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इमामगंज: जहां दल-गठबंधन, व्यक्तिगत छवि से लेकर विकास तक के मसले करते हैं प्रभावित 

साल 2020 के विधानसभा चुनाव में इस क्षेत्र की कुल मान्यता-प्राप्त वोटों की संख्या करीब 2,95,866 थी. साल 2020 के चुनावों में हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) – HAMS के जीतन राम मांझी ने इस विधानसभा क्षेत्र में विशाल जीत हासिल की थी.

इमामगंज: जहां दल-गठबंधन, व्यक्तिगत छवि से लेकर विकास तक के मसले करते हैं प्रभावित 
  • गया जिले के इमामगंज विधानसभा क्षेत्र में अनुसूचित जाति आरक्षित सीट है और यह झारखंड सीमा के नजदीक स्थित है.
  • क्षेत्र में खराब सड़क कनेक्टिविटी, सिंचाई और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी जैसी विकास संबंधी चुनौतियां मौजूद हैं.
  • इस विधानसभा क्षेत्र में अनुसूचित जाति के साथ अन्य पिछड़ा वर्ग और मुस्लिम समुदाय का भी प्रभाव महत्वपूर्ण है.
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पटना:

गया जिले के करीबी क्षेत्र में स्थित इमामगंज विधानसभा क्षेत्र सीट नं 227, अनुसूचित जाति आरक्षित क्षेत्र है. यह एक विशेष राजनीतिक संवेदनशीलता वाला इलाका है. यह सीट इमामगंज ब्लॉक और करीब के भू-भाग को समेटे हुए है जो झारखंड की सीमा के निकट पड़ता है. 

मुस्लिम समुदाय का प्रभाव 

क्षेत्र की भौगोलिक विशेषता यह है कि यह झारखंड की सीमा के करीब, पहाड़ी-वनभूमि की ओर फैला है जिससे मूलभूत विकास चुनौतियां ज्‍यादा हैं. विकास के मसले पर क्षेत्र में काफी समस्‍याएं हैं. खराब सड़क-कनेक्टिविटी, सिंचाई को इनफ्रास्‍ट्रक्‍चर भी बहुत ज्‍यादा विकसित नहीं है. वहीं स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी और स्थानीय रोजगार के कम अवसर चुनौतियों को बढ़ा देते हैं. क्षेत्र में अनुसूचित जाति की आबादी अच्‍छी-खासी महत्वपूर्ण है. वहीं इसके साथ ही अन्य पिछड़ा वर्ग और मुस्लिम समुदाय का भी प्रभाव है. 

मांझी का गढ़ इमामगंज 

राजनीतिक दृष्टिकोण से यहां के उम्मीदवार और उसकी व्यक्तिगत छवि वोटर्स के बीच में बहुत मायने रखती है, खासतौर पर तब जब उस व्यक्ति का स्थानीय जनाधार हो. साल 2020 के विधानसभा चुनाव में इस क्षेत्र की कुल मान्यता-प्राप्त वोटों की संख्या करीब 2,95,866 थी. साल 2020 के चुनावों में हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) – HAMS के जीतन राम मांझी ने इस विधानसभा क्षेत्र में विशाल जीत हासिल की थी. उन्‍हें 78,762 वोट मिले और उनका वोट शेयर करीब 46.6 फीसदी था. दूसरे स्थान पर राष्‍ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के उदय नारायण चौधरी थे और उन्‍हें 62,728 वोट मिले थे और वोट-शेयर करीब 37.1 फीसदी था. इस तरह से जीत का अंतर कुल 16,034 वोट का था. 

मांझी के दबदबे वाली सीट 

मांझी ने साल 2015 के चुनावों में भी जीत हासिल की थी. उस साल उन्‍हें करीब 79,389 वोट मिले थे. ऐसे में आप यह कह सकते हैं कि यह क्षेत्र कुछ हद तक उम्‍मीदवार-केंद्रित राजनीति का केंद्र रहा है. साल 2024 में इस सीट पर उपचुनाव हुए और तब तक मांझी की पार्टी राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का हिस्‍सा बन चुकी थी और ऐसे में इस सीट पर एनडीए का दबदबा रहा. 

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