
हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेज़ी से वायरल हुआ, जिसमें एक महिला स्कूटी से लड़खड़कर गिर जाती है और पीछे आ रहे व्यक्ति पर टक्कर मारने का इल्ज़ाम लगा रही है. जबकि बाइक पर सवार व्यक्ति उस स्कूटी से काफ़ी दूर था. उस व्यक्ति ने गाड़ी पर कैमरा लगा रखा था जिसके कारण वह ख़ुद को निर्दोष साबित कर पाया. इससे पहले भी ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं. ऐसी स्थिति आपके सामने भी आ सकती है, लिहाज़ा इस तरह के झूठे मामलों से घबराए नहीं, बल्कि समझदारी से काम लें.
ऐसी स्थिति में क्या कर सकते हैं...
लड़ाई-झगड़े से बचें. यदि कोई व्यक्ति आप पर गाड़ी से टक्कर मारने का इल्ज़ाम लगा रहा है तो उस शख्स से शांति से पेश आएं. अगर वो आप पर चिल्ला रहा है या हाथापाई पर उतर आया है, तो आप अपनी तरफ़ से नम्रता से पेश आएं। ऐसे शब्दों का इस्तेमाल कतई न करें जो आपको मुश्किल में डाल दें.
स्थिति को रिकॉर्ड करें
इल्ज़ाम लगा रहे शख्स की गाड़ी और आपकी गाड़ी की तस्वीर मोबाइल कैमरे से ज़रूर लें क्योंकि गाड़ियों में टक्कर हुई भी है या नहीं, इसका सबूत इस तस्वीर से मिलेगा. यह इस लिहाज़ से भी ज़रूरी है कि अगर झगड़े के बाद वो आपको फंसाने के लिए बाद में गाड़ी पर स्क्रेच मारता है या हानि पहुंचाता है तो आपके पास ख़ुद की सुरक्षा के लिए सबूत मौजूद होंगे.
अपने वकील से बात करें
दुर्घटना होने पर फौरन अपने वकील से संपर्क करें और पूरी घटना के बारे में बताएं. आप जिस स्थिति में हैं उस दौरान क्या करना है और किन गलतियों से बचना है, वकील इस पर बेहतर सलाह देंगें.
सबूत इकट्ठा करें
सड़क या आस-पास की दुकानों पर लगे सीसीटीवी की फुटेज इकट्ठी करें. चश्मदीद गवाह जैसे दुकानदार आदि से बात करें और उन्हें सबूत के तौर पर पेश होने की दर्ख़्वास्त करें.

क्या कहता है क़ानून
उस व्यक्ति के खिलाफ आप आईपीसी की धारा 211 के तहत केस दर्ज कर सकते हैं. ऐसे मामले में दोषी पाए जाने पर दो साल तक की कैद भी हो सकती है. झूठी जानकारी के आधार पर पुलिस अधिकारी से रिपोर्ट लिखने के जुर्म मैं संबंधित पुलिस अधिकारी आईपीसी की धारा 182 के तहत कार्रवाई कर सकता है और दोसी पाए जाने पर 6 महीने तक की सज़ा या एक हज़ार तक का जुर्माना या दोनों भी हो सकते हैं.
संविधान के अनुच्छेद 226 के तेहत एफ.आई.आर लिखे जाने के बात उसको क्वॉश करने के लिए वकील के माध्यम से हाई कोर्ट में रिट कर सकते है अगर हाईकोर्ट को लगता है एफ.आई.आर गलत लिखी गई है तो वो उसको क्वॉश कर सकती है.
अगर संबंधित एफ.आई.आर मैं चार्जसीट आ गई हो तो सीआरपीसी की धारा 482 के तहत वकील के माध्यम से हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र लगा सकते हैं जिसके साथ अपनी बेगुनाही के सबूत जैसे आप, वीडियो रिकॉर्डिंग, ऑडियो रिकॉर्डिंग, फोटोग्राफ्स, डॉक्युमेंट्स अटैच कर सकते हैं. अगर हाईकोर्ट को लगता है एफ.आई.आर की जांच ढंग से किए बिना पुलिस ने चार्जसीट लगा दिया है तो उस स्थिति मैं हाईकोर्ट चार्जसीट को क्वॉश कर सकती है. इस धारा के तहत अगर आपके पक्ष में कोई गवाह है तो उसका ज़िक्र ज़रूर करें.
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