
- बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मुजफ्फरपुर में सहनी मतदाताओं के राजनीतिक प्रभाव को लेकर संघर्ष तेज हो गया है.
- वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी निषाद समाज के मतदाताओं पर अपना व्यापक अधिकार बताते हैं और उनका समर्थन पाते हैं.
- BJP ने सहनी मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए नेता अजय निषाद को विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी में वापस लाया है.
बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही सभी राजनीतिक दल अलर्ट मोड में आ गए हैं. इस बीच, मुजफ्फरपुर में सहनी मतदाताओं पर राजनीतिक वर्चस्व की जंग दिलचस्प हो गई है. 'सन ऑफ मल्लाह' कहे जाने वाले वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी पूरे निषाद समाज के मतदाताओं पर अपना अधिकार बताते हैं. उनका मानना है कि सहनी समाज के वोट मुजफ्फरपुर के कई विधानसभा क्षेत्रों में निर्णायक भूमिका निभाते हैं और पूरी तरह से वीआईपी के साथ हैं.
सहनी मतदाताओं के रुझान को अपनी तरफ खींचने के लिए बीजेपी ने बड़ी चाल चली है. पार्टी ने मुजफ्फरपुर में सहनी मतदाताओं के बीच पैठ रखने वाले नेता अजय निषाद को विधानसभा चुनाव से ठीक पहले घर वापसी करा दी है.
पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अजय निषाद का टिकट काटकर सहनी समाज के ही राजभूषण निषाद पर भरोसा जताया था और राजभूषण ने भारी मतों से जीत दर्ज की थी. टिकट कटने से नाराज अजय निषाद तब कांग्रेस में शामिल हो गए थे और मुजफ्फरपुर से चुनाव भी लड़ा था. लेकिन हार गए थे. अब विधानसभा चुनाव से पहले अजय निषाद की वापसी को बीजेपी सहनी समाज का रुझान अपनी तरफ करने के लिए एक बड़े कदम के रूप में देख रही है.
ऐसे में सवाल यह है कि मुजफ्फरपुर का सहनी समाज इस बार किस ओर रुख करेगा. एक तरफ मुकेश सहनी अपने वोट बैंक पर दावा ठोक रहे हैं, तो दूसरी तरफ बीजेपी ने पहले राजभूषण और अब अजय निषाद को साथ लाकर बड़ा दांव चला है. यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सहनी समाज एक बार फिर मुकेश सहनी को छोड़कर बीजेपी पर अपना भरोसा जताएगा या नहीं.
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