बेंगलुरु की बेलंदूर झील में गत 16 फरवरी को प्रदूषण के कारण आग लग गई थी.
- बेलंदूर झील में कचरा फेंकने पर लगेगा पांच लाख रुपये का जुर्माना
- झील की सफाई के लिए अधिकारियों की समिति बनाने के निर्देश
- कर्नाटक सरकार को दो हफ्ते में ठोस नीति के बारे में बताने के निर्देश
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बेंगलुरु:
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण) दिल्ली ने बेंगलुरु महानगर पालिका को आदेश दिया है कि वह पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की देखरेख में बेलंदूर लेक के आसपास की सभी औद्योगिक इकाइयों को सील करे. हालांकि उन इकाइयों को छूट मिल सकती है जिन्हें संयुक्त जांच टीम (जेआईटी) इजाजत दे.
एनजीटी ने घरों से निकलने वाले ठोस या तरल कचरे को भी किसी भी रूप में सीधे झील में फेंकने पर प्रतिबंध लगा दिया है. यह निर्देश भी दिए गए हैं कि झील के बफर जोन के आसपास भी कचरा नही फेंका जा सकता है. अगर कोई पकड़ा गया तो पर्यावरण जुर्माने के तौर पर पांच लाख रुपये वसूले जाएंगे.
एनजीटी ने साफ निर्देश दिए हैं कि एडिशनल सेक्रेटरी स्टर के अधिकारियों की एक समिति बनाई जाए. इसमें बेंगलुरु विकास प्राधिकरण, कर्नाटक झील विकास प्राधिकरण के साथ-साथ शहरी विकास प्राधिकरण के अधिकारी शामिल किए जाएं जो यह सुनिश्चित करेंगे कि पूरी झील की एक बार अच्छे से सफाई हो. एक महीने के अंदर इस काम को पूरा किया जाए. इसके लिए निजी एजेंसियों की भी मदद ली जा सकती है.
कर्नाटक सरकार को दो हफ्ते में ट्रिब्यूनल को अपनी ठोस नीति के बारे में बताने के निर्देश दिए गए हैं ताकि बेलंदूर झील में होने वाले प्रदूषण पर पूरी तरह से काबू पाया जा सके. ट्रिब्यूनल के निर्देशों को लागू कराने और इसकी रिपोर्ट ट्रिब्यूनल तक पहुंचाने की जिम्मेदारी झील विकास प्राधिकरण के सीईओ की होगी.
यह झील पिछले एक दशक से काफी प्रदूषित है. शहर की बढ़ती आबादी की वजह से प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया है. प्रदूषण की वजह से कभी इस झील में आग लगती है तो कभी जहरीला झाग लोगों का जीना मुश्किल कर देता है. कुछ ऐसी ही हालत इससे सटी यमलूर और वरतूर लेक का भी है.
एनजीटी ने घरों से निकलने वाले ठोस या तरल कचरे को भी किसी भी रूप में सीधे झील में फेंकने पर प्रतिबंध लगा दिया है. यह निर्देश भी दिए गए हैं कि झील के बफर जोन के आसपास भी कचरा नही फेंका जा सकता है. अगर कोई पकड़ा गया तो पर्यावरण जुर्माने के तौर पर पांच लाख रुपये वसूले जाएंगे.
एनजीटी ने साफ निर्देश दिए हैं कि एडिशनल सेक्रेटरी स्टर के अधिकारियों की एक समिति बनाई जाए. इसमें बेंगलुरु विकास प्राधिकरण, कर्नाटक झील विकास प्राधिकरण के साथ-साथ शहरी विकास प्राधिकरण के अधिकारी शामिल किए जाएं जो यह सुनिश्चित करेंगे कि पूरी झील की एक बार अच्छे से सफाई हो. एक महीने के अंदर इस काम को पूरा किया जाए. इसके लिए निजी एजेंसियों की भी मदद ली जा सकती है.
कर्नाटक सरकार को दो हफ्ते में ट्रिब्यूनल को अपनी ठोस नीति के बारे में बताने के निर्देश दिए गए हैं ताकि बेलंदूर झील में होने वाले प्रदूषण पर पूरी तरह से काबू पाया जा सके. ट्रिब्यूनल के निर्देशों को लागू कराने और इसकी रिपोर्ट ट्रिब्यूनल तक पहुंचाने की जिम्मेदारी झील विकास प्राधिकरण के सीईओ की होगी.
यह झील पिछले एक दशक से काफी प्रदूषित है. शहर की बढ़ती आबादी की वजह से प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया है. प्रदूषण की वजह से कभी इस झील में आग लगती है तो कभी जहरीला झाग लोगों का जीना मुश्किल कर देता है. कुछ ऐसी ही हालत इससे सटी यमलूर और वरतूर लेक का भी है.
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