
त्वचा विशेषज्ञों का मानना है कि चेहरे पर लगातार स्मार्टफोन की लाइट और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन का जोखिम त्वचा को नुकसान पहुंचा सकती है। इससे उम्र की दर बढ़ने के साथ चेहरे की झुर्रियां भी बढ़ सकती हैं। डॉक्टरों का यहां तक कहना है वे चेहरे के सबसे ज्यादा प्रभावित हिस्से को देखकर ये भी बता सकते हैं कि व्यक्ति ने किस हाथ में फोन पकड़ा था।
हमारे फोन की स्क्रीन की नीली रोशनी भी पहुंचा सकती है नुकसान
लंदन की हार्ले स्ट्रीट स्थित "लिनीया स्किन क्लीनिक" की मेडिकल डायरेक्टर डॉ सिमोन जोआकेई ने "फेसियल अस्थेटिक कॉन्फ्रेंस एंड एक्जिबीशन" ने कहा कि बहुत सारी सेल्फी लेने वाले और ब्लॉगर्स करने वालों के लिए ये चिंता का विषय है। यहां तक कि हमारे फोन की स्क्रीन की नीली रोशनी भी हमारी त्वचा को बहुत नुकसान पहुंचा सकती है। उन्होंने कहा, " मुझे लगता है कि बाजार में रक्षा करने वाले उत्पादों की कमी है क्योंकि बहुत सारे जो लोग सेल्फी लेते हैं, ब्लॉग लिखते हैं मेरे पास आते हैं और मैंने देखा है कि कैसे उनकी त्वचा को नुकसान पहुंच रहा है। ये एक अलग तरह की तरंगें होती हैं इसलिए "संस्क्रीन" इसे नहीं रोक पाती है।
हमें इसके लिए एक रक्षा प्रणाली विकसित करनी होगी
जाने माने त्वचा विशेषज्ञ और ओबागी स्किन हेल्थ इंस्टीट्यट के संस्थापक डॉ जेन ओबागी ने कहा, "आपका फोन आपकी त्वचा को नुकसान पहुंचा रहा है। मेरे अनुभव के मुताबिक मैं बता सकता हूं कि फोन पकड़ने के लिए व्यक्ति अपना दायां हाथ इस्तेमाल करता है या बायां। पहले आपको अपने चेहरे के एक ही तरफ की त्वचा पर एक तरह का रूखापन नजर आएगा। मुझे लगता है कि हमें इसके लिए एक रक्षा प्रणाली विकसित करनी होगी। कोई "संस्क्रीन" आपका बचाव नहीं कर पाएग। ये रोशनी का मैगनेटिक प्रभाव है। ये प्रभा त्वचा की निर्माण सामग्री पर असर डालता है लेकिन एंटी ऑक्सीडेंट का उपयोग कुछ हद तक मददगार साबित हो सकता है।
खत्म हो जाती है त्वचा की खुद को सुधारने की क्षमता
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि मोबाइल फोन की विद्युतचुंबकीय तरंगें डीएनए को नुकसान पहुंचाकर त्वचा की उम्र बढ़ा देती है। ये त्वचा की खुद को सुधारने की क्षमता को खत्म कर देती है। उनका मानना है कि आम मॉस्चेराइजर्स और तेल इन पर काम नहीं कर पाते और इससे त्वचा को ज्यादा नुकसान होता है। हालांकि एक अच्छा स्क्रब त्वचा के सेहत काफी अच्छी रख पाता है। डॉ ओबागी कहते हैं कि आप त्वचा को बाहर से हाइड्रेट नहीं कर सकते यानि उसकी पानी की जरूरत को बाहर से पूरा नहीं कर सकते। ये जरूरत अंदर से ही पूरी की जा सकती है।
हमारे फोन की स्क्रीन की नीली रोशनी भी पहुंचा सकती है नुकसान
लंदन की हार्ले स्ट्रीट स्थित "लिनीया स्किन क्लीनिक" की मेडिकल डायरेक्टर डॉ सिमोन जोआकेई ने "फेसियल अस्थेटिक कॉन्फ्रेंस एंड एक्जिबीशन" ने कहा कि बहुत सारी सेल्फी लेने वाले और ब्लॉगर्स करने वालों के लिए ये चिंता का विषय है। यहां तक कि हमारे फोन की स्क्रीन की नीली रोशनी भी हमारी त्वचा को बहुत नुकसान पहुंचा सकती है। उन्होंने कहा, " मुझे लगता है कि बाजार में रक्षा करने वाले उत्पादों की कमी है क्योंकि बहुत सारे जो लोग सेल्फी लेते हैं, ब्लॉग लिखते हैं मेरे पास आते हैं और मैंने देखा है कि कैसे उनकी त्वचा को नुकसान पहुंच रहा है। ये एक अलग तरह की तरंगें होती हैं इसलिए "संस्क्रीन" इसे नहीं रोक पाती है।
हमें इसके लिए एक रक्षा प्रणाली विकसित करनी होगी
जाने माने त्वचा विशेषज्ञ और ओबागी स्किन हेल्थ इंस्टीट्यट के संस्थापक डॉ जेन ओबागी ने कहा, "आपका फोन आपकी त्वचा को नुकसान पहुंचा रहा है। मेरे अनुभव के मुताबिक मैं बता सकता हूं कि फोन पकड़ने के लिए व्यक्ति अपना दायां हाथ इस्तेमाल करता है या बायां। पहले आपको अपने चेहरे के एक ही तरफ की त्वचा पर एक तरह का रूखापन नजर आएगा। मुझे लगता है कि हमें इसके लिए एक रक्षा प्रणाली विकसित करनी होगी। कोई "संस्क्रीन" आपका बचाव नहीं कर पाएग। ये रोशनी का मैगनेटिक प्रभाव है। ये प्रभा त्वचा की निर्माण सामग्री पर असर डालता है लेकिन एंटी ऑक्सीडेंट का उपयोग कुछ हद तक मददगार साबित हो सकता है।
खत्म हो जाती है त्वचा की खुद को सुधारने की क्षमता
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि मोबाइल फोन की विद्युतचुंबकीय तरंगें डीएनए को नुकसान पहुंचाकर त्वचा की उम्र बढ़ा देती है। ये त्वचा की खुद को सुधारने की क्षमता को खत्म कर देती है। उनका मानना है कि आम मॉस्चेराइजर्स और तेल इन पर काम नहीं कर पाते और इससे त्वचा को ज्यादा नुकसान होता है। हालांकि एक अच्छा स्क्रब त्वचा के सेहत काफी अच्छी रख पाता है। डॉ ओबागी कहते हैं कि आप त्वचा को बाहर से हाइड्रेट नहीं कर सकते यानि उसकी पानी की जरूरत को बाहर से पूरा नहीं कर सकते। ये जरूरत अंदर से ही पूरी की जा सकती है।
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