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हरतालिका तीज पर इस आरती के साथ कर सकते हैं पूजा संपन्न, मिलेगा भगवान शिव और मां गौरी का आशीर्वाद

Hartalika Teej 2024 Date: पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष में हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है. इस साल हरतालिका तीज पर कई शुभ योग भी बन रहे हैं, जानिए यहां. 

Written by Updated : September 05, 2024 9:47 AM IST
हरतालिका तीज पर इस आरती के साथ कर सकते हैं पूजा संपन्न, मिलेगा भगवान शिव और मां गौरी का आशीर्वाद
Hartalika Teej Aarti: हरतालिका तीज पर इस आरती को गाकर पूजा की जा सकती है. 
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Hartalika Teej 2024: हिंदू धर्म में हरतालिका तीज की विशेष धार्मिक मान्यता होती है. इस व्रत को विवाहित महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए करती हैं और माना जाता है कि वैवाहिक जीवन सुखमय भी बनता है. पंचांग के अनुसार, हरतालिका तीज का व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर रखा जाता है. इस साल 6 सितंबर, शुक्रवार के दिन हरतालिका तीज का व्रत रखा जाएगा. इस व्रत के दिन कई शुभ योग (Shubh Yog) बन रहे हैं. इस दिन शुक्ल योग है जो रात 10 बजकर 14 मिनट तक रहेगा और साथ ही गर, वणिज और हस्त नक्षत्र का शुभ संयोग बन रहा है. मान्यतानुसार इस साल हरतालिका तीज पर चंद्रमा तुला राशि में रहने वाले हैं जिससे पूजा का महत्व और भी बढ़ जाता है. हरतालिका तीज के दिन भगवान शिव और मां गौरी की पूरे मनोभाव से पूजा-आराधना की जाती है. यहां पढ़िए शिव-गौरी की आरती (Shiv Gauri Aarti) जिसे गाकर पूजा संपन्न की जा सकती है. 

हरतालिका तीज की आरती | Hartalika Teej Aarti 

भगवान शिव की आरती 
ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव अर्द्धांगी धारा।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे। हंसानन गरूड़ासन
वृषवाहन साजे।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
मधु कैटव दोउ मारे, सुर भयहीन करे।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
लक्ष्मी, सावित्री पार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
पर्वत सोहें पार्वतू, शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
जया में गंग बहत है, गल मुण्ड माला।
शेषनाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवान्छित फल पावे।।
ओम जय शिव ओंकारा।। ओम जय शिव ओंकारा।।

मां पार्वती की आरती 
जय पार्वती माता, जय पार्वती माता.
ब्रह्म सनातन देवी, शुभ फल की दाता..
जय पार्वती माता...
अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता.
जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुण गाता.
जय पार्वती माता...
सिंह को वाहन साजे कुंडल है साथा.
देव वधु जहं गावत नृत्य कर ताथा..
जय पार्वती माता...
सतयुग शील सुसुन्दर नाम सती कहलाता.
हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता..
जय पार्वती माता...
शुम्भ-निशुम्भ विदारे हेमांचल स्याता.
सहस भुजा तनु धरिके चक्र लियो हाथा..
जय पार्वती माता...
सृष्टि रूप तुही जननी शिव संग रंगराता.
नंदी भृंगी बीन लाही सारा मदमाता.
जय पार्वती माता...
देवन अरज करत हम चित को लाता.
गावत दे दे ताली मन में रंगराता..
जय पार्वती माता...
श्री प्रताप आरती मैया की जो कोई गाता.
सदा सुखी रहता सुख संपति पाता..
जय पार्वती माता...।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)