एयर इंडिया (AIR INDIA) आज से टाटा कंपनी की हो गई है. एयर इंडिया का सरकारी एयरलाइन कहलाने का आज अंतिम दिन है. भारत सरकार की तरफ से एयरलाइन को आज टाटा ग्रुप को सौंप दिया गया. एयर इंडिया का हस्तांतरण पूरा हो गया है. टाटा सन्स के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन इसके लिए एयर इंडिया हाउस पहुंचे और हंस्तातरण की पूरी प्रक्रिया की. इस मौके पर DIPAM और नागरिक उड्डयन सचिव भी मौजूद है. इस मौके पर टाटा सन्स के चेयरमैन N Chandrashekaran ने कहा कि अब एयर इंडिया हमारे पास है, हम जल्द नए बोर्ड की घोषणा करेंगे.
68 साल बाद एयर इंडिया की फिर से घर वापसी हुई है. टाटा संस ने 18 हजार करोड़ रुपए में एयर इंडिया को खरीदा है. 1932 में टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन जेआरडी टाटा ने एयर इंडिया की शुरुआत की थी. रतन टाटा के लिए ये बेहद भावुक पल भी है. उन्होंने सोशल मीडिया के ट्विटर साइट पर एक पोस्ट के ज़रिए भावुक संदेश भी दिया है. रतन टाटा के लिए ये फ़ैसला बेहद अहम है. आइए कुछ तस्वीरों के ज़रिए समझते हैं कि कैसे एयर इंडिया की शुरुआत हुई.
एयर इंडिया ने भारत को राष्ट्रीय पहचान दी. इसका सारा श्रेय जेआरडी टाटा को जाता है. वो भारत के पहले लाइसेंसधारी पायलट भी थे. जब वो 24 साल के थे बॉम्बे में फ्लाईंग क्लब की स्थापना भी की थी.
‘एयर इंडिया' ने अपनी सबसे पहली अंतरराष्ट्रीय उड़ान 8 जून 1948 को भरी थी. इस विमान में 35 यात्री थे, जिनमें नवाब और महाराजाओं की संख्या ज्यादा थी. भले ही आज एक स्टॉप के साथ लगभग 12 घंटे में लंदन पहुंचा जा सकता है, लेकिन उन दौरान एयर इंडिया ने लंदन पहुंचने में दो दिन का वक्त लिया था.
इस फ़्लाइट ने काहिरा और जेनेवा होते हुए लंदन में प्रवेश किया था. बता दें कि आज़ादी से पहले यह टाटा एयरलाइंस के नाम से जानी जाती थी. बाद में भारत सरकार ने इसे ले लिया था.
जेआरडी टाटा हमेशा यात्रियों की सुविधा का ध्यान विशेष रूप से रखते थे. उनका मानना था कि जितनी अच्छी सुविधाएं होंगी उतना ही एयर इंडिया का नाम होगा. देश के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने भी एयर इंडिया की तारीफ़ की थी. उन्होंने एक पत्र लिखकर कहा था- भारत की विरासत को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने में एयर इंडिया का सराहनीय योगदान है.
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