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इंतजार...इंतजार और इंतजार... बिहार में महागठबंधन की आखिर क्यों है ये कहानी, पढ़िए पूरी इनसाइड स्टोरी

मुकेश सहनी से लेकर कांग्रेस और माले का भी यही कहना है कि आरजेडी ने उनके सीटों पर भी उम्मीदवार उतार दिए हैं.

इंतजार...इंतजार और इंतजार... बिहार में महागठबंधन की आखिर क्यों है ये कहानी, पढ़िए पूरी इनसाइड स्टोरी
बिहार में महागठबंधन में सीट पर माथापच्ची जारी
  • बिहार चुनाव के पहले चरण के नामांकन का आखिरी दिन शुक्रवार है लेकिन महागठबंधन में सीटों का बंटवारा अभी बचा है
  • मुकेश सहनी को अपनी चुनावी सीट का पता नहीं है और महागठबंधन के अंदर उनके लिए विकल्प सीमित हो गए हैं
  • आरजेडी ने कांग्रेस और माले की मांगों के बावजूद कई विवादित सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं
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नई दिल्ली:

बिहार चुनाव के पहले चरण को लेकर अब नामांकन का शुक्रवार को आखिरी दिन है. लेकिन महागठबंधन में सीटों के बंटवारे का पेंच अभी भी फंसा दिख राह है. अब ऐसे में सवाल ये है कि मुकेश सहनी के चुनाव लड़ने का क्या होगा?  नामांकन में आखिरी दिन बचा है और उन्हें मालूम ही नहीं है कि वो कौन सी सीट से लड़ेंगे. उन्हें अपनी खुद की सीट का पता नहीं है, बाकी उम्मीदवारों की बात तो छोड़िए. और उपमुख्यमंत्री तो भूल ही जाइए. सहनी के पास विकल्प सीमित हो गए हैं एनडीए में जा नहीं सकते क्योंकि वहां नो रूम का बोर्ड लग चुका है और महागठबंधन में एकाएक सबके फोन बंद हो गए हैं. महागठबंधन में सीटों की संख्या से ज्यादा कौन सी सीट पर मामला फंसा है. मुकेश सहनी से लेकर कांग्रेस और माले का भी यही कहना है कि आरजेडी ने उनके सीटों पर भी उम्मीदवार उतार दिए हैं. कांग्रेस कहलगांव और जाले सीट चाहती है जो आरजेडी छोड़ना नहीं चाहती.

मुकेश सहनी के मामले में तो जो दे सीटों पर सहनी और उसके परिवार वाले लड़ना चाहते है.गौडा बैराम दरभंगा जिले की एक सीट है और मुकेश सहनी का पैतृक गांव भी यहीं है पिछली बार जब मुकेश सहनी एनडीए में थे तब ये सीट सहनी की पार्टी ने जीता था और आरजेडी के अफजल अली को हराया था.कहा जाता है कि मुकेश सहनी इस बार अपनी पत्नी या किसी और रिश्तेदार को यहां से लड़ाना चाहते थे मगर आरजेडी ने अफजल अली को सिंबल दे दिया.उसी तरह सहरसा जिले के सिमरी बख्तियारपुर की सीट से मुकेश सहनी खुद लड़ना चाहते थे मगर आरजेडी ने अपने मौजूदा विधायक का टिकट काटने से इंकार कर दिया.

यहां से युसुफ सल्लाउद्दीन को आरजेडी ने फिर से टिकट दे दिया है.युसुफ खगड़िया के पूर्व सांसद महबूब कैसर के बेटे हैं.ऐसी स्थिति में मुकेश सहनी के पास कोई विकल्प ही नहीं बचा है. उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि वे क्या करें,जब मैंने मुकेश सहनी से इस पर प्रतिक्रिया जाननी चाही तो उन्होंने केवल इतना कहा कि मेरे पास आपके कुछ भी बताने के लिए नहीं है.यही वजह है कि मुकेश सहनी की प्रेस कांफ्रेंस तीन बार रद्द हुई पहसे 12 बजे,फिर 4 बजे और फिर 6 बजे.

अब खबर ये है कि आरजेडी सांसद संजय यादव राहुल गांधी से मिलने दिल्ली गए हैं और सबकी निगाहें इसी पर टिकी है कि राहुल क्या फैसला करते हैं क्योंकि आरजेडी और कांग्रेस के बीच भी 4-5 सीटों पर मामला फंसा हुआ है खासकर जाले और कहलगांव की सीट को लेकर.नामांकन का कल आखिरी दिन है और अभी तक आधिकारिक तौर पर महागठबंधन के दल कितनी सीटें लड़ेंगे और कौन कौन सी सीट लड़ेंगे इस पर कोई पक्की जानकारी किसी को नहीं है.वैसे कांग्रेस और आरजेडी अपने उम्मीदवारों को सिंबल बांट रहे हैं मगर मुकेश सहनी ने तो अभी तक एक भी सिंबल नहीं बांटा है. इंतजार..इंतजार..और इंतजार ,फिलहाल यही कहानी है महागठबंधन की.

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