परीक्षा की प्रतीकात्मक तस्वीर.
लखीमपुर खीरी:
"प्लीज टीचर जी प्लीज. पास जरूर कर देना. बच्चा समझकर गलतियां माफ कर देना. अब हमारा करियर आपके हाथ में है. आप तो गुरु हैं. बच्चों का भविष्य बनाते हैं. प्लीज पास जरूर कर देना." इस तरह स्लोगन बोर्ड की कापियों के मूल्यांकन के दौरान लिखे मिल रहे हैं. बोर्ड की परीक्षा देने वाले छात्र-छात्राओं ने कापी के बीच में टीचरों को प्रभावित करने के लिए इस तरह के नायाब कोटेशन लिखे हैं. हाईस्कूल की कापियों का मूल्यांकन डीएस कालेज में चल रहा है. टीचर बताते है कि कापियों में छात्र-छात्राओं ने स्लोगन लिखे हैं जिसमें पास करने की अपील की गई है. जिन बच्चों ने सही उत्तर लिखे हैं और राइटिंग भी अच्छी है उनकी कापियों में कोई कोटेशन नहीं लिखा है.
जीआईसी मूल्यांकन केन्द्र पर चल रहा है. इसके लिए 515 टीचरों को लगाया गया है हालांकि तीसरे दिन भी सभी टीचर नहीं पहुंचे. 15 दिनों में दो लाख 72 हजार कापियों का मूल्यांकन होना है. शाम तक पांच हजार के लगभग कापियों का मूल्यांकन हो चुका है.
मूल्यांकन सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे तक चल रहा है. इसमें लगे टीचर बताते हैं कि गर्मी में पेयजल की उचित व्यवस्था नहीं है. कई जगहों पर घड़े रखे गए हैं, लेकिन इसका पानी पीने के लायक नहीं है. मजबूरी में जब गला सूखने लगता है तो गला तर करते हैं. वहीं ज्यादातर टीचर तो पानी अपने साथ लेकर आते हैं.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
जीआईसी मूल्यांकन केन्द्र पर चल रहा है. इसके लिए 515 टीचरों को लगाया गया है हालांकि तीसरे दिन भी सभी टीचर नहीं पहुंचे. 15 दिनों में दो लाख 72 हजार कापियों का मूल्यांकन होना है. शाम तक पांच हजार के लगभग कापियों का मूल्यांकन हो चुका है.
मूल्यांकन सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे तक चल रहा है. इसमें लगे टीचर बताते हैं कि गर्मी में पेयजल की उचित व्यवस्था नहीं है. कई जगहों पर घड़े रखे गए हैं, लेकिन इसका पानी पीने के लायक नहीं है. मजबूरी में जब गला सूखने लगता है तो गला तर करते हैं. वहीं ज्यादातर टीचर तो पानी अपने साथ लेकर आते हैं.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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