हार्दिक पटेल की फाइल तस्वीर
अहमदाबाद:
जेल में बंद पटेल आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल ने समझौते के फॉर्मूले पर पहुंचने के लिए उन्हें और अन्य पटेल नेताओं को रिहा करने के लिए गुजरात सरकार को 10 दिन की समयसीमा दी है और ऐसा नहीं होने पर अपना आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी है।
सूरत की लाजपुर जेल से पटेल समुदाय को लिखे पत्र में हार्दिक ने माना कि समझौता फॉर्मूले पर पहुंचने के लिए उनकी बीजेपी की अगुवाई वाली राज्य सरकार से बातचीत चल रही है।
यह चिट्ठी बुधवार को सामने आई। यह ऐसे समय में सामने आई है, जब कुछ प्रमुख पटेल नेताओं ने बीजेपी सरकार और पाटीदार अनामत आंदोलन समिति (पीएएएस) के तहत आरक्षण के लिए आंदोलन करने वाले पटेलों के बीच समझौते की कोशिश शुरू की है।
पीएएएस के संयोजक हार्दिक ने पत्र में लिखा है, 'यह सच है कि मैंने (जेल से) सरकार के साथ समझौते पर बातचीत की है। लेकिन मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि मैं समुदाय के हितों की कीमत पर कोई समझौता नहीं करूंगा। हमारी पहली और सबसे बड़ी शर्त है कि हमारी मांगें मानी जाए।
हार्दिक ने कहा, 'बीजेपी सरकार को 30 जनवरी तक का वक्त दिया गया है। हमने शर्त रखी है कि सरकार के साथ बातचीत केवल तभी होगी, जब सरकार मुझे और जेल में बंद अन्य पटेल युवकों को 30 जनवरी तक रिहा करे और हमारे खिलाफ सारे मामले वापस ले।' उन्होंने पत्र में चेतावनी दी है, 'पटेल समुदाय केवल तभी बीजेपी के बारे में सोचेगी जब बीजेपी उसके बारे में सोचेगी। 30 जनवरी तक हम शांतिपूर्ण बैठेंगे। उसके बाद पटेल समुदाय अपना काम करेगा।' हार्दिक के वकील यशवंत वाला ने बुधवार को मीडिया को यह पत्र दिया।
राजद्रोह और सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश के आरोपों में सलाखों के पीछे चल रहे हार्दिक ने कहा, 'मेरी मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल समेत बीजेपी सरकार के किसी भी नेता के खिलाफ दुर्भावना नहीं है। यदि कांग्रेस सत्ता में आएगी, तब भी हमारा संघर्ष जारी रहेगा। यदि बीजेपी सरकार सरकार सोचती है कि हमारा संघर्ष युद्ध है तो ऐसा ही सही।'
सूरत की लाजपुर जेल से पटेल समुदाय को लिखे पत्र में हार्दिक ने माना कि समझौता फॉर्मूले पर पहुंचने के लिए उनकी बीजेपी की अगुवाई वाली राज्य सरकार से बातचीत चल रही है।
यह चिट्ठी बुधवार को सामने आई। यह ऐसे समय में सामने आई है, जब कुछ प्रमुख पटेल नेताओं ने बीजेपी सरकार और पाटीदार अनामत आंदोलन समिति (पीएएएस) के तहत आरक्षण के लिए आंदोलन करने वाले पटेलों के बीच समझौते की कोशिश शुरू की है।
पीएएएस के संयोजक हार्दिक ने पत्र में लिखा है, 'यह सच है कि मैंने (जेल से) सरकार के साथ समझौते पर बातचीत की है। लेकिन मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि मैं समुदाय के हितों की कीमत पर कोई समझौता नहीं करूंगा। हमारी पहली और सबसे बड़ी शर्त है कि हमारी मांगें मानी जाए।
हार्दिक ने कहा, 'बीजेपी सरकार को 30 जनवरी तक का वक्त दिया गया है। हमने शर्त रखी है कि सरकार के साथ बातचीत केवल तभी होगी, जब सरकार मुझे और जेल में बंद अन्य पटेल युवकों को 30 जनवरी तक रिहा करे और हमारे खिलाफ सारे मामले वापस ले।' उन्होंने पत्र में चेतावनी दी है, 'पटेल समुदाय केवल तभी बीजेपी के बारे में सोचेगी जब बीजेपी उसके बारे में सोचेगी। 30 जनवरी तक हम शांतिपूर्ण बैठेंगे। उसके बाद पटेल समुदाय अपना काम करेगा।' हार्दिक के वकील यशवंत वाला ने बुधवार को मीडिया को यह पत्र दिया।
राजद्रोह और सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश के आरोपों में सलाखों के पीछे चल रहे हार्दिक ने कहा, 'मेरी मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल समेत बीजेपी सरकार के किसी भी नेता के खिलाफ दुर्भावना नहीं है। यदि कांग्रेस सत्ता में आएगी, तब भी हमारा संघर्ष जारी रहेगा। यदि बीजेपी सरकार सरकार सोचती है कि हमारा संघर्ष युद्ध है तो ऐसा ही सही।'
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