
- स्पेसएक्स अध्यक्ष ने सिंधिया से जून में मुलाकात की थी, इस दौरान स्टारलिंक पर चर्चा हुई थी
- चर्चा के बाद स्टारलिंक को भारत में उपग्रह संचार सेवाओं के लिए लाइसेंस मिला था
- स्टारलिंक की सेवा शुरू होने में कुछ महीने लग सकते हैं.
- स्टारलिंक के पास वर्तमान में लगभग 7,000 उपग्रह हैं, भविष्य में 40,000 होने की उम्मीद.
भारत डिजिटल कनेक्टिविटी में एक बड़ी छलांग लगाने को तैयार है. जल्द ही स्पेसएक्स की स्टारलिंक सैटेलाइट इंटरनेट सेवा देश में शुरू हो जाएगी. इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड ऑथराइजेशन सेंटर (आईएन-स्पेस) के अध्यक्ष डॉ पवन गोयनका ने NDTV से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने पुष्टि की कि स्टारलिंक के लिए अधिकांश नियामक और लाइसेंस आवश्यकताएं लगभग पूरी हो गई हैं. आनेवाले दिनों में अंतिम मंजूरी मिलने की उम्मीद है. डॉ. गोयनका और स्पेसएक्स के अध्यक्ष और सीओओ ग्वेने शॉटवेल के बीच हाल ही में एक बैठक हुई थी. जो प्राधिकरण से संबंधित लंबित मुद्दों को हल करने पर केंद्रित थी.
सेवा चालू होने में कितना लगेगा वक्त?
उन्होंने कहा ग्राउंडवर्क कार्य लगभग पूरा हो चुका है, लेकिन सेवा शुरू होने से पहले कई तकनीकी और प्रक्रियात्मक कदम उठाने बाकी हैं. उन्होंने कहा, "अधिकार मिलने के बाद भी सेवा चालू होने में कुछ महीने लगेंगे."
- अमेरिकी उद्योगपति एलन मस्क की अगुवाई वाली कंपनी स्पेसएक्स की अध्यक्ष एवं मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) ग्वेन शॉटवेल ने जून में को संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात की.
- स्टारलिंक उपग्रह प्रौद्योगिकी की मदद से दुनिया भर में उच्च गति वाली ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवाएं देती है.
- इसके लिए स्टारलिंक पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थित उपग्रहों (एलईओ) का इस्तेमाल करती है.
- फिलहाल स्टारलिंक के पास करीब 7,000 एलईओ हैं लेकिन आगे चलकर इनकी संख्या 40,000 से भी अधिक हो जाने की उम्मीद है.
इस महीने की शुरुआत में दूरसंचार विभाग ने स्टारलिंक को भारत में उपग्रह आधारित इंटरनेट सेवाएं देने के लिए लाइसेंस दिया था. इसके साथ ही मस्क की कंपनी के लिए भारत में वाणिज्यिक परिचालन की शुरुआत का रास्ता साफ हो गया. इसके पहले यूटेलसैट वनवेब और जियो सैटेलाइट कम्युनिकेशंस को भी उपग्रह आधारित इंटरनेट सेवाएं देने के लिए लाइसेंस मिल चुका है. अमेजन की इकाई कुइपर को अभी भी मंजूरी का इंतजार है. डॉ. गोयनका ने आशा व्यक्त की कि इन प्रोवाइडर्स के संयुक्त प्रयासों से पूरे देश में इंटरनेट की पहुंच और अधिक होगी.
भारत को खासकर ग्रामीण इलाकों में सैटेलाइट इंटरनेट की जरूरत है. ब्रॉडबैंड इंफ्रास्ट्रक्चर दूरदराज के इलाकों तक पहुंच में इतना कामयाब नहीं हुआ है. ब्रॉडबैंड की तुलना में सैटेलाइट कनेक्टिविटी स्केलेबल और कुशल विकल्प प्रदान करती है.
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