कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कर्ण सिंह ने 'प्रभावशाली महिलाओं' के साथ मुलाकात पर नई किताब लिखी है, जिसमें आपातकाल के बाद उनके तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को पद छोड़ने का सुझाव देने और राष्ट्रपति पद के लिए रूक्मणि देवी अरूंडेल को नामांकित करने के मोरारजी देसाई के प्रस्ताव सहित कई रोचक बातों का जिक्र है।
'मीटिंग विद रिमार्केबल वूमन' शीषर्क वाली इस किताब में दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी, एडविना माउंटबेटन, विजय लक्ष्मी पंडित, एमएस सुब्बुलक्ष्मी, हेलेन केलर और गायत्री देवी जैसी कई प्रभावशाली महिलाओं के व्यक्तित्व की झलक मिलती है।
दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर लिखे अध्याय में कर्ण सिंह ने आपातकाल का जिक्र किया है। उन्होंने कहा है कि 12 जून, 1975 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले में तत्कालीन प्रधानमंत्री को कदाचार के दो मामलों में दोषी ठहराया गया और उनका लोकसभा के लिए चुनाव अमान्य घोषित कर दिया गया, तब बहुत हंगामा मचा था।
इस किताब में सिंह ने कहा है, विपक्ष को उन पर हमला बोलने और सत्ता से हटाने का सुनहरा मौका मिल गया...पूरे देश में उथलपुथल मची थी। किताब में कर्ण सिंह ने लिखा है, एक शाम मैंने अपनी मेज पर हाथ से एक निजी पत्र लिखा था, जिसमें मैंने कहा कि कैबिनेट मंत्री की हैसियत से नहीं, बल्कि निजी तौर पर मेरा सुझाव है कि उन्हें (इंदिरा को) इस्तीफे की पेशकश करना चाहिए, अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को भेज देना चाहिए, जिन्हें इस आधार पर इस्तीफा स्वीकार करने की जरूरत नहीं है कि उनकी (इंदिरा की) अपील पर अंतिम निर्णय उच्चतम न्यायालय करेगा।
कर्ण सिंह ने आगे लिखा है, ऐसा करने से न केवल हालात सुधरेंगे, बल्कि अंतहीन आलोचना पर भी अंकुश लगेगा। मैंने पत्र की फोटोकॉपी रख ली, जो उनके (इंदिरा के) साथ मेरे पत्राचार में प्रकाशित हुई। न तो उन्होंने (इंदिरा ने) जवाब दिया और न ही बाद में इसका जिक्र हुआ। रूक्मणि देवी अरूंडेल के बारे में लिखे गए अध्याय में सिंह ने जिक्र किया है कि जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद मोरारजी देसाई ने सुझाव दिया था कि राष्ट्रपति पद के लिए रूक्मणि बेहतर उम्मीदवार होंगी। हालांकि रूक्मणि ने यह कहते हुए प्रस्ताव ठुकरा दिया था कि वह कला के प्रति समर्पित हैं।
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