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    कुरआन में एक ही क्षण में तलाक का कोई जिक्र नहीं...

    कुरआन में तलाक़ की पूरी प्रक्रिया है जिसे बहुत कठिन बनाया गया है लेकिन पर्सनल लॉ के पैरोकार इसे बेहद सरल बनाए हुए हैं. मियां-बीवी में अगर कोई झगड़ा है तो कुरआन में परिवार में बातचीत, पति-पत्नी के बीच संवाद और सुलह पर जोर दिया गया है. पवित्र कुरआन में कहा गया है कि जहां तक संभव हो, तलाक न दिया जाए. यदि तलाक देना जरूरी हो जाए तो कम से कम इसकी प्रक्रिया न्यायिक हो.

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