शिवपाल सिंह यादव जसवंत नगर सीट से पांचवीं बार चुनाव लड़ रहे हैं
लखनऊ:
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के तीसरे चरण के दौर का मतदान चल रहा है. जैसे-जैसे मतदान हो रहा है, प्रत्याशियों के दिलों की धड़कन भी बढ़ती जा रही है. मतदाताओं की लहर किस तरफ अपना रुख मोड़ ले, कुछ कहा नहीं जा सकता. लेकिन इन चुनावों में एक बात जो साफ नज़र आ रही है, वह है शिवपाल यादव को खुद की सीट का खतरा. शिवपाल सिंह जसवंत नगर विधानसभा सीट से पांचवीं बार चुनाव लड़ रहे हैं.
प्रदेश में चाचा-भतीजे की लड़ाई में कहीं चाचा शिवपाल की कुर्सी न चली जाए. इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले एक महीने से शिवपाल सिंह अपनी विधानसभा छोड़कर कहीं बाहर नहीं गए हैं. खासबात यह कि न तो शिवापाल विधानसभा छोड़कर बाहर गए हैं और न ही अब तक कोई बयान दिया है. वे एकदम चुप्पी साधे हुए हैं. हां, बस इतना ही कहते नज़र आते हैं, '11 मार्च के बाद बोलूंगा.'
पार्टी सूत्र बताते हैं कि अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव के विरोध में खड़े हो जाने के कारण शिवपाल को अपनी कुर्सी जाने का डर सता रहा है. उन्हें डर किसी विपक्षी पार्टी से नहीं बल्कि अपने खुदे के परिवार से लग रहा है. क्योंकि अखिलेश यादव रैलियों के दौरान साफ-साफ कह चुके हैं कि अपने लोग ही पार्टी और परिवार को नुकसान पहुंचाने में लगे हुए हैं.
गुरुवार को इटावा में आयोजित एक रैली में उन्होंने कहा, ‘जिन्होंने नेताजी और मेरे बीच खाई पैदा की है, इटावा के लोग उन्हें सबक सिखाने का काम करना.’ अखिलेश जसवंत नगर में प्रचार करने नहीं आए.
शिवपाल को अपने भतीजे का साथ मिलने की कतई उम्मीद नहीं है, इसलिए विधानसभा में उन्होंने अकेले ही अभियान चलाया. चुनावी बैनरों और पोस्टरों में भी मुख्यमंत्री अखिलेश गायब हैं. शिवपाल सिंह के सामने बसपा उम्मीदवार दुर्वेश शाक्य और बीजेपी के मनीष मैदान में हैं. जसवंतनगर के 3.5 लाख मतदाताओं में यादव 40 फीसदी हैं.
यूपी में चुनावों के तीसरे चरण में 12 ज़िलों की 69 सीटों पर वोट डाले जा रहे हैं. इन सीटों पर 826 उम्मीदवार मैदान में हैं. इस चरण में यादव परिवार की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है. यादव परिवार के 22 सदस्य राजनीति में हैं.
प्रदेश में चाचा-भतीजे की लड़ाई में कहीं चाचा शिवपाल की कुर्सी न चली जाए. इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले एक महीने से शिवपाल सिंह अपनी विधानसभा छोड़कर कहीं बाहर नहीं गए हैं. खासबात यह कि न तो शिवापाल विधानसभा छोड़कर बाहर गए हैं और न ही अब तक कोई बयान दिया है. वे एकदम चुप्पी साधे हुए हैं. हां, बस इतना ही कहते नज़र आते हैं, '11 मार्च के बाद बोलूंगा.'
पार्टी सूत्र बताते हैं कि अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव के विरोध में खड़े हो जाने के कारण शिवपाल को अपनी कुर्सी जाने का डर सता रहा है. उन्हें डर किसी विपक्षी पार्टी से नहीं बल्कि अपने खुदे के परिवार से लग रहा है. क्योंकि अखिलेश यादव रैलियों के दौरान साफ-साफ कह चुके हैं कि अपने लोग ही पार्टी और परिवार को नुकसान पहुंचाने में लगे हुए हैं.
गुरुवार को इटावा में आयोजित एक रैली में उन्होंने कहा, ‘जिन्होंने नेताजी और मेरे बीच खाई पैदा की है, इटावा के लोग उन्हें सबक सिखाने का काम करना.’ अखिलेश जसवंत नगर में प्रचार करने नहीं आए.
शिवपाल को अपने भतीजे का साथ मिलने की कतई उम्मीद नहीं है, इसलिए विधानसभा में उन्होंने अकेले ही अभियान चलाया. चुनावी बैनरों और पोस्टरों में भी मुख्यमंत्री अखिलेश गायब हैं. शिवपाल सिंह के सामने बसपा उम्मीदवार दुर्वेश शाक्य और बीजेपी के मनीष मैदान में हैं. जसवंतनगर के 3.5 लाख मतदाताओं में यादव 40 फीसदी हैं.
यूपी में चुनावों के तीसरे चरण में 12 ज़िलों की 69 सीटों पर वोट डाले जा रहे हैं. इन सीटों पर 826 उम्मीदवार मैदान में हैं. इस चरण में यादव परिवार की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है. यादव परिवार के 22 सदस्य राजनीति में हैं.
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