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बस मिल जाए टिकट... देखिए बिहार में टिकट के लिए कैसी लगी है लाइन

बिहार विधानसभा चुनाव की आहट के साथ पटना में टिकटार्थियों की भीड़ उमड़ पड़ी है. बीजेपी और जेडीयू के दफ्तरों पर ‘अपना टिकट पक्का कराने’ वालों की लाइनें लग गईं, तो वहीं नीतीश कुमार के आवास पर भी ‘टिकट यात्रा’ का जमावड़ा लगा रहा.

बस मिल जाए टिकट... देखिए बिहार में टिकट के लिए कैसी लगी है लाइन
  • पटना में बीजेपी और जेडीयू कार्यालय पर टिकट के लिए बड़ी संख्या में उम्मीदवारों की भीड़ जमा है
  • बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल व्यक्तिगत रूप से उम्मीदवारों के फाइल और प्रोफाइल का गहन अध्ययन कर रहे हैं
  • जेडीयू कार्यालय के बाहर भी टिकट के लिए उम्मीदवार बायोडाटा और पंचायत स्तर की उपलब्धियां दिखा है
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पटना:

पटना में चुनावी गर्मी अपने चरम पर है. बीजेपी हो या जेडीयू दोनों के दफ्तरों पर टिकटार्थियों का मेला लगा हुआ है. मंगलवार की सुबह से ही राजधानी के श्रीकृष्णपुरी इलाके में बीजेपी दफ्तर के बाहर लंबी कतारें दिखीं, जहां हर चेहरा यही कहता नज़र आया “इस बार तो मेरा नंबर लगना ही चाहिए!” बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल खुद मैदान में उतरे हुए हैं. वे एक-एक नेता की फाइल और प्रोफाइल खंगाल रहे हैं, मानो कोई जॉब इंटरव्यू चल रहा हो. अंदर कॉन्फ्रेंस हॉल में पार्टी के पुराने कार्यकर्ता अपने इलाके की ताकत गिना रहे हैं, तो बाहर खड़े युवा चेहरे अपने पोस्टर-होर्डिंग्स दिखा रहे हैं‘मोदी जी का सिपाही हूं, क्षेत्र का विकास कराऊंगा'.

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उधर, जेडीयू कार्यालय में भी नज़ारा कुछ कम नहीं. नीतीश कुमार के 7 सर्कुलर रोड स्थित आवास के बाहर सुबह से टिकटार्थियों की भीड़ जमा रही. किसी के हाथ में बायोडाटा, किसी के पास पंचायत स्तर की उपलब्धियों का पुलिंदा. 

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गाड़ियों की आवाजाही, पोस्टर-बैनर, और नारेबाज़ी के बीच पूरा पटना एक चुनावी स्टूडियो बन गया है. बीजेपी दफ्तर से लेकर जेडीयू कार्यालय तक कैमरों और सेल्फी स्टिक की भरमार है. कोई फेसबुक लाइव कर रहा है, तो कोई यूट्यूब के लिए वीडियो बना रहा है. 

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हालांकि तमाम दलों के नेताओं का कहना है कि इस बार टिकट देने का फैसला “सर्वे और प्रदर्शन” के आधार पर होगा. यानी सिर्फ़ वफादारी नहीं, जीतने की क्षमता भी ज़रूरी है. लेकिन बिहार की राजनीति में सबको पता है यहां ‘समीकरण' और ‘समर्पण' दोनों काम आते हैं. अब देखना यह है कि इन ‘टिकट यात्राओं' में कौन पहुंचता है विधानसभा की मंज़िल तक, और कौन लौट जाता है सिर्फ़ एक सेल्फी और चाय के कप के साथ.

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