मध्यप्रदेश में कमलनाथ का पलड़ा भारी, लेकिन राहुल गांधी लेंगे अंतिम फैसला

चुनावी नतीजों के बाद मध्य प्रदेश में कांग्रेस विधायक दल के नेता का चुनाव पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) पर छोड़ा गया है.

मध्यप्रदेश में कमलनाथ का पलड़ा भारी, लेकिन राहुल गांधी लेंगे अंतिम फैसला

कांग्रेस को 114 सीटें मिली हैं.

खास बातें

  • विधायक चाहते हैं राहुल लें फैसला
  • एमपी में विधायक दल की बैठक में फ़ैसला
  • ज्योतिरादित्य और कमलनाथ में मुकाबला
भोपाल:

चुनावी नतीजों के बाद मध्य प्रदेश में कांग्रेस विधायक दल के नेता का चुनाव पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) पर छोड़ा गया है. बैठक में कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक आरिफ अकील ने कहा कि परंपरा रही है आलाकमान तय करे. वहीं, दूसरे विधायक और वरिष्ठ नेता गोविंद सिंह ने भी इसका समर्थन किया. इसके बाद सभी विधायकों ने हामी भरी, यानि अब आलाकमान ही तय करेगा मुख्यमंत्री का चेहरा. बैठक के बाद अब एके एंटनी 1-1 कर सभी विधायकों से चर्चा कर रहे हैं. मध्यप्रदेश में कमलनाथ और सिंधिया के बीच इस पद के लिए कांटे की टक्कर है, लेकिन कमलनाथ का पलड़ा भारी है.

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प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग की अध्यक्ष शोभा ओझा ने बताया, 'पार्टी के नवनिर्वाचित विधायकों ने एक प्रस्ताव पारित कर पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को अधिकार दिया है कि वह मुख्यमंत्री के नाम पर अंतिम फैसला करें. कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक आरिफ अकील ने इस आशय का प्रस्ताव विधायकों की बैठक में रखा, जिसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया.' विधायकों की बैठक प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में लगभग दो घंटे तक चली इसके बाद पार्टी पर्यवेक्षकों के तौर पर यहां आये कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एके एंटनी और कुंवर भंवर जितेन्द्र सिंह द्वारा विधायकों से अलग-अलग राय ली जा रही है. ओझा ने बताया कि बैठक में कांग्रेस को समर्थन दे रहे चार निर्दलीय विधायक भी मौजूद थे. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ, वरिष्ठ कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया, दिग्विजय सिंह, अरुण यादव और विवेक तन्खा सहित अन्य नेता भी बैठक में मौजूद थे.

इससे पहले बुधवार दोपहर को कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया, दिग्विजय सिंह, अरुण यादव और विवेक तन्खा ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से राजभवन में मुलाकात की और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनाने का दावा पेश किया. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर कमलनाथ ने राज्यपाल को सौंपे अपने पत्र में कहा, 'विधानसभा चुनावों में कांग्रेस प्रदेश में सबसे बड़े दल के तौर पर सामने आई है और कांग्रेस को बहुमत हासिल है. बसपा, सपा और निर्दलीय विधायकों ने भी कांग्रेस के प्रति समर्थन व्यक्त किया है.' उन्होंने राज्यपाल से आग्रह किया कि कांग्रेस को प्रदेश में सरकार बनाने का अवसर दिया जाये. 

इससे पहले मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव परिणाम में कांग्रेस बहुमत के आंकड़े से दो सीट दूर रह गई. कांग्रेस 114 सीटों पर ही जीत हासिल कर पाई. इसके बाद दूसरे नंबर पर भारतीय जनता पार्टी 109 सीटों के साथ रही. बहुजन समाज पार्टी को भी दो और समाजवादी पार्टी को एक सीट मिली हैं. इसके अलावा चार निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की. बुधवार को बसपा प्रमुख मायावती ने कांग्रेस को समर्थन देने का एलान किया.

मायावती ने कहा था कि भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए वह कांग्रेस को समर्थन दे रही हैं. इसके बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी कांग्रेस को समर्थन देने का एलान कर दिया. अब खबरें आ रही हैं कि सपा और बसपा के एलान के बाद निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी कांग्रेस का हाथ थामने का फैसला कर लिया है. ऐसे में कांग्रेस का आंकड़ा बहुमत से ज्यादा हो जाएगा. अगर इन सबको मिला जाए तो कांग्रेस को आंकड़ा 121 पहुंच जाएगा.
 

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इन चार निर्दलीय उम्मीदवारों में सुसनेर विधानसभा सीट से विक्रम सिंह राणा भाई हैं. इन्हें 75804 वोट मिले हैं, वहीं यहां से दूसरे नंबर पर कांग्रेस के महेंद्र भैरू सिंह बापू रहे, जिन्हें 48742 वोट मिले हैं. दूसरे बुरहानपुर से ठाकुर सुरेंद्र सिंह नवल सिंह 'शेरा भईया' हैं. इन्होंने शिवराज सरकार में मंत्री अर्चना दीदी को करीब छह हजार वोटों से हराया है. वहीं वारसिवनी से प्रदीप अमृतलाल जायसवाल 57783 वोटों के साथ जीते हैं. इनके अलावा चौथे निर्दलीय उम्मीदवार भगवानपुर से केदार छिड़ाभाई हैं, यहां दूसरे नंबर पर भाजपा के जमनासिंह सोलंकी 64042 रहे.

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मायावती ने कांग्रेस को समर्थन देने से पहले उसे फटकार लगाई, उसके बाद उन्होंने समर्थन देने का एलान किया. इसके साथ ही मायावती ने कहा कि राजस्थान में जरूरत पड़ी तो वहां भी कांग्रेस को समर्थन दिया जाएगा. मायावती ने कहा, 'भाजपा गलत नीतियों की वजह से हारी है. भाजपा से जनता परेशान हो चुकी है. भाजपा और कांग्रेस दोनों के शासन में यहां काफी उपेक्षा हुई है. आजादी के बाद केंद्र और राज्य में ज्यादातर जगह कांग्रेस ने ही राज किया है. मगर कांग्रेस के राज में भी लोगों का भला नहीं हो पाया. अगर कांग्रेस बाबा साहब अंबेडकर के साथ मिलकर विकास का काम सही से किया होता तो बसपा को अलग पार्टी बनाने की जरूरत नहीं पड़ती.'

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साथ ही उन्होंने कहा, 'भाजपा को सत्ता से बाहर रखने के लिए हमारी पार्टी ने यह चुनाव लड़ा था. दुख की बात है कि हमारी पार्टी इसमें उस तरह से कामयाब नहीं हो पाई. भाजपा अभी भी सत्ता में आने के लिए जोर-तोड़ कर रही है. इसलिए हमने कांग्रेस पार्टी को सरकार बनाने के लिए समर्थन देने का फैसला किया है. भाजपा को सत्ता से दूर रखने का यही तरीका है. अगर राजस्थान में भी जरूरत हुई, तो वहां भी भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए बसपा समर्थन दे सकती है.'

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बता दें, मध्य प्रदेश में 230 सीटों में से 114 सीटें कांग्रेस और 109 सीटें भाजपा को मिली हैं. इसके अलावा बसपा को दो, सपा को एक और निर्दलीयों को चार सीटों पर जीत मिली है.

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