बेंगलुरू:
बेंगलुरू पुलिस सकते में है. वो इसलिए क्योंकि एक जांच में यह खुलासा हुआ है पुलिस के हथियारों की चोरी की सज़ा उन पुलिसकर्मियों को दी गई, जो बेगुनाह थे.
दरअसल, बेंगलुरू के कोट्टेन्नंपैठ में 17 फरवरी की रात 11 बजे एक शख्स ज़मीन पर गिरा था, जिसे राहगीरों ने अस्पताल पहुंचाया. उसका ज़ख्म देखकर डॉक्टरों ने फ़ौरन पुलिस को सूचना दी, क्योंकि ये निशान मारपीट के थे. पुलिस ने जब घायल शख्स का बयान लिया तो पता चला कि उसका नाम पुरुषोत्तम राव है, जो सिटी आर्म्ड रिज़र्व पुलिस का हेड कॉन्स्टेबल है.
इसी दौरान पूछताछ कर रहे सब इंस्पेक्टर की नज़र राव के होल्सटर पर पड़ी, जोकि खाली थी, यानी पिस्टल गायब थी. इस पर जब उससे पूछताछ हुई तो उसने बताया कि उसकी पिस्टल घर पर है.
इसके बाद पुलिस जब हेड कॉन्स्टेबल के घर पहुंची तो वहां उसे पिस्टल मिल गई. इसी दौरान इस हेड कॉन्स्टेबल के साथ मारपीट करने के आरोप में 25 साल के अन्नामलाई को जब गिरफ्तार किया गया तो वह भी अपने साथ एक रिवॉल्वर लेकर आया. उसने बताया कि मारपीट के वक्त हेड कॉन्स्टेबल पुरुषोत्तम के पास यही पिस्टल थी, जिसे वो लड़ाई के बाद अपने साथ ले गया.

यह जानकर पुलिस की परेशानी बढ़ गई. अब सवाल यह था कि हेड कॉन्स्टेबल पुरुषोत्तम को जब एक पिस्टल आधिकारिक तौर पर दी गई थी तो उसके पास दूसरी पिस्टल कहां से आई. पुलिस उस वक़्त अचंभे में पड़ गई, जब पुरुषोत्तम के घर से पुलिस ने एक कार्बाइन भी बरामद की. कोट्टनंपैठ पुलिस ने फ़ौरन उसे गिरफ्तार कर लिया और जब हथियारों की जांच उनके सीरियल नंबर से शरू की तो पता चला कि इन तीन हथियारों में से एक पिस्टल वो थी जो सिटी आर्म्ड रिजर्व्ड फोर्स के शस्त्रागार से साल 2006 में चोरी हुई थी और इस मामले में दूसरे पुलिसकर्मी को न सिर्फ दण्डित किया गया, बल्कि 21,000 रुपये (इस गन की क़ीमत) भी उसकी सैलरी से रिकवर किए गए. और दूसरे हथियार कार्बाइन के चोरी होने की जानकारी सालाना ऑडिट के दौरान 2007 के फरवरी में मिली. इस मामले में भी जांच के बाद 11 पुलिसकर्मियों को इसकी सजा दी गई.
बेंगलुरू के पुलिस कमिश्नर प्रवीण सुध ने बताया कि 48 घंटे से ज्यादा न्यायिक हिरासत में रहने की वजह से हेड कॉन्स्टेबल पुरुषोत्तम खुद ही सस्पेंड हो गया है. फिलहाल उसकी दिमागी हालात की जांच अस्पताल निम्हान्स में चल रही है ताकि ये पता चल सके कि कहीं वह मानसिक तौर पर बीमार तो नहीं है.
दरअसल, बेंगलुरू के कोट्टेन्नंपैठ में 17 फरवरी की रात 11 बजे एक शख्स ज़मीन पर गिरा था, जिसे राहगीरों ने अस्पताल पहुंचाया. उसका ज़ख्म देखकर डॉक्टरों ने फ़ौरन पुलिस को सूचना दी, क्योंकि ये निशान मारपीट के थे. पुलिस ने जब घायल शख्स का बयान लिया तो पता चला कि उसका नाम पुरुषोत्तम राव है, जो सिटी आर्म्ड रिज़र्व पुलिस का हेड कॉन्स्टेबल है.
इसी दौरान पूछताछ कर रहे सब इंस्पेक्टर की नज़र राव के होल्सटर पर पड़ी, जोकि खाली थी, यानी पिस्टल गायब थी. इस पर जब उससे पूछताछ हुई तो उसने बताया कि उसकी पिस्टल घर पर है.
इसके बाद पुलिस जब हेड कॉन्स्टेबल के घर पहुंची तो वहां उसे पिस्टल मिल गई. इसी दौरान इस हेड कॉन्स्टेबल के साथ मारपीट करने के आरोप में 25 साल के अन्नामलाई को जब गिरफ्तार किया गया तो वह भी अपने साथ एक रिवॉल्वर लेकर आया. उसने बताया कि मारपीट के वक्त हेड कॉन्स्टेबल पुरुषोत्तम के पास यही पिस्टल थी, जिसे वो लड़ाई के बाद अपने साथ ले गया.

यह जानकर पुलिस की परेशानी बढ़ गई. अब सवाल यह था कि हेड कॉन्स्टेबल पुरुषोत्तम को जब एक पिस्टल आधिकारिक तौर पर दी गई थी तो उसके पास दूसरी पिस्टल कहां से आई. पुलिस उस वक़्त अचंभे में पड़ गई, जब पुरुषोत्तम के घर से पुलिस ने एक कार्बाइन भी बरामद की. कोट्टनंपैठ पुलिस ने फ़ौरन उसे गिरफ्तार कर लिया और जब हथियारों की जांच उनके सीरियल नंबर से शरू की तो पता चला कि इन तीन हथियारों में से एक पिस्टल वो थी जो सिटी आर्म्ड रिजर्व्ड फोर्स के शस्त्रागार से साल 2006 में चोरी हुई थी और इस मामले में दूसरे पुलिसकर्मी को न सिर्फ दण्डित किया गया, बल्कि 21,000 रुपये (इस गन की क़ीमत) भी उसकी सैलरी से रिकवर किए गए. और दूसरे हथियार कार्बाइन के चोरी होने की जानकारी सालाना ऑडिट के दौरान 2007 के फरवरी में मिली. इस मामले में भी जांच के बाद 11 पुलिसकर्मियों को इसकी सजा दी गई.
बेंगलुरू के पुलिस कमिश्नर प्रवीण सुध ने बताया कि 48 घंटे से ज्यादा न्यायिक हिरासत में रहने की वजह से हेड कॉन्स्टेबल पुरुषोत्तम खुद ही सस्पेंड हो गया है. फिलहाल उसकी दिमागी हालात की जांच अस्पताल निम्हान्स में चल रही है ताकि ये पता चल सके कि कहीं वह मानसिक तौर पर बीमार तो नहीं है.
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