- 'स्पेशल-26' तर्ज पर लोगों को डरा-धमकाकर लूटते थे पुलिस वाले
- पुराने नोटों को बदलने के लिए बनाया था एक गिरोह
- गिरोह का मुखिया सब इंस्पेक्टर था, क्राइम ब्रांच का हवलदार भी शामिल
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बेंगलुरु:
फिल्म 'स्पेशल-26' में अक्षय कुमार अपने साथियों के साथ फर्जी सीबीआई अधिकारी बनकर बड़े-बड़े कारोबारियों को लूटता था. बेंगलुरु में एक ऐसे ही गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है जो नोटबंदी के बाद नोट बदलने की आड़ में लोगों को लूटता था. इस गिरोह में सब इंस्पेक्टर सहित 8 पुलिसवाले शामिल थे.
बेंगलुरु पुलिस ने एक सब इंस्पेक्टर सहित 8 पुलिसकर्मियों को पुलिसिया रौब दिखाकर लोगों को लूटने के आरोप में गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार लोगों में क्राइम ब्रांच का हवलदार भी शामिल है.
जानकारी के मुताबिक इस गैंग से जुड़ा एक व्यक्ति, जो पुलिसकर्मी नहीं था, ऐसे लोगों की तलाश करता था जो नोटबंदी के बाद अपनी काली रकम को कुछ कमीशन पर सफेद कराने की फिराक में रहते थे. गिरोह का सदस्य पुराने 500 और 1000 के नोटों को नई मुद्रा में बदलने का दावा करता था.
सौदा पक्का होने पर यह व्यक्ति अपने ग्राहक को सारा पैसा लेकर किसी तय स्थान पर बुलाता था. जब वह ग्राहक, गैंग द्वारा बताए पते पर अपनी रक़म लेकर पहुंचता तो, असली पुलिस वाले वहां धमक जाते और ग्राहक को गिरफ्तार करने की धमकी देकर सारी रक़म लेकर चंपत हो जाते थे.
बेंगलुरु पुलिस के अतिरिक्त आयुक्त (विधि व्यवस्था) चरण रेड्डी के मुताबिक यह गिरोह अपने जाल में फंसे आदमी के घर में घुसकर भी लोगों को डराते-धमकाते और रिवॉल्वर दिखाकर घर में रखी रक़म लेकर भी फरार हो जाता था. मामला पुलिस का होने की वजह से पीड़ित लोग डर के मारे शिकायत भी नहीं कर पाते थे.
चरण रेड्डी ने बताया कि कुछ लोगों के हिम्मत दिखाने पर इस तरह के 4 मामले थोड़े ही समय में दर्ज किए गए. शिकायत के आधार पर गैंग में शामिल पुलिसकर्मियों पर लगातार नज़र रखी जा रही थी. कुछ मामले संज्ञान में आने पर इन्हें हिरासत में लेकर कड़ी पूछताछ की गई तो इन लोगों ने अपना गुनाह कबूल कर लिया. इस गैंग ने करीब 64 लाख रुपये लोगों से लूटे थे.
पुलिस आयुक्त ने बताया कि इस लोगों को बर्खास्त करने के बाद गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया है. इस गैंग का मुखिया सब इंस्पेक्टर एनसी मल्लिकार्जुन बताया गया है.
बेंगलुरु पुलिस ने एक सब इंस्पेक्टर सहित 8 पुलिसकर्मियों को पुलिसिया रौब दिखाकर लोगों को लूटने के आरोप में गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार लोगों में क्राइम ब्रांच का हवलदार भी शामिल है.
जानकारी के मुताबिक इस गैंग से जुड़ा एक व्यक्ति, जो पुलिसकर्मी नहीं था, ऐसे लोगों की तलाश करता था जो नोटबंदी के बाद अपनी काली रकम को कुछ कमीशन पर सफेद कराने की फिराक में रहते थे. गिरोह का सदस्य पुराने 500 और 1000 के नोटों को नई मुद्रा में बदलने का दावा करता था.
सौदा पक्का होने पर यह व्यक्ति अपने ग्राहक को सारा पैसा लेकर किसी तय स्थान पर बुलाता था. जब वह ग्राहक, गैंग द्वारा बताए पते पर अपनी रक़म लेकर पहुंचता तो, असली पुलिस वाले वहां धमक जाते और ग्राहक को गिरफ्तार करने की धमकी देकर सारी रक़म लेकर चंपत हो जाते थे.
बेंगलुरु पुलिस के अतिरिक्त आयुक्त (विधि व्यवस्था) चरण रेड्डी के मुताबिक यह गिरोह अपने जाल में फंसे आदमी के घर में घुसकर भी लोगों को डराते-धमकाते और रिवॉल्वर दिखाकर घर में रखी रक़म लेकर भी फरार हो जाता था. मामला पुलिस का होने की वजह से पीड़ित लोग डर के मारे शिकायत भी नहीं कर पाते थे.
चरण रेड्डी ने बताया कि कुछ लोगों के हिम्मत दिखाने पर इस तरह के 4 मामले थोड़े ही समय में दर्ज किए गए. शिकायत के आधार पर गैंग में शामिल पुलिसकर्मियों पर लगातार नज़र रखी जा रही थी. कुछ मामले संज्ञान में आने पर इन्हें हिरासत में लेकर कड़ी पूछताछ की गई तो इन लोगों ने अपना गुनाह कबूल कर लिया. इस गैंग ने करीब 64 लाख रुपये लोगों से लूटे थे.
पुलिस आयुक्त ने बताया कि इस लोगों को बर्खास्त करने के बाद गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया है. इस गैंग का मुखिया सब इंस्पेक्टर एनसी मल्लिकार्जुन बताया गया है.
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