चेन्नई:
तमिलनाडु में मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए दोबारा किस्मत आज़माने वाली जयललिता उन चीज़ों की लिस्ट बनवाना नहीं भूलती जिसे उनकी सरकार ने जनता के बीच बांटा हैं। इनमें लैपटॉप, मिक्सर, ग्राइंडर, पंखे, सोने के सिक्के और स्कूल किट शामिल है। एक अनुमान के मुताबिक राज्य सरकार ने इन मुफ्त सामानों को बांटने में करीब 21 हज़ार करोड़ रुपया खर्च कर दिया है। विपक्षी दल डीएमके ने आरोप लगाया है कि इन सामानों की आपूर्ति के लिए जारी किए गए कॉन्ट्रैक्ट में पारदर्शिता नहीं थी और बांटी गई चीज़ों की गुणवत्ता भी अच्छी नहीं थी।
हालांकि यह आलोचना सरकार द्वारा बांटे गए सभी सामानों पर लागू नहीं होती। जैसे कि जरूरतमंद छात्रों को दिया गया लैपटॉप जिसे चीनी लैपटॉप कंपनी लिनोवो ने सप्लाई किया था और जिसकी कम ही शिकायतें दर्ज हुई हैं। वहीं सरकार का 9 हज़ार करोड़ रुपया जिस मिक्सर-ग्राइंडर और पंखों पर खर्च हुआ है उसकी क्वॉलिटी को लेकर काफी शिकायतें आई हैं। सेलम के पास एक गांव में एक परिवार ने बताया कि जैसे ही उन्होंने मिक्सर का प्लग लगाया, एक स्पार्क हुआ और मशीन बैठ गई। इन मशीनों पर निर्माता कंपनी का नाम भी नहीं लिखा है और सिर्फ एक सीरियल नंबर दिया हुआ है।
इन तीन सामानों की उपलब्धता देखने वाले तमिलनाडु नागरिक आपूर्ति निगम का कहना है कि इन मशीनों को उन्होंने अलग अलग कंपनियों से कड़े नियमों के तहत मंगवाया है। इसे मंगवाने का पैमाना सिर्फ इसका सस्ता दाम नहीं बल्कि कंपनी की उत्पादन क्षमता, बैंक प्रमाण पत्र और पिछला कामकाज भी है। पता लगने पर सामने आया कि पंखा सप्लाई करने वाली कुछ कंपनियों में से दो ही ईमानदार दिखाई दे रही हैं - हैदराबाद की यश इंटरनेश्नल और एरोवेव इंटरनेश्नल। दोनों ही कंपनियों का पंजीकरण अलग अलग किया गया है लेकिन इनके डायरेक्टर एक ही हैं। इनकी वेबसाइट भी काम कर रही है और जब एनडीटीवी से उनसे बात की तो उन्होंने स्वीकार भी किया कि वह तमिलनाडु सरकार को पंखे सप्लाई कर रही है।
लेकिन चैन्नई स्थित अरूणाचल एम्पैक्स और भारत एग्री इंटरनेश्नल ट्रेडिंग लि. का मामला ऐसा नहीं है। इन कंपनियों ने भी मिक्सर और पंखों का कॉन्ट्रैक्ट हासिल किया है। महज़ एक लाख की संपत्ति वाली अरूणाचल और भारत एग्री खुद को ट्रेडिंग कंपनी बताती हैं जो निर्माताओं से मिक्सर और पंखे लेकर सरकार को सप्लाई करती हैं। अरूणाचल के एक अधिकारी ने बताया 'हम हर तरह का व्यवसाय करते हैं, दाल, इलेक्ट्रोनिक सामान, जोमेट्री बॉक्स, इत्यादि। हम ट्रेडर हैं और हम तरह का व्यवसाय करने के योग्य हैं।' जब इनसे पूछा गया कि वह यह सामान कहां से मंगवाते हैं भारत एग्री के एक बाशिंदे ने टिप्पणी करने से मना कर दिया।
हमने तमिलनाडु नागरिक आपूर्ति निगम से जब सवाल किया कि किस आधार पर ट्रेडर को कॉन्ट्रैक्ट दिया जाता है, खासतौर पर तब जबकि टेंडर नियमों में साफ तौर पर लिखा गया है कि कंपनी को चुनने से पहले उसकी उत्पादन क्षमता और अनुभव पर ध्यान दिया जाए। इस पर एक अधिकारी ने बताया कि कुछ मामलों में इन मुफ्त सामान का कॉन्ट्रैक्ट उन व्यापारियों को दिया जाता है जिनका गठजोड़ प्रतियोगी दर पर सामान बनाने वाली निर्माण कंपनी के साथ होता है। ज्यादातर ऐसे निर्माता कंपनियां चीन की होती हैं। हालांकि ग्राइंडर बनाने वाली कंपनियों के साथ ऐसा नहीं है, खासतौर पर इसलिए क्योंकि इसे इडली डोसा के आटे को पीसने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है जो कि तमिलनाडु की पहचान है।
हालांकि यह आलोचना सरकार द्वारा बांटे गए सभी सामानों पर लागू नहीं होती। जैसे कि जरूरतमंद छात्रों को दिया गया लैपटॉप जिसे चीनी लैपटॉप कंपनी लिनोवो ने सप्लाई किया था और जिसकी कम ही शिकायतें दर्ज हुई हैं। वहीं सरकार का 9 हज़ार करोड़ रुपया जिस मिक्सर-ग्राइंडर और पंखों पर खर्च हुआ है उसकी क्वॉलिटी को लेकर काफी शिकायतें आई हैं। सेलम के पास एक गांव में एक परिवार ने बताया कि जैसे ही उन्होंने मिक्सर का प्लग लगाया, एक स्पार्क हुआ और मशीन बैठ गई। इन मशीनों पर निर्माता कंपनी का नाम भी नहीं लिखा है और सिर्फ एक सीरियल नंबर दिया हुआ है।
इन तीन सामानों की उपलब्धता देखने वाले तमिलनाडु नागरिक आपूर्ति निगम का कहना है कि इन मशीनों को उन्होंने अलग अलग कंपनियों से कड़े नियमों के तहत मंगवाया है। इसे मंगवाने का पैमाना सिर्फ इसका सस्ता दाम नहीं बल्कि कंपनी की उत्पादन क्षमता, बैंक प्रमाण पत्र और पिछला कामकाज भी है। पता लगने पर सामने आया कि पंखा सप्लाई करने वाली कुछ कंपनियों में से दो ही ईमानदार दिखाई दे रही हैं - हैदराबाद की यश इंटरनेश्नल और एरोवेव इंटरनेश्नल। दोनों ही कंपनियों का पंजीकरण अलग अलग किया गया है लेकिन इनके डायरेक्टर एक ही हैं। इनकी वेबसाइट भी काम कर रही है और जब एनडीटीवी से उनसे बात की तो उन्होंने स्वीकार भी किया कि वह तमिलनाडु सरकार को पंखे सप्लाई कर रही है।
लेकिन चैन्नई स्थित अरूणाचल एम्पैक्स और भारत एग्री इंटरनेश्नल ट्रेडिंग लि. का मामला ऐसा नहीं है। इन कंपनियों ने भी मिक्सर और पंखों का कॉन्ट्रैक्ट हासिल किया है। महज़ एक लाख की संपत्ति वाली अरूणाचल और भारत एग्री खुद को ट्रेडिंग कंपनी बताती हैं जो निर्माताओं से मिक्सर और पंखे लेकर सरकार को सप्लाई करती हैं। अरूणाचल के एक अधिकारी ने बताया 'हम हर तरह का व्यवसाय करते हैं, दाल, इलेक्ट्रोनिक सामान, जोमेट्री बॉक्स, इत्यादि। हम ट्रेडर हैं और हम तरह का व्यवसाय करने के योग्य हैं।' जब इनसे पूछा गया कि वह यह सामान कहां से मंगवाते हैं भारत एग्री के एक बाशिंदे ने टिप्पणी करने से मना कर दिया।
हमने तमिलनाडु नागरिक आपूर्ति निगम से जब सवाल किया कि किस आधार पर ट्रेडर को कॉन्ट्रैक्ट दिया जाता है, खासतौर पर तब जबकि टेंडर नियमों में साफ तौर पर लिखा गया है कि कंपनी को चुनने से पहले उसकी उत्पादन क्षमता और अनुभव पर ध्यान दिया जाए। इस पर एक अधिकारी ने बताया कि कुछ मामलों में इन मुफ्त सामान का कॉन्ट्रैक्ट उन व्यापारियों को दिया जाता है जिनका गठजोड़ प्रतियोगी दर पर सामान बनाने वाली निर्माण कंपनी के साथ होता है। ज्यादातर ऐसे निर्माता कंपनियां चीन की होती हैं। हालांकि ग्राइंडर बनाने वाली कंपनियों के साथ ऐसा नहीं है, खासतौर पर इसलिए क्योंकि इसे इडली डोसा के आटे को पीसने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है जो कि तमिलनाडु की पहचान है।
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