
लखनऊ:
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पांचवें चरण के लिए चल रहे प्रचार का शोर तो थम गया, लेकिन चुनावी रैलियों के जरिये छिड़ी जुबानी जंग में बड़ी पार्टियों ने खूब मर्यादा तोड़ रही हैं. इस मामले में कोई पार्टी किसी से कम नहीं है. फिर चाहे वह शुचिता का दंभ भरने वाली बीजेपी हो या फिर समाजवादी के नेता. बीजेपी की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह, योगी आदित्यनाथ तो समाजवादी पार्टी की ओर से आजम खान, सीएम अखिलेश यादव एक दूसरे पर जुबानी तीर छोड़ने में पीछे नहीं हैं. वहीं कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी खुलकर नए नारे गढ़ रहे हैं.
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के मुखिया लालू प्रसाद ने रायबरेली में अपनी जनसभा में प्रधानमंत्री मोदी की भाव-भंगिमाओं और हाथों की जुंबिश की नकल करते हुए निहायत आपत्तिजनक टिप्पणियां कीं. भाजपा ने उनके भाषण की सीडी निर्वाचन आयोग के पास भेजकर कार्रवाई की मांग की है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बसपा को 'बहनजी संपत्ति पार्टी' बता दिया तो जवाब में बसपा प्रमुख मायावती ने मोदी को 'नेगेटिव दलित मैन' करार दे दिया.
अपने प्रचार अभियान के दौरान मोदी पर लगातार हमले कर रहे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री को 'शोले' फिल्म के डाकू 'गब्बर सिंह' की संज्ञा दे डाली. चुनावी खींचतान के बीच सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बोलने के तरीके पर सवाल उठाते हुए उन्हें 'आतंकवादी' करार दे दिया.
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी मौका नहीं छोड़ा, उन्होंने कहा कि यूपी को कसाब से मुक्त कराना होगा. उन्होंने समझाया, 'क-कांग्रेस, स-सपा और ब-बसपा.' (कसाब मुंबई हमले का गुनहगार पाकिस्तानी आतंकवादी था, जिसे फांसी की सजा दी गई)
मुख्य रूप से अपने विकास कार्यो के बल पर प्रचार कर रहे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 'गुजरात के गधों' के विज्ञापन पर सवाल उठा दिया तो गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी ने जवाब में कहा, "यूपी के मुख्यमंत्री को पता नहीं है कि गधे कितने वफादार होते हैं."
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संवित पात्रा ने कहा कि अखिलेश ने विज्ञापन पर सवाल उठाने के बहाने प्रधानमंत्री को गधा कह दिया है. अगले दिन प्रधानमंत्री स्वयं बोल पड़े, "मैं गधे से भी प्रेरणा लेता हूं और जनता की सेवा के लिए गधे की तरह काम करता हूं."
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के मुखिया लालू प्रसाद ने रायबरेली में अपनी जनसभा में प्रधानमंत्री मोदी की भाव-भंगिमाओं और हाथों की जुंबिश की नकल करते हुए निहायत आपत्तिजनक टिप्पणियां कीं. भाजपा ने उनके भाषण की सीडी निर्वाचन आयोग के पास भेजकर कार्रवाई की मांग की है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बसपा को 'बहनजी संपत्ति पार्टी' बता दिया तो जवाब में बसपा प्रमुख मायावती ने मोदी को 'नेगेटिव दलित मैन' करार दे दिया.
अपने प्रचार अभियान के दौरान मोदी पर लगातार हमले कर रहे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री को 'शोले' फिल्म के डाकू 'गब्बर सिंह' की संज्ञा दे डाली. चुनावी खींचतान के बीच सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बोलने के तरीके पर सवाल उठाते हुए उन्हें 'आतंकवादी' करार दे दिया.
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी मौका नहीं छोड़ा, उन्होंने कहा कि यूपी को कसाब से मुक्त कराना होगा. उन्होंने समझाया, 'क-कांग्रेस, स-सपा और ब-बसपा.' (कसाब मुंबई हमले का गुनहगार पाकिस्तानी आतंकवादी था, जिसे फांसी की सजा दी गई)
मुख्य रूप से अपने विकास कार्यो के बल पर प्रचार कर रहे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 'गुजरात के गधों' के विज्ञापन पर सवाल उठा दिया तो गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी ने जवाब में कहा, "यूपी के मुख्यमंत्री को पता नहीं है कि गधे कितने वफादार होते हैं."
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संवित पात्रा ने कहा कि अखिलेश ने विज्ञापन पर सवाल उठाने के बहाने प्रधानमंत्री को गधा कह दिया है. अगले दिन प्रधानमंत्री स्वयं बोल पड़े, "मैं गधे से भी प्रेरणा लेता हूं और जनता की सेवा के लिए गधे की तरह काम करता हूं."
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