Bihar: नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में बिहार की नीतीश कुमार सरकार (Nitish kumar Government) के वित्तीय प्रबंधन के बारे में कई खामियां उजागर की हैं. CAG की रिपोर्ट को सीएम नीतीश ने यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि डेमेजिंग कमेंट (damaging comment) करने पर पब्लिसिटी मिलती है, लेकिन उनके काम को ज्यादा पब्लिसिटी नहीं मिलती. गौरतलब है कि नीतीश सरकार के वित्तीय प्रबंधन के बारे में कमेंट करते हुए CAG रिपोर्ट में कहा गया है कि 79 हजार 690 करोड़ रुपये की राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र बार-बार मांगने पर भी नहीं दिया जा रहा है. रिपोर्ट में माना गया है कि लंबित उपयोगिता प्रमाण पत्र उस राशि के दुरुपयोग और गबन के जोखिम से भरा हो सकता है. वहीं 9155 करोड़ की अग्रिम राशि डीसी बिल के पेश नहीं किए जाने के कारण भी लंबित था.
CAG की रिपोर्ट में कई वित्तीय ख़ामियों पर@NitishKumar ने ये कह कर ख़ारिज कर दिया कि damaging comment करने पर ही पब्लिसिटी मिलेगा ना लेकिन उनके काम को पब्लिसिटी ज़्यादा नहीं मिलती @ndtvindia @Anurag_Dwary pic.twitter.com/HZFiET0Fry
— manish (@manishndtv) December 6, 2021
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इस रिपोर्ट को गुरुवार को राज्य के वित्त मंत्री और उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने बिहार विधानसभा में पेश किया था. रिपोर्ट के अनुसार, करीब 18,872 करोड़ रुपये, जो राज्य सरकार ने अपने विभिन उपक्रमों को दिये थे, के उपयोग का ऑडिट भी पिछले कई वर्षों से लंबित पड़ा है. इसके अलावा इस रिपोर्ट में 2019-20 के दौरान पहली बार 1784 करोड़ के राजस्व घाटे की पुष्टि की गई है. राजस्व प्राप्ति में भी 7561करोड़ की कमी आयी जो बजट आंकलन के अनुसार 29.71 प्रतिशत कम था.
हालांकि, राज्य सरकार का कहना है कि 'कैग' रिपोर्ट में कुछ भी चौंकाने वाला नहीं है, जहां तक 80 हजार करोड़ के खर्च का हिसाब न देने का जिक्र है तो वो अधिकांश पंचायती राज या शिक्षा या समाज कल्याण विभाग से संबधित हैं जो पिछले कई वर्षों से पेंडिंग रहा है लेकिन ये कहना गलत है कि पैसे का गबन हो गया . वहीं, सरकारी उपक्रम का ऑडिट कई दशकों से लंबित रहा है और इस राशि का समायोजन उतना आसान नहीं हैं.
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