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पटना में कांग्रेस की बैठक, राहुल गांधी की रणनीति, निशाने पर तेजस्वी, किसकी लगेगी नैया पार?

बिहार में अति पिछड़ा वर्ग के 36 फीसदी और पिछड़े वर्ग के 27 फ़ीसदी वोट मिला दें तो 63 फीसदी वोट हो जाते हैं. यही वोट है जो बिहार में चुनाव जीतने का फॉर्मूला बनाता है.

पटना में कांग्रेस की बैठक, राहुल गांधी की रणनीति, निशाने पर तेजस्वी, किसकी लगेगी नैया पार?
सीडब्ल्यूसी बैठक से क्या बिहार में अपनी राजनीति को साध पाएंगे राहुल गांधी
  • राहुल गांधी बिहार में अति पिछड़ा जाति के वोट बैंक को ध्यान में रखकर महागठबंधन के लिए नई रणनीति बना रहे हैं
  • कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में अति पिछड़ा जाति के लिए अलग आरक्षण और नवीं अनुसूची में शामिल करने की घोषणा होगी
  • बिहार की अति पिछड़ी जातियां कुल आबादी का छत्तीस प्रतिशत हैं और ये मुख्य रूप से जदयू और बीजेपी के वोटर रहे हैं
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नई दिल्ली:

बिहार में राहुल गांधी एक बार फिर एक्शन मोड में हैं.पहले उन्होंने 15 दिनों तक वोट अधिकार यात्रा की 1300 किलोमीटर चले,174 विधानसभाओं में पहुंचे,पटना में पदयात्रा की और अब फिर लौटे हैं कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक लेकर. इस बैठक को लेकर कांग्रेसी बहुत उत्साहित हैं. कांग्रेस का दफ्तर सदाक़त आश्रम पूरी तरह से सजा है. इस बार राहुल के एजेंडे पर अति पिछड़ा जाति है.

राहुल गांधी अति पिछड़ा एजेंडा के तहत महागठबंधन के सभी नेता एक सम्मेलन भी करने जा रहे हैं और उसके साथ कई घोषनाएं भी की जाएगी.अति पिछड़ा के लिए अलग से आरक्षण देने की घोषणा की जाएगी और इसे नवीं सूची में शामिल करने की बात भी कही जाएगी ताकि कोई भी इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती ना दे सके.अब सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर राहुल गांधी करना क्या चाहते हैं.

देखिए 2022 के बिहार जाति सर्वेक्षण के मुताबिक़ 36 फीसदी आबादी अति पिछड़ी जातियों की है और अभी तक यह परंपरागत रूप से जदयू और बीजेपी का वोटर रहा है.राहुल गांधी को पता है कि बिना इस वोट बैंक में सेंध लगाए कुछ नहीं होगा.कांग्रेस ने पहले ही दलित प्रदेश अध्यक्ष बना कर दलित वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश की है खासकर रविदास वोटरों में.

पूरे वोट अधिकार यात्रा में राहुल गांधी वीआईपी पार्टी के नेता मुकेश सहनी को अपने बगल में जगह देते रहे उन्हें मालूम है कि मुकेश सहनी के पास 3 फीसदी के अधिक वोट हैं साथ ही राहुल ने यात्रा के दौरान माले के नेता दीपांकर भट्टाचार्य को भी अपने बगल में रखा क्योंकि माले के पास भी अति पिछड़ा वोट है. राहुल जानते हैं कि आरजेडी का परंपरागत यादव मुस्लिम वोट उनके साथ रहेगा कुछ अन्य पिछड़ी जातियों के वोट उन्हें मिलते हैं मगर वो उम्मीदवार पर निर्भर करता है.

मगर चुनाव जीतने के लिए यह काफी नहीं होगा इसलिए इसमें अति पिछड़ा जातियों को जोड़ना जरूरी है.राहुल को मालूम है कि ये काम कांग्रेस ही कर सकती है क्योंकि अभी कुछ सर्वण जातियों के वोट उनके साथ हैं साथ ही दलित वोट का एक हिस्सा और अति पिछड़ा वोट का एक हिस्सा यदि महागठबंधन को मिला तो बात बन सकती है.

बिहार में अति पिछड़ा वर्ग के 36 फीसदी और पिछड़े वर्ग के 27 फ़ीसदी वोट मिला दें तो 63 फीसदी वोट हो जाते हैं. यही वोट है जो बिहार में चुनाव जीतने का फॉर्मूला बनाता है. इसके अलावा प्रियंका गांधी 26 सितंबर को महिलाओं से जुड़ा एजेंडा पेश करेंगी.महागठबंधन पहले ही महिलाओं के लिए 2500 रूपए महीना देने की घोषणा कर चुका है.यानि कांग्रेस चुनाव जीतने के लिए वो सब कर रहा है जो उसे करना चाहिए.

आपको बता दें कि राहुल गांधी वोट अधिकार यात्रा के बाद बिहार से चले गए थे मगर फिर लौटे हैं कुछ और घोषणाएं करने के लिए.यही नहीं कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के अगले ही दिन कांग्रेस के बड़े नेता बिहार के बीस जिलों में वोट चोरी के मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे घर घर जा कर चुनावी वादों की पर्ची बांटेंगे.मतलब कांग्रेस वोट चोरी को नहीं छोड़ रही है और तेजस्वी पिछले चुनाव में सीट चोरी की बात कर रहे हैं.

अब ऐसे में इतना तो तय है कि बिहार में चौथे नंबर की पार्टी कांग्रेस ने इस बार माहौल तो बना दिया है लोग चाय और पान दुकानों पर इसकी चर्चा भी कर रहे हैं.बस देखना ये है कि क्या कांग्रेस का संगठन जमीन पर इतना है कि वो इसको वोट में तब्दील कर सके और क्या उनके पास ऐसे जिताउ उम्मीदवार हैं जो चुनाव में पार्टी की नैया पार लगा सके. 

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