यह ख़बर 24 दिसंबर, 2013 को प्रकाशित हुई थी

(25 दिसंबर : क्रिसमस पर विशेष) जब आधी रात को धरती पर उतरा ईश्वर का बेटा ईसा मसीह...

वेटिकन के सेंट पीटर्स स्क्वायर में सजा क्रिसमस ट्री

नई दिल्ली:

हर साल 25 दिसंबर को क्रिसमस या 'बड़े दिन' का त्योहार प्रभु के पुत्र ईसा मसीह, जीसस क्राइस्ट (Jesus Christ) या यीशु के धरती पर अवतरण की खुशी में पूरे हर्षोल्लास से मनाया जाता है, और आमतौर पर इस दिन लगभग पूरी दुनिया में छुट्टी रहती है...

परम्परागत रूप से क्रिसमस 12 दिन तक चलने वाला उत्सव है... यूं तो 25 दिसंबर को यीशु का जन्मदिन होने का कोई तथ्यपूर्ण प्रमाण उपलब्ध नहीं है, लेकिन समूची दुनिया इसी तिथि को यह रोमन पर्व सदियों से मनाती चली आ रही है... अनुमान है कि पहला क्रिसमस रोम में 336 ईस्वी में मनाया गया था...

क्रिसमस के मौके पर लोग एक-दूसरे को उपहार देते हैं, और गिरजाघरों (चर्च - ईसाई पूजाघर) को आकर्षक ढंग से सजाया जाता है... लोग अपने घरों के आंगन में क्रिसमस ट्री बनाकर उसे रंग-बिरंगे बल्बों और खिलौनों से सजाते हैं... गिरजाघरों में यीशु के जन्म से संबंधित झांकियां तैयार की जाती हैं... 24 दिसंबर की आधी रात (ठीक 12 बजे) यीशु का जन्म होना माना जाता है, इसलिए गिरजाघरों में ऐन वक्त पर विशेष प्रार्थना की जाती है, कैरोल (Carol) गाए जाते हैं और अगले दिन धूमधाम से त्योहार मनाया जाता है...

इसी त्योहार से जुड़ी एक लोकप्रिय पौराणिक, परंतु कल्पित शख्सियत है 'सैन्ता क्लॉज़'... मान्यता है कि क्रिसमस की रात सफेद रंग की बड़ी-बड़ी दाढ़ी-मूंछों वाले सैन्टा क्लॉज़ स्वर्ग से उतरकर हर घर में आते हैं और बच्चों के लिए तोहफे की पोटली क्रिसमस ट्री पर लटकाकर चले जाते हैं, इसलिए बच्चों में इस पर्व को लेकर काफी उत्साह देखा जाता है...

व्यापक रूप से स्वीकार्य एक ईसाई पौराणिक कथा के अनुसार, प्रभु ने मेरी नामक एक कुंवारी लड़की के पास गैब्रियल नामक देवदूत को भेजा, जिसने मेरी को बताया कि वह प्रभु के पुत्र को जन्म देगी तथा बच्चे का नाम जीसस रखा जाएगा... वह बच्चा बड़ा होकर राजा बनेगा और उसके राज्य की कोई सीमा नहीं होगी...

देवदूत गैब्रियल, एक भक्त जोसफ के पास भी गया और उसे बताया कि मेरी एक बच्चे को जन्म देगी, तथा उसे (जोसफ को) मेरी की देखभाल करनी चाहिए... जिस रात जीसस का जन्म हुआ, उस समय नियमों के अनुसार अपने नाम पंजीकृत कराने के लिए मेरी और जोसफ बेथलेहम जाने के रास्ते में थे... उन्होंने एक अस्तबल में शरण ली थी, जहां मेरी ने आधी रात को जीसस को जन्म दिया... इस प्रकार प्रभु के पुत्र जीसस का जन्म हुआ...

सच्चाई, ईमानदारी की राह पर चलने और दीन-दुखियों की भलाई की सीख देने वाले ईसा मसीह के विचार उस समय के क्रूर शासक पर नागवार गुज़रे और उसने प्रभु-पुत्र को सूली पर टांगकर हथेलियों में कीलें ठोंक दीं... इस यातना से यीशु के शरीर से प्राण निकल गए, मगर कुछ दिन बाद वह फिर जीवित हो उठे... ईसा के दोबारा ज़िन्दा हो जाने की खुशी में ईस्टर मनाया जाता है...

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देश के समुद्रतटीय राज्य गोवा में क्रिसमस बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है... गोवा में ही देश के अन्य राज्यों की तुलना सबसे अधिक गिरजाघर भी हैं, जिनमें से अधिकांश चर्च भारत में ब्रिटिश व पुर्तगाली शासन के दौरान स्थापित किए गए थे... वैसे, देश के अन्य हिस्सों में भी कई प्रसिद्ध चर्च मौजूद हैं...