एक हाथी, जिसका इलाज तमिलनाडु (Tamil Nadu) के सत्यमंगलम टाइगर रिजर्व में किया जा रहा था, चार अनुभवी पशु चिकित्सकों और विशेषज्ञों के प्रयासों के बावजूद 5 मार्च को उसकी मौत हो गई. जब वन अधिकारियों ने हथिनी का इलाज किया तो उसके साथ उसका दो महीने का बच्चा भी था. दिल दहला देने वाली खबर आईएएस अधिकारी सुप्रिया साहू (IAS officer Supriya Sahu) ने 5 मार्च को एक्स पर साझा की थी. हालांकि, 60 दिन के हाथी के बच्चे के साथ कुछ "चमत्कारी और जादुई" हुआ, जब साहू ने एक्स पर एक लंबी पोस्ट में उसके बचाव अभियान के बारे में बताया.
कैप्शन में लिखा, "बहादुर हथिनी ने अपनी आखिरी सांस तक लड़ाई लड़ी. चार अनुभवी पशु चिकित्सकों और विशेषज्ञों ने उसे बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन आज वो अपनी ज़िंदगी की जंग हार गई. हमारा दिल टूट गया है लेकिन उसके 60 दिन के बच्चे के साथ कुछ चमत्कारी और जादुई हुआ हाथी.''
The brave mother elephant fought till her last breath .Four experienced veterinarians and experts tried their best to revive her but the battle to save her life was lost today. We are heartbroken but something miraculous and magical happened with her 60 days old baby elephant. https://t.co/VD0I7wWzEK pic.twitter.com/tWkkhasiKO
— Supriya Sahu IAS (@supriyasahuias) March 5, 2024
3 मार्च को, तमिलनाडु के वनकर्मियों ने संकटग्रस्त हथिनी को उसके दो बच्चों के साथ, जिसमें एक वयस्क नर और एक बहुत छोटी मादा शिशु हाथी भी शामिल थी, उन्हें गंभीर अवस्था में पाया गया. हाथिनी मां चलने-फिरने में बहुत कमज़ोर थी और अपने मूल झुंड से अलग हो गई थी. उसके बच्चे, अपनी मां की हालत से आहत होकर, घबराहट में अनियंत्रित रूप से इधर-उधर भाग रहे थे.
जबकि बचाव दल बच्चों को उनके झुंड में वापस ले जाने में कामयाब रहा, उन्होंने बच्चों की बचाव स्थितियों के लिए तमिलनाडु वन विभाग एसओपी दिशानिर्देशों का पालन करते हुए, बीमार मां और उसके बच्चे की तुरंत देखभाल की.
साहू ने अपने पोस्ट में कहा, "बछड़े को उसके भाई-बहन के साथ देशी झुंड में मिलाने के लिए 4 मार्च की सुबह प्रयास शुरू किए गए थे. बछड़े को एक शिविर में बंदी हाथी बनाने के आसान विकल्प को अपनाने के बजाय पुन: प्रयास करने का सबसे अच्छा मौका देने का हमारा दृढ़ संकल्प है."
पुनर्मिलन प्रक्रिया में सावधानीपूर्वक योजना और निष्पादन शामिल था, देशी झुंड का पता लगाने के लिए ड्रोन और नाइट विजन कैमरों जैसी तकनीक का लाभ उठाया गया था. रात 8 बजे तक, बछड़े को सुरक्षित रूप से उसके झुंड के स्थान पर ले जाया गया और उसे एक बुजुर्ग मादा से मिलवाया गया जो स्तनपान कराने और बच्चे को सहारा देने में सक्षम थी.
साहू ने कहा, "जैसा कि अपेक्षित था, मादा और झुंड के बाकी सदस्यों ने बच्चे को प्यार से अपने पास बुला लिया. पुनर्मिलन टीम ने प्रगति की निगरानी के लिए मैदान का दौरा किया और झुंड में मादा के साथ सड़क पार करते हुए 5 मार्च की सुबह 9:30 बजे हाथी के बच्चे के अद्भुत दृश्य देखा गया.“
पुनर्मिलन प्रक्रिया को "जहां चाह, वहां राह" कहते हुए, साहू ने अपने लंबे पोस्ट में "जंगल में जीवन के संघर्ष और दुख पर विजय की सच्ची कहानी" पर प्रकाश डाला. बचाव अभियान का नेतृत्व वन संरक्षक (सीएफ) थिरु राजकुमार, डीडी थिरु सुधाकर, एफडी एमटीआर थिरु वेंकटेश, एफडी एटीआर थिरु रामसुब्रमण्यम की एक टीम ने किया.
Long message Warning ⚠️
— Supriya Sahu IAS (@supriyasahuias) March 5, 2024
It is a long message but worth reading if you believe in 'Where there is a will, there is a way'. This is also a true story of struggles of life in the wild and triumph over sadness. On the evening of 3rd March in Sathyamangalam Tiger Reserve near… pic.twitter.com/VwvcQWsFB7
इससे पहले साहू ने एक वीडियो और एक तस्वीर पोस्ट की जिसमें हाथी के संघर्ष को कैद किया गया. वीडियो में, यह राजसी प्राणी जमीन पर पड़ा होने के कारण अपने आप खड़ा होने में असमर्थ था. जहां अपने जीवन के लिए बहादुरी से लड़ने वाली बहादुर मां हथिनी की मौत पर दुख की छाया है, वहीं उसके बच्चे का चमत्कारिक रूप से जीवित रहना और जंगल में सफल पुन: एकीकरण आशा की किरण प्रदान करता है.
A very difficult time for the Forest Team at the Satyamangalam Tiger Reserve as they are putting their best efforts to treat a very unwell female elephant. Her two months old baby is being taken care by a team of experienced Veterinarians. pic.twitter.com/6IbQ1NSbx4
— Supriya Sahu IAS (@supriyasahuias) March 4, 2024
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं