- बेगूसराय में 13 वर्षीय रवि कुमार ने मोबाइल रिचार्ज खत्म होने पर फ्री फायर गेम न खेलने के कारण आत्महत्या की
- मृतक रवि कुमार के माता-पिता मजदूरी के लिए केरल में थे और वह दादा के साथ गांव में अकेला रहता था
- रवि की बहन ने भी एक साल पहले आत्महत्या की थी, जिससे परिवार पहले ही सदमे में था
बच्चों में मोबाइल और ऑनलाइन गेमिंग की बढ़ती लत किस कदर जानलेवा साबित हो रही है, इसका एक और दुखद उदाहरण बिहार के बेगूसराय में सामने आया है. यहां 'फ्री फायर' गेम खेलने की लत में जकड़े एक 13 वर्षीय बच्चे ने केवल इसलिए जान दे दी, क्योंकि उसके मोबाइल का रिचार्ज खत्म हो गया था और परिवार ने जिद पूरी करने से इनकार कर दिया. इस खौफनाक घटना के बाद से मुफस्सिल थाना क्षेत्र के पहाड़ी गाछी वार्ड-45 में कोहराम मचा हुआ है. मृतक बच्चे की पहचान रवि कुमार (13 वर्षीय, पुत्र चंदन तांती) के रूप में हुई है.
मोबाइल रिचार्ज खत्म होने पर लगाई फांसी
जानकारी के अनुसार, मृतक रवि कुमार के माता-पिता चंदन तांती और उनकी पत्नी केरल के सेलम नामक स्थान पर मजदूरी करते हैं. रवि अपने दादा शंकर दास के साथ गांव में रहता था. दादा शंकर दास ने बताया कि बहन की मौत के बाद रवि घर में अकेला रहता था और उसे मोबाइल पर गेम खेलने की बुरी लत लग चुकी थी. वह दिन-रात मोबाइल में व्यस्त रहता था और किसी की बात नहीं सुनता था.

रवि के मोबाइल का रिचार्ज खत्म हो गया था. उसने लगातार अपने दादा से रिचार्ज कराने की जिद की. दादा ने जब साफ इनकार कर दिया, तो रवि ने गुस्से में आकर एक खौफनाक कदम उठाया. उसने घर में गले में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली. इस घटना के बाद परिवार सदमे में है, क्योंकि यह परिवार पहले भी इसी तरह के हादसे का शिकार हो चुका है.

परिवार पर दूसरी बार टूटा दुखों का पहाड़
मृतक बच्चे के दादा शंकर दास ने बताया कि यह दूसरा मौका है जब उनके परिवार में किसी सदस्य ने आत्महत्या की है. रवि के माता-पिता करीब 2 साल पहले जब केरल जा रहे थे, तब रवि और उसकी बहन राधा को दादा-दादी की देखभाल के लिए गांव में छोड़ गए थे. लेकिन करीब एक साल पहले रवि की बहन राधा ने भी किसी कारणवश घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. अब पोते रवि की मौत से पूरा परिवार टूट गया है. रवि के पिता ही उसे मोबाइल खरीद कर दिए थे और वही रिचार्ज भी करवाते थे.
माता-पिता के लिए सबक
यह घटना उन सभी अभिभावकों के लिए एक बड़ा सबक है, जो अपने बच्चों को मोबाइल की लत से बचाने के लिए ध्यान नहीं दे पाते हैं. मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि बच्चों को कम उम्र में मोबाइल देना और उनकी गेमिंग की लत को नजरअंदाज करना गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है. बच्चों की जिद के आगे झुकने के बजाय, उन्हें सुरक्षित और स्वस्थ माहौल देना सबसे जरूरी है.
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