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बिहार विधानसभा चुनाव 2025- कम चरणों में चुनाव की मांग के बीच ये जानना जरूरी

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के तारीखों का एलान आज होने की संभावना है. चुनाव छठ पर्व के ठीक बाद कराया जा सकता है. जानें क्या हैं बिहार में मुद्दे? गठबंधन और सीट शेयरिंग की स्थिति क्या है और बिहार विधानसभा चुनाव से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें...

बिहार विधानसभा चुनाव 2025- कम चरणों में चुनाव की मांग के बीच ये जानना जरूरी
ANI
  • बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के तारीखों की आज घोषणा हो सकती है. निर्वाचन आयोग का शाम 4 बजे प्रेस वार्ता होना है.
  • बताया जा रहा है कि बिहार चुनाव का पहला चरण छठ पर्व (27-28 अक्तूबर) के ठीक बाद कराया जा सकता है.
  • बिहार में गठबंधन और सीट शेयरिंग की स्थिति क्या है? मुख्य मुद्दे क्या हैं? जानें बिहार चुनाव की अहम बातें...
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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के तारीखों का एलान आज होने की संभावना है. निर्वाचन आयोग आज शाम 4 बजे प्रेस वार्ता करेगी. मीडिया सूत्रों के मुताबिक चुनाव आयोग दो चरणों में चुनाव कराने की तैयारी कर रहा है, जहां पहले चरण का चुनाव छठ पर्व (27-28 अक्तूबर) के ठीक बाद कराया जा सकता है. चुनाव की तारीखों के एलान से पहले मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और दो चुनाव आयुक्त सुखबीर सिंह संधु और विवेक जोशी के नेतृत्व में चुनाव आयोग की पूरी टीम ने प्रदेश का तीन दिवसीय दौरा किया और मान्यता प्राप्त सभी 12 राजनीतिक पार्टियों के साथ पटना में बैठक कर राज्य में चुनाव की तैयारियों की समीक्षा की.

इसी बैठक में सभी दलों ने चुनाव आयोग से बिहार विधानसभा चुनाव को कम से कम चरणों में कराए जाने की मांग उठाई.
पिछली बार 2020 में यहां तीन चरणों में मतदान कराए गए थे. वहीं पिछले साल 40 सीटों पर आयोजित लोकसभा चुनाव सात चरणों कराए गए थे.

छठ के तुरंत बाद चुनाव रखने से बढ़ेगी भागीदारी

राजनीतिक पार्टियों का यह कहना है कि छठ के तुरंत बाद मतदान रखने से उत्तरी और मध्य बिहार के जिलों में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ सकती है क्योंकि ऐसे समय पर विभिन्न राज्यों में काम कर रहे बिहार के युवा अपने अपने घरों को लौटते हैं.

चुनाव आयोग की टीम रविवार को सभी दलों के साथ बैठक कर वापस लौट चुकी है. बिहार के मुख्य चुनाव अधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल ने बताया कि राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग से कम से कम चरणों में मतदान कराए जाने की मांग की है. चुनाव आयोग के साथ बैठक में बीजेपी, जेडीयू, बहुजन समाज पार्टी, आरजेडी, आम आदमी पार्टी, कांग्रेस, सीपीआई (एम), नेशनल पीपुल्स पार्टी, सीपीआई-एमएल, आरएलजेपी और लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) शामिल थीं.

स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन पर विपक्षी पार्टियों ने चुनाव आयोग से पूछे सवाल

स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन पर विपक्षी पार्टियों ने चुनाव आयोग से पूछे सवाल
Photo Credit: ANI

स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन पर सवाल

इस बैठक में विपक्षी पार्टियों ने स्पेशल इंटेंसिव रिवीज़न (एसआईआर) से डिलीट किए गए वोटरों के बारे में भी चुनाव आयोग से जानकारी ली. विपक्षी दलों ने सवाल उठाया कि जिन लोगों के नाम वोटर लिस्ट से काटे गए हैं.

आरजेडी के प्रवक्ता चितरंजन गगन ने सवाल उठाया, 'क्या उन्हें दो अपनी करने का अवसर दिया गया है. उन्हें लिखित आदेश क्यों नहीं दिया गया क्योंकि जैसे ही चुनाव की तारीखों की घोषणा होंगी अंतिम वोटर लिस्ट फ्रीज कर दिया जाएगा और उसमें कोई संशोधन नहीं किया जाएगा.'

विपक्ष ने पहले भी चुनाव आयोग पर आरोप मढ़ा था कि वो इस विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की आड़ में लोगों की नागरिकता की जांच कर रहा है. वहीं, चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में यह आश्वासन दिया है कि अगर कोई व्यक्ति मतदाता सूची से बाहर हो जाए, तो इसका मतलब यह नहीं होगा कि उसकी नागरिकता खत्म हो गई है.

आंकड़ों में जानें बिहार विधानसभा चुनाव की महत्वपूर्ण बातें

  • कुल सीटें: 243
  • अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटें: 38
  • अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटें: 2
  • कुल पंजीकृत मतदाता: 7.42 करोड़ (30 सितंबर 2025)
  • पुरुष मतदाता: करीब 3,92,70,804
  • महिला मतदाता: करीब 3,49,82,828
  • विधानसभा चुनाव की तारीखें: अक्टूबर-नवंबर, 2025
  • 85 साल से अधिक के मतदाता: 4,03,985
  • 18 से 19 साल के नए वोटर: 14,01,150
  • दिव्यांग मतदाताः 7,20,709
  • ट्रांसजेंडर मतदाताः 1725
  • मान्यता प्राप्त मुख्य राजनीतिक दलें: जेडीयू, बीजेपी, आरजेडी, कांग्रेस, वाम दल (सीपीआई, सीपीआईएमएल), जन सुराज पार्टी, एलजेपी (राम विलास- चिराग पासवान गुट), आरएलजेपी (पशुपति पारस गुट), एआईएमआईएम, आरएलजेपी, एचएएम, वीआईपी

एसआईआर से वोटर लिस्ट पर असर

बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले चुनाव आयोग ने वहां एसआईआर शुरू किया था. इसकी टाइमिंग को लेकर विपक्षी दलों ने कई सवाल उठाए जबकि चुनाव आयोग ने इसे वोटर लिस्ट को दुरुस्त करने की प्रक्रिया करार दिया था. स्पेशल इंटेंसिव रिवीज़न (एसआईआर) यानी विशेष गहन पुनरीक्षण के बाद 30 सितंबर 2025 को जारी किए गए फाइनल वोटर लिस्ट में 7.42 करोड़ वोटर रह गए हैं. पहले बिहार में 7.89 करोड़ वोटर थे. कुल 65 लाख वोटरों के नाम काटे गए हैं.

चुनाव आयोग की टीम से पटना में मुलाकात करने गए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार के साथ शकील अहमद और अन्य सदस्यों ने यह मांग की कि उन लोगों के नाम को सार्वजनिक किया जाए जिन्हें एसआईआर के अंतिम ड्राफ्ट में शामिल किया गया है और साथ ही उन लोगों की संख्या को भी सार्वजनिक किया जाए जिन्हें राज्य में अवैध प्रवासी पाया गया है.

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2020 बिहार विधानसभा चुनाव में क्या हुआ था?

पिछली बार जब बिहार में विधानसभा चुनाव कराए गए थे तब पूरी दुनिया कोरोना महामारी की विभीषिका से जूझ रही थी. उस दौरान ये देश में हुआ पहला बड़ा चुनाव था जिसे लेकर कई तरह के गाइडलाइन जारी किए गए थे. कोरोना महामारी के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का विशेष ध्यान रखते हुए 2020 में बिहार विधानसभा चुनाव तीन चरणों में करवाए गए थे.

28 अक्तूबर 2020 को पहले चरण में 71 सीटों पर, 3 नवंबर 2020 को दूसरे चरण में 94 सीटों पर और तीसरे चरण में 7 नवंबर 2020 को 78 सीटों पर मतदान कराए गए थे. मतगणना 10 नवंबर 2020 को की गई थी.

243 सदस्यीय विधानसभा में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) 125 सीटों पर जीत के साथ 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में विजयी हुई थी, जबकि विपक्षी महागठबंध को 110 सीट मिले थे. अन्य छोटे गठबंधनों ने सात सीटों पर जीत हासिल की थी तो केवल एक स्वतंत्र उम्मीदवार विजयी हुए थे.

एनडीए ने नीतीश कुमार को ही मुख्यमंत्री बनाया लेकिन अगस्त 2022 में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जेडीयू ने एनडीए से अलग होने का फैसला किया और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेतृत्व वाली महागठबंधन के साथ सरकार बनाई. करीब डेढ़ साल के बाद जनवरी 2024 में नीतीश कुमार ने एक बार फिर पलटते हुए आरजेडी से अपने संबंध तोड़ लिए और बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए के साथ सरकार बनाई.

बिहार में मुख्य मुद्दे क्या हैं?

नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए का यह कहना है कि उसने बिहार का हर तरह से विकास किया है, युवाओं को रोजगार दिया है तो महिलाओं के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं.

फिर भी राज्य में लंबे समय से रोजगार, अर्थव्यवस्था, पलायन और शिक्षा के मुद्दे बदस्तूर बने हुए हैं. विपक्षी महागठबंधन रोजगार के साथ-साथ एसआईआर को मुख्य मुद्दा बना रही है. साथ ही वह युवाओं को सरकारी नौकरी के वादे भी कर रही है. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने वोट अधिकार यात्रा किया तो राहुल गांधी ने लगातार एसआईआर और वोट चोरी का मुद्दा उठाया.

हालांकि, बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए इसे विपक्ष की हताशा बताते हुए यह कह रहा है कि अगर महागठबंधन की राज्य में वापसी हुई तो यहां विकास पूरी तरह रुक जाएगा.

प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज पार्टी और तेज प्रताप यादव की जनशक्ति जनता दल ने चुनाव को बनाया दिलचस्प

प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज पार्टी और तेज प्रताप यादव की जनशक्ति जनता दल ने चुनाव को बनाया दिलचस्प
Photo Credit: ANI

गठबंधन और सीट शेयरिंग की स्थिति क्या?

जानकारों की नजर में इस बार भी बिहार में एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधा मुकाबला है. बता दें कि एनडीए में जेडीयू, बीजेपी, एलजेपी (रामविलास), हम (सेक्युलर) और राष्ट्रीय लोक मोर्चा जैसी पार्टियां शामिल हैं. महागठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस, सीपीआई, सीपीएम, सीपीआई (माले), विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी), जेएमएम और राष्ट्रीय एलजेपी हैं.

उधर 2020 में पांच सीटें हासिल करने वाली एमआईएमआईएम इन दोनों गठबंधनों का हिस्सा नहीं है. हालांकि बाद असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली इस पार्टी के चार विधायक आरजेडी में शामिल हो गए थे.

वहीं प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज पार्टी का चुनावी पटल पर उतरना और राज्य की सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार का एलान करना इस चुनाव को दिलचस्प बना दिया है. साथ ही आरजेडी से निकाले गए तेज प्रताप यादव भी चुनाव में अपनी नई गठित पार्टी जनशक्ति जनता दल के साथ उतर रहे हैं.

अभी तक न तो एनडीए ने और न ही महागठबंधन ने सीट बंटवारे के आंकड़े जारी किए हैं. दोनों प्रमुख गठबंधनों में सीट शेयरिंग पर पेच फंसता दिख रहा है.

सीट बंटवारे को लेकर कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है.

मंथन जारी पर अब तक नहीं की गई प्रत्याशियों की घोषणा

अभी तक किसी भी राजनीतिक पार्टी ने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है. हालांकि कांग्रेस का कहना है कि उसने करीब डेढ़ दर्जन सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम तय कर लिए हैं, जो जल्द घोषित किए जाएंगे. अभी बिहार में कांग्रेस के 17 विधायक, इनमें से अधिकांश विधायकों को फिर मौका दिया जाएगा.

वहीं पटना में दो दिनों तक चली बीजेपी की बैठक में 110 सीटों पर मंथन किया गया. हर सीट पर एक से अधिक संभावितों के नामों पर चर्चा की गई. इनके नामों पर जल्द ही मुहर लगाए जाने की संभावना है. उधर प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची 9 अक्टूबर को जारी करेगी.

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