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This Article is From Oct 13, 2016

बेंगलुरू नहीं चाहता 1,800 करोड़ का पुल, जो रास्ते से हटवाएगा 800 से ज़्यादा पेड़

बेंगलुरू नहीं चाहता 1,800 करोड़ का पुल, जो रास्ते से हटवाएगा 800 से ज़्यादा पेड़
  • बेंगलुरू में एक प्रस्तावित स्टील के ब्रिज का विरोध हो रहा है
  • लोगों को इस प्रोजेक्ट की लागत से आपत्ति है जो 1800 करोड़ रुपए है
  • इस प्रोजेक्ट का दावा है कि यह ट्रैफिक की समस्या को काफी कम कर देगा
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बेंगलुरू: इन दिनों बेंगलुरू एक ऐसी सरकारी योजना का विरोध कर रहा है जिसके तहत एयरपोर्ट तक जाने की सहूलियत के लिए एक स्टील का ब्रिज बनाया जाना है. इस प्रोजेक्ट का कुल खर्चा 1800 करोड़ रूपए है और इसके अलावा 800 से ज्यादा पेड़ों को भी रास्ते से हटाना होगा. जिन नागरिकों ने इस प्रस्तावित पुल के विरोध में हाइकोर्ट में दस्तक दी है उनका कहना है कि उन्हें सिर्फ इसकी कीमत से ही नहीं बल्कि योजना में कमी को लेकर भी आपत्ति है. कहा जा रहा है कि इस योजना में इस बात का भी ध्यान नहीं रखा गया है कि बेंगलुरू में लगातार बढ़ रही भीड़ के आगे बढ़ने का भी ध्यान नहीं रखा गया है.

अगले रविवार शहर की सड़कों पर मानव श्रृंखला बनाकर कैबिनेट द्वारा मंज़ूर किए गए इस 6.72 किमो स्टील के ढांचे का विरोध किया जाएगा जिसे बेंगलुरू के बासवेश्वर सर्कल और हेब्बल के बीच बनाया जाएगा. राज्य सरकार की दलील है कि यह ब्रिज शहर के काफी काम आएगा और एयपोर्ट के रास्ते में बढ़ते ट्रैफिक जाम से निजात दिलाएगा. साथ ही यह नैशनल हाइवे के लिए भी काफी अहम होने वाला है. बेंगलुरू विकास एवं शहरी योजना मंत्री केजी जॉर्ज ने विस्तृत प्रोजेक्ट प्लान को ट्वीट भी किया था.

इस ब्रिज का महत्व समझाते हुए योजना में लिखा गया है कि बेंगलुरू में साठ लाख वाहन हैं जो कि पिछले 10 सालों में 10 प्रतिशत से बढ़े हैं और यह शहर हर अहम मोड़ पर ट्रैफिक जाम देख रहा है. योजना में यह भी लिखा गया है कि कुछ साल पहले एयरपोर्ट के शिफ्ट हो जाने की वजह से शहर का 'यात्रा करने का तरीका' बदल गया है. प्लान में कीमत को लेकर भी सफाई दी गई है और कहा गया है कि 1791 करोड़ रुपए में सिर्फ स्टील का ढांचा ही नहीं बल्कि मुख्य फ्लायओवर, ऊपर-नीचे जाने वाले रैंप, 3 अंडरपास, सर्फेस लेवल रोड, ड्रेनेज सिस्टम, लाइटें और ट्रैफिक सुरक्षा का सामान भी शामिल है.

सरकार ने लागत को विस्तार से भी लिखा है और कहा है कि इस काम में किसी भी तरह की धरोहर को नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा. जहां तक 812 पेड़ों के कटने की बात है तो बेंगलुरू के नगरनिगम ने इसके बदले 60 हज़ार पौधे लगाने का वादा भी किया है. हालांकि इस प्रोजेक्ट के आलोचक जिसमें अहम नागरिक, आर्किटेक्ट्स और गैर सरकारी संस्थाएं शामिल हैं - इस दलील को मानने के लिए तैयार नहीं है. सामाजिक कार्यकर्ता प्रिया राजागोपाल का कहना है कि 'इस मामले में पारदर्शिता नहीं है, हमें यह नहीं बताया जा रहा कि मौजूदा समस्या का निपटारा कैसे कर पाएगा.'

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