलिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है.
- नरेंद्र नारायण यादव ने 1995 से लगातार सात बार विधायक बनकर इस क्षेत्र की राजनीति में मजबूती दिखाई है.
- क्षेत्र को कोसी नदी की मौसमी बाढ़, जलजमाव और खराब सड़क संपर्क जैसी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम में मधेपुरा जिले में स्थित आलमनगर सीट पर एक बार फिर जेडीयू ने कब्जा जमाया है. पार्टी के नरेंद्र नारायण यादव ने अपनी पार्टी को भारी मतों से जीत दिलाई है. यादव ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी विकासशील इंसान पार्टी के नबिन कुमार को 55,465 मतों से हराया. इस चुनाव में जेडीयू उम्मीदवार को 1,38,401 मत मिले जबकि नबिन कुमार को 82,936 मतों से संतोष करना पड़ा. इस चुनाव में तीसरे स्थान पर जन सुराज पार्टी के सुबोध कुमार सुमन रहे. उन्हें 8934 मत मिले. यह आठवीं बार है जब नरेंद्र नारायण यादव ने यहां पर जीत दर्ज की है.
बिहार चुनाव के पहले चरण में आलमनगर सीट पर वोटिंग हुई. इस दौरान सीट पर 71.14 फीसदी मतदान हुआ है. आलमनगर विधानसभा सीट सामान्य श्रेणी की सीट है. यह सीट मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है. विधानसभा क्षेत्र न केवल राजनीतिक रूप से बल्कि सामाजिक और भौगोलिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है. सहरसा, खगड़िया, भागलपुर, नवगछिया, कटिहार और पूर्णिया जैसे जिलों से सटे होने के कारण यह इलाका राजनीतिक रूप से विविधता से भरा है. आलमनगर विधानसभा सीट से 1995 से नरेंद्र नारायण यादव इस क्षेत्र के निर्विवाद नेता बनकर उभरे.
ये है आलमनगर का सियासी इतिहास
1952 में हुए पहले चुनाव में सोशलिस्ट पार्टी के तनुक लाल यादव विजयी हुए थे. इसके बाद 1957 से 1972 तक कांग्रेस के यदुनंदन झा और विद्याकर कवि ने पांच बार जीत दर्ज की. 1977 से लेकर 1990 तक बीरेन्द्र कुमार सिंह ने जनता पार्टी, लोकदल और जनता दल के टिकट पर लगातार चार बार इस सीट पर कब्जा जमाया.
इसके बाद 1995 से नरेंद्र नारायण यादव इस क्षेत्र के निर्विवाद नेता बनकर उभरे. वे जनता दल और फिर जनता दल (यूनाइटेड) के टिकट पर लगातार सात बार विधायक चुने गए. यह रिकॉर्ड उन्हें इस क्षेत्र की राजनीति का सबसे मजबूत चेहरा बनाता है. इस बार उनकी यह आठवीं जीत है.
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