वेटनरी शोध के बाद साबित हो चुका है कि गाय के शरीर में बड़ा छेद कर देने से उसे नुकसान होने के बजाय फायदा ही होता है.
वाशिंगटन:
अमेरिका में गाय की आयु बढ़ाने के लिए उसके शरीर में बड़ा छेद कर दिया जाता है. दरअसल, लंबे समय तक वेटनरी शोध के बाद साबित हो चुका है कि गाय के शरीर में बड़ा छेद कर देने से उसे नुकसान होने के बजाय फायदा ही होता है. डेयरी उद्योग से जुड़े लोग बताते हैं कि इससे गायों की बीमारी से होने वाली असामयिक मौत के मामलों में भी काफी कमी आई है. आपने कई बार सोशल मीडिया पर गायों के शरीर में छेद वाली तस्वीर और वीडियो देखी होंगी. आज हम आपको इसके पीछे की कहानी बता रहे हैं. गाय के शरीर में बड़ा छेद देखकर थोड़ा अजीब लगता है, लेकिन इसके पीछे वेटनरी से जुड़े शोधकर्ताओं का अपना तर्क है. उनका कहना है कि गाय के शरीर में बड़ा छेद कर देने से उसके शरीर के अंदर की बिमारियों को आसानी से निरीक्षण किया जा सकता है. इस बड़े छेद के जरिए ये भी जानने में सुविधा होती है कि गाय के पेट में खाना अच्छे से पच रहा है या नहीं. इससे गाय के पेट में रहने वाले बैक्टीरिया के बारे में भी आसानी से पता लगाया जा सकता है.
पीपल फॉर इथीकल ट्रीटमेंट ऑफ एनीमल्स (पेटा) की वेबसाइट के मुताबिक गाय के शरीर में बनाया जाने वाला यह बड़ा छेद फिस्टुला (fistula) कहा जाता है. वहीं शरीर के जिस हिस्से में यह बड़ा छेद बनाया जाता है उसे रूमेन (Rumen) कहते हैं.
बताया जाता है कि जब गाय के शरीर में छेद करने के लिए सर्जरी की जाती है तो करीब छह हफ्ते तक गाय असहज होती है. हालांकि कुशल डॉक्टरों के इस सर्जरी करने पर गाय को किसी भी तरह के नुकसान होने की कोई संभावना नहीं होती है. गाय के शरीर में बड़ा छेद करने के बाद उसे एक प्लास्टिक की रिंग से बंद कर दिया जाता है. साथ ही इच्छा के अनुसार ढक्कन हटाकर गाय के पेट में झांका जा सकता है. कई बार गाय के बीमार होने पर उसके पेट में सीधे दवाई डाल दी जाती है. गाय के पेट में किसी तरीके की गड़बड़ी की स्थिति में वेटनरी डॉक्टर हाथ डालकर गाय के पेट को खुद ही साफ कर लेते हैं.
गाय के पेट में छेद करने की इस प्रक्रिया का कई संगठन विरोध भी करते हैं. विरोध करने वालों का कहना है कि क्या हम केवल अपने फायदे के लिए पशुओं के साथ इस तरह का प्रयोग करना जायज है. आलोचकों का ये भी कहना है कि अमेरिका में मौजूद फेडरल एनिमल वेलफेयर एक्ट ही एकमात्र ऐसा कानून है, जो अपने फायदे के लिए पशुओं के साथ किए जाने वाले प्रयोग को रोक सकता है. साथ ही पशुओं को उसका अधिकार मिल सकता है. हालांकि खेती-बाड़ी के काम में उपयोग होने वाले गाय पर यह कानून लागू नहीं होता है. ओलचक इसे गायों के साथ क्रूरता मानते हैं और इसे रोकने के लिए कानून की मांग करते हैं.
पीपल फॉर इथीकल ट्रीटमेंट ऑफ एनीमल्स (पेटा) की वेबसाइट के मुताबिक गाय के शरीर में बनाया जाने वाला यह बड़ा छेद फिस्टुला (fistula) कहा जाता है. वहीं शरीर के जिस हिस्से में यह बड़ा छेद बनाया जाता है उसे रूमेन (Rumen) कहते हैं.
बताया जाता है कि जब गाय के शरीर में छेद करने के लिए सर्जरी की जाती है तो करीब छह हफ्ते तक गाय असहज होती है. हालांकि कुशल डॉक्टरों के इस सर्जरी करने पर गाय को किसी भी तरह के नुकसान होने की कोई संभावना नहीं होती है. गाय के शरीर में बड़ा छेद करने के बाद उसे एक प्लास्टिक की रिंग से बंद कर दिया जाता है. साथ ही इच्छा के अनुसार ढक्कन हटाकर गाय के पेट में झांका जा सकता है. कई बार गाय के बीमार होने पर उसके पेट में सीधे दवाई डाल दी जाती है. गाय के पेट में किसी तरीके की गड़बड़ी की स्थिति में वेटनरी डॉक्टर हाथ डालकर गाय के पेट को खुद ही साफ कर लेते हैं.
गाय के पेट में छेद करने की इस प्रक्रिया का कई संगठन विरोध भी करते हैं. विरोध करने वालों का कहना है कि क्या हम केवल अपने फायदे के लिए पशुओं के साथ इस तरह का प्रयोग करना जायज है. आलोचकों का ये भी कहना है कि अमेरिका में मौजूद फेडरल एनिमल वेलफेयर एक्ट ही एकमात्र ऐसा कानून है, जो अपने फायदे के लिए पशुओं के साथ किए जाने वाले प्रयोग को रोक सकता है. साथ ही पशुओं को उसका अधिकार मिल सकता है. हालांकि खेती-बाड़ी के काम में उपयोग होने वाले गाय पर यह कानून लागू नहीं होता है. ओलचक इसे गायों के साथ क्रूरता मानते हैं और इसे रोकने के लिए कानून की मांग करते हैं.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं