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बिहार चुनाव में बाहुबली पति लाचार तो पत्नियों ने की देहरी पार, कहानी 'मिसेज बाहुबलियों' की

हिसुआ विधायक नीतू कुमारी, नवादा विधायक विभा देवी, वारिसलीगंज विधायक अरुणा देवी, नवादा की पूर्व विधायक पूर्णिमा यादव और वारिसलीगंज में चुनाव मैदान में उतर रहीं अनिता कुमारी का ही नाम सिर्फ नहीं है. बिहार में ऐसे मिसेज बाहुबलियों की फेहरिस्त लंबी होती जा रही है.

बिहार चुनाव में बाहुबली पति लाचार तो पत्नियों ने की देहरी पार, कहानी 'मिसेज बाहुबलियों' की
  • बिहार विधानसभा चुनाव में कई बाहुबलियों की पत्नियां राजनीतिक मजबूरियों के कारण चुनाव मैदान में उतर रही हैं
  • अरूणा देवी, विभा देवी, पूर्णिमा यादव और नीतू कुमारी अपने पति की जगह राजनीति में सक्रिय हैं
  • बिहार में ऐसे 'मिसेज बाहुबली' नेताओं की संख्या बढ़ रही है जो पति की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रही हैं
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पटना:

चुनाव में बाहुबलियों का होना कोई नई बात नहीं है, लेकिन कई तरह के गंभीर आपराधिक मामलों में आरोपी और सजायाफ्ता होने के बाद वो अपनी पत्नियों को चुनाव मैदान में उतारने लगे हैं. बिहार विधानसभा चुनाव की बात करें तो कई ऐसे बाहुबली हैं, जिनकी पत्नियां अब घर की दहलीज से बाहर निकलकर चुनावी मैदान में भी जौहर दिखा रही हैं. अनिता, अरूणा, विभा, पूर्णिमा और नीतू जैसी कई 'मिसेज बाहुबली' हैं, जिन्होंने पति की राजनीतिक विरासत को बखूबी संभाला है.

अनिता कुमारी वारिसलीगंज विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए क्षेत्र में जनसंपर्क कर रही हैं. यह दूसरा अवसर है जब वो चुनाव मैदान में हैं. इसके पहले 2024 में उन्होंने मुंगेर लोकसभा क्षेत्र से जेडीयू सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ा था. तब अनिता हार गई थीं, लेकिन वो अब बिहार के नवादा जिले के वारिसलीगंज विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में हैं.

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लोकसभा चुनाव में हारीं थी अशोक महतो की पत्नी

देखें तो, अनिता का कोई राजनीतिक अतीत नहीं है. वो दिल्ली में प्राइवेट जॉब करती थीं. सियासत में अनिता की पहचान बाहुबली अशोक महतो की पत्नी के कारण है. दरअसल, दिसंबर 2023 में करीब सत्रह साल बाद अशोक महतो जब जेल से बाहर आए, तब राजद प्रमुख लालू प्रसाद से मुलाकात कर सियासत में इंट्री का निर्णय लिया था. लेकिन मुश्किल ये कि अशोक नवादा जेल ब्रेक कांड में सजायाफ्ता थे. लिहाजा, खुद चुनाव नहीं लड़ सकते थे. ऐसे में अशोक महतो ने बिना मुहूर्त के अनिता से शादी की और नवविवाहिता पत्नी अनिता को मुंगेर लोकसभा से मैदान में उतार दिया. जाहिर तौर पर अनिता की एंट्री राजनीतिक पृष्ठभूमि के कारण नहीं हुई, बल्कि बाहुबली अशोक महतो की मजबूरियों के कारण हुई है.

देखें तो, अनिता अकेली मिसेज बाहुबली नहीं हैं, जो बाहुबली पति की मजबूरी के कारण चुनाव मैदान में उतरी हैं. वारिसलीगंज की मौजूदा बीजेपी विधायक अरूणा देवी भी बाहुबली पति की मजबूरी के कारण राजनीति में हैं. अरूणा का भी कोई राजनीतिक अतीत नहीं है. उनकी पहचान बाहुबली अखिलेश सिंह की पत्नी के कारण है. अरूणा की पृष्ठभूमि गृहिणी की रही है. उनकी एंट्री भी अखिलेश सिंह की मजबूरियों के कारण बनी है. ढाई दशक पहले 2000 में अरूणा की एंट्री हुई थी, तब अखिलेश सिंह कई आपराधिक मामले में वांछित थे. खुद चुनाव नहीं लड़ सकते थे. लिहाजा, उन्होंने अपनी गृहिणी पत्नी को चुनाव मैदान में उतारा था. इसके बाद से अरूणा चुनाव लड़ती रही हैं. चार दफा निर्वाचित हुईं, जबकि दो बार हार का सामना करना पड़ा.

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राजबल्लभ की मजबूरियों के कारण हुई विभा की एंट्री

नवादा विधानसभा क्षेत्र की मौजूदा राजद विधायक विभा देवी की एंट्री बाहुबली राजबल्लभ यादव की सियासी मजबूरियों के कारण हुई है. विभा देवी भी गृहिणी रही हैं. कोई राजनीतिक सक्रियता नहीं थी, लेकिन 2018 में पोक्सो एक्ट के एक मामले में राजबल्लभ सजायाफ्ता हो गए थे. तब राजबल्लभ को राजद ने निष्कासित कर दिया था. विधायकी भी चली गई थी. ऐसी परिस्थिति में उन्होंने अपनी गृहिणी पत्नी विभा देवी को मैदान में उतारा. लिहाजा, 2020 के चुनाव में विभा देवी राजद से विधायक निर्वाचित हुई हैं. बता दें कि राजबल्लभ नवादा सीट से तीन दफा विधायक निर्वाचित हुए हैं.

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दूसरी तरफ, नवादा के पूर्व विधायक कौशल यादव की पत्नी पूर्णिमा यादव भी मजबूरियों की उपज हैं. कौशल यादव गोविंदपुर और नवादा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ते रहे हैं. गोविंदपुर सीट का उनके पिता युगल किशोर यादव और मां गायत्री देवी भी नेतृत्व करते रहे थे. 2005 में कौशल गोविंदपुर के अलावा नवादा सीट पर चुनाव लड़ना चाहते थे. ऐसे में अपनी राजनीतिक मजबूरियों के कारण पत्नी पूर्णिमा को नवादा सीट पर उतारा था. खुद गोविंदपुर से चुनाव लड़े थे. तभी से पूर्णिमा यादव चुनाव मैदान में हैं. चार-चार दफा कौशल दंपति निर्वाचित हुए हैं.

पति और ससुर के सजायाफ्ता होने के कारण नीतू की हुई एंट्री

हिसुआ विधानसभा क्षेत्र की मौजूदा कांग्रेस विधायक नीतू कुमारी की एंट्री भी स्वभाविक नहीं है. नीतू भी गृहिणी थीं. लेकिन उनकी एंट्री राजनीतिक परिस्थितियों के कारण हुई. दअरसल, 1980 से फरवरी 2005 तक आदित्य सिंह ने हिसुआ का प्रतिनिधित्व किया था. अक्टूबर 2005 में आदित्य सिंह अनिल सिंह से पराजित हो गए थे. 2008 में आदित्य सिंह और उनके पुत्र सुमन सिंह हत्या के एक मामले में सजायाफ्ता हो गए. इसके बाद आदित्य सिंह की पुत्रवधू और सुमन सिंह की पत्नी नीतू कुमारी चुनाव मैदान में उतरीं. 2010 और 2015 के चुनाव में वो अनिल सिंह से पराजित हो गई थीं, लेकिन 2020 में नीतू कांग्रेस की टिकट पर निर्वाचित हुईं.

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लंबी है बिहार में मिसेज बाहुबलियों की फेहरिस्त

दरअसल, हिसुआ विधायक नीतू कुमारी, नवादा विधायक विभा देवी, वारिसलीगंज विधायक अरुणा देवी, नवादा की पूर्व विधायक पूर्णिमा यादव और वारिसलीगंज में चुनाव मैदान में उतर रहीं अनिता कुमारी का ही नाम सिर्फ नहीं है. बिहार में ऐसे मिसेज बाहुबलियों की फेहरिस्त लंबी होती जा रही है, जो बाहुबली पति की मजबूरियों के कारण घर की देहरी से पार हुई हैं.

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